पन्ना जिला

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बुंदेलखंड को चाहिए एक देशज नजरिया
Posted on 21 Oct, 2009 09:21 AM बुंदेलखंड को विकास के एक ऐसे देशज क्रांतिकारी नजरिए की जरूरत है जो सूखे को हरियाली में बदल दे। ऐतिहासिक रूप से भी बुंदेलखंड प्रकृति के प्रकोपों से जूझता रहा है। पानी का संकट वहां इसलिए गहराता है क्योंकि वहां की भौगोलिक स्थितियां पानी को टिकने ही नहीं देती हैं। यहां जमीन पथरीली भी है और कुछ इलाकों में उपजाऊ भी।
पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 19 Sep, 2008 02:28 PM

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों में संभवत: यह सबसे मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है, जितना दिखता है। टिकाऊ पर्यावरण के बारे में जिस अवधारणा के साथ लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है, सिर्फ उस अवधारणा के अनुकूल परिस्थितियां ही तय सीमा में तैयार हो जाए, तो उपलब्धि ही मानी जाएगी।

environment
पन्ना में ऐतिहासिक तालाबों का अस्तित्व संकट में
पन्ना जिला मुख्यालय में स्टेट जमाने के राजाओं ने लगभग एक दर्जन ऐतिहासिक तालाबों का निर्माण कराया था. इनमें लोकपाल सागर, बेनी सागर, धरम सागर, पथरिया तालाब, महाराज सागर तालाब, मिश्र की तलैया, मठ्या तालाब प्रमुख हैं Posted on 03 Mar, 2023 03:34 PM

मध्यप्रदेश के पन्ना में पुरखों के बनाए दर्जनों तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी पन्ना अपने यहाँ समृद्ध तालाबों की परम्परा के लिए खासी पहचान रखता था. शहर और उसके आसपास बरसाती पानी को सहेजने के लिए दर्जनों बड़े तालाब बनवाए गए थे.

बेनीसागर तालाब,Pc-मनीष वैद्य
केन-बेतवा लिंकिंग प्रोजेक्ट को लेकर मध्य प्रदेश के लोगों में नाराजगी 
Posted on 06 May, 2019 01:41 PM

अप्रैल की तपती धूप में 24 साल की गीता कौंदर 45 डिग्री के तापमान में मध्य प्रदेश के दौंधा गांव में एक कुएं से पानी ला रही है। उस समय गांव की दूसरी महिला घर का चूल्हा जलाने के लिए पास के जंगल में लकड़ियां इकट्ठा रही है। ये बुंदेलखंड के लोगों के जीवन का एक हिस्सा है। छतरपुर जिले के दौंधा गांव जैसे आधा दर्जन गांव के लोंगों को बिजली और पानी जैसी समस्याओं से रोज रूबरू होना पड़ता है। जब वे बीमार होते है

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भारत के मध्य क्षेत्र की सूखती और प्रदूषित होती नदियों का सन्देश
Posted on 06 Mar, 2017 12:58 PM


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे सीहोर, अशोकनगर, रायसेन, गुना, राजगढ़ और विदिशा जिले में बहने वाली 32 नदियों में से केवल पाँच नदियों में थोड़ा-बहुत प्रवाह बचा है। रायसेन और विदिशा जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली बारहमासी बेतवा नदी मार्च के पहले सप्ताह में ही अपने मायके में सूख गई है।

बेतवा नदी
बुंदेलखण्ड में मुश्किलों का नया दौर
Posted on 21 Oct, 2011 12:59 PM

कटान, खदान और जमीन हड़पो अभियान

talab
बुंदेलखंड : विकास से कोसों दूर
Posted on 14 Apr, 2010 08:54 AM मध्य प्रदेश के छतरपुर, दमोह, दतिया, पन्ना, सागर, टीकमगढ़ एवं उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, जालौन, ललितपुर महोबा जिलों को बुंदेलखंड में गिना जाता है। यह क्षेत्र भारत के सर्वाधिक पिछड़े इलाकों में से एक है। काफी अरसे से बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाए जाने की मांग उठाई जाती रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस क्षेत्र को मिले प्रतिनिधित्व ने इस संभावना को और ज्यादा बल दिया है।
बुंदेलखंड : पैकेज नहीं, नई सोच चाहिए
Posted on 18 Oct, 2009 06:10 PM यही विडंबना है कि राजनेता प्रकृति की इस नियति को नजरअंदाज करते हैं कि बुंदेलख
Bundelkhand
बारिश के दिनों की संख्या घटी: कैसे होगा सूखे का सामना
Posted on 03 Sep, 2009 12:25 PM
बुंदेलखंड में अकाल और सूखे के घाव गहरे होते जा रहे हैं. जीवन की संभावनाएं क्रमशः कम होती जा रही हैं. लोग बड़ी उम्मीद से आसमान में टकटकी लगाए देख रहे हैं लेकिन साल दर साल बादल धोखा दे कर निकल जा रहे हैं. पिछले 10 सालों में बारिश के दिनों की संख्या 52 से घट कर 23 पर आ गई है.
बुंदेलखंड मे सूखे की आशंका
Posted on 02 Aug, 2009 09:19 AM
छतरपुर। भारी बारिश से प्रदेश के कई अंचल तबाह हैं, वहीं बुंदेलखंड में मौसम की बेरूखी से सूखे की स्थिति निर्मित होने लगी है। लोगों को अभी से गर्मी में होने वाले भीषण जलसंकट की चिंता सताने लगी है। अपर्याप्त बारिश से बुंदेलखंड की धरती की प्यास नहीं बुझी है। बुंदेलखंड में आने वाले सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और दमोह जिले में अभी तक औसत से एक चौथाई बारिश भी नहीं हुई है, जबकि क्षेत्र में सामान्य रूप से
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