मनीष वैद्य

मनीष वैद्य
मनीष वैद्य


मनीष वैद्य जमीनी स्तर पर काम करते हुए बीते बीस सालों से लगातार पानी और पर्यावरण सहित जन सरोकारों के मुद्दे पर शिद्दत से लिखते–छपते रहे हैं। देश के प्रमुख अखबारों से छोटी-बड़ी पत्रिकाओं तक उन्होंने अब तक करीब साढ़े तीन सौ से ज़्यादा आलेख लिखे हैं। वे नव भारत तथा देशबन्धु के प्रथम पृष्ठ के लिये मुद्दों पर आधारित अग्रलेख तथा नई दुनिया के सम्पादकीय पृष्ठ पर भी लगातार विचारोत्तेजक टिप्पणियाँ लिखते रहे हैं।

मनीष का दूसरा कथा संग्रह 'फुगाटी का जूता' देशभर में ख़ासा चर्चित और बहुप्रशंसित रहा है। इस पर उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों पहला 'शब्द छाप सम्मान' एक लाख रुपए की धनराशि के साथ प्रदान किया गया। इस पर उन्हें प्रतिष्ठित 'वागीश्वरी सम्मान' और  'शब्द साधक सम्मान' से भी नवाजा गया है।
इण्डिया टुडे, जनसत्ता, आउटलुक, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, डेली न्यूज़, दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी, ग्रासरूट, सुबह सवेरे, जल पंचायत, पोर्टल सत्याग्रह सहित कई पत्र–पत्रिकाओं में भी लिखते रहे हैं। इसके अलावा आकाशवाणी से भी प्रसारण होता रहा है।

वे ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी काम करने वाली संस्था एकलव्य, भारत ज्ञान–विज्ञान समिति, जन विज्ञान नेटवर्क, जनस्वास्थ्य अभियान, जनवादी लेखक संघ तथा पानी के काम पर केन्द्रित विभावरी सहित अन्य जन संगठनों से जुड़े रहकर काम करते रहे हैं। देवास शहर में पहली बार शुरू हुए बारिश के पानी को सहेजने के लिये रूफ वाटर हार्वेस्टिंग को जन मुहिम बनाने में भी भूमिका निभाई।

मनीष ग्रामीण जीवन और उनकी ज़रूरतों, विसंगतियों और जिजीविषा को अपनी कहानियों के माध्यम से भी व्यक्त करते रहे हैं। उनकी करीब सौ से ज़्यादा कहानियाँ प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं हंस, पाखी, कथादेश, साक्षात्कार, परिकथा, समावर्तन आदि में प्रकाशित होती रही हैं। उनका पहला कहानी संग्रह 'टुकड़े–टुकड़े धूप' प्रकाशित हुआ है। वे आलोचना के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। उन्होंने अहल्या विवि से हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता में एमफिल की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की है। उन्होंने राहुल सांस्कृत्यायन के यात्रा साहित्य पर शोध प्रबन्ध भी लिखा है।

 

 

मनीष वैद्य के सारे लेख यहाँ देख सकते हैं।

 

 

 

 

पन्ना में ऐतिहासिक तालाबों का अस्तित्व संकट में
पन्ना जिला मुख्यालय में स्टेट जमाने के राजाओं ने लगभग एक दर्जन ऐतिहासिक तालाबों का निर्माण कराया था. इनमें लोकपाल सागर, बेनी सागर, धरम सागर, पथरिया तालाब, महाराज सागर तालाब, मिश्र की तलैया, मठ्या तालाब प्रमुख हैं
Posted on 03 Mar, 2023 03:34 PM

मध्यप्रदेश के पन्ना में पुरखों के बनाए दर्जनों तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी पन्ना अपने यहाँ समृद्ध तालाबों की परम्परा के लिए खासी पहचान रखता था. शहर और उसके आसपास बरसाती पानी को सहेजने के लिए दर्जनों बड़े तालाब बनवाए गए थे.

बेनीसागर तालाब,Pc-मनीष वैद्य
कान्ह और सरस्वती नदियों के लिए संघर्ष
साफ़-सफ़ाई में लगातार छह बार देशभर में अव्वल रहने वाले देश के सबसे स्वच्छ और मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर के बीचो-बीच से गुज़रने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों की सफ़ाईकर उनके पुनर्जीवन की मांग की तख्तियाँ उठाए शहर के लोगों ने धरना दिया. मामला न्यायालय तक भी पहुँचा. लेकिन कुछ नहीं बदला. दोनों नदियाँ अब भी नाले की शक्ल में अपने दुर्भाग्य पर आँसू बहा रही हैं.  
Posted on 20 Feb, 2023 10:32 AM

इंदौर शहर में बुद्धिजीवियों के संगठन अभ्यास मंडल के धरने में शामिल लोगों में इस बात को लेकर ख़ासा आक्रोश था कि एक तरफ़ नगर निगम शहर को सजाने-सँवारने पर करोड़ों रूपए की फिजूलखर्ची कर रहा है लेकिन एक समय में इंदौर की पहचान रही शहर के मध्य से गुज़रने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों के नाम पर सिर्फ़ खानापूर्ति ही की जाती रही है.

इंदौर के बुद्धिजीवियों का संगठन अभ्यास मंडल का कान्ह को लेकर धरना
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