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नर्मदा - एक परिचय
Posted on 19 Sep, 2009 01:31 PM
नर्मदा नदीअमृतमयी पुण्य
Narmada
निहित स्वार्थ का पर्याय ‘नदी जोड़ परियोजना’
Posted on 18 Sep, 2009 09:02 PM अजीब विरोधाभास है कि एक तरफ तो भारत सरकार की केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय इस परियोजना पर आगे बढ़ने की बात कहती है तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के ही राहुल गांधी एवं जयराम रमेश सरीखे प्रमुख नेता इसे विनाशकारी बताते हैं। चाहे जो भी हो, जब प्रस्तावित 30 जोड़ों में से एक की भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार न हो तो इस परियोजना के पक्ष में दावे खोखले नजर आते हैं।

अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के सबसे चहेते नेता राहुल गांधी ने चेन्नई में एक प्रेस सम्मेलन में कहा कि नदी जोड़ योजना भारत के पर्यावरण के लिए बहुत ही विनाशकारी है। राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री के करूणनिधि ने इस परियोजना के पक्ष में दलील दी। इस तरह यह मुद्दा एक बार फिर जीवंत हो गया है। अब यदि प्रमुख सत्ताधारी दल के एक प्रमुख नेता की ओर से ऐसे बयान आ रहे हैं तो इसका निहितार्थ जानना भी जरूरी है। यह तो जानी हुई बात है कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना भारत में जल संसाधन क्षेत्र में अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। सन 2001 के कीमत स्तर पर इस पूरी परियोजना की प्रस्तावित लागत ‘पांच लाख साठ हजार करोड़’ आंकी गई थी।

नदी परियोजनायें: बेहतर विकल्प ढूँढें वैज्ञानिक और विशेषज्ञ
Posted on 08 Sep, 2009 09:51 AM

उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों पर 200 जल विद्युत परियोजनायें प्रस्तावित हैं। इन परियोजनाओं को ‘रन ऑफ द रिवर’* कहा जा रहा है। मगर वास्तव में बाँध और तटबंधों द्वारा नदियों को एक के बाद एक सुरंगों में डाला जा रहा है। समूची घाटियों का पानी अब नदियों में नहीं, बल्कि सुरंगों में बहेगा और बीच-बीच में वह कहीं सतह पर दिखाई भी देगा तो ऊर्जा उत्पादन के लिये।
यमुना किनारे विहार
Posted on 06 Aug, 2009 09:48 AM आईटीओ के पास यमुना का जो किनारा है वहां एक सूखे दिन में जाना हुआ तो पैर में पहनी खुली काली चप्पलें मट
नदियों की उपेक्षा
Posted on 06 Aug, 2009 08:00 AM
इसलिए जब हम व्यवस्था को बदलने की बात करते हैं तो इसका तात्पर्य उस दासत्व से आजादी भी है। स्वतंत्रता की यह लड़ाई उससे भी बड़ी और कठिन है जो हम ने गांधीजी के नेतृत्व में लड़ी थी। तब जो गलती हुई थी वह अब नहीं होनी चाहिए।
चंबल नदी में घडियाल आबाद
Posted on 24 Jul, 2009 08:09 AM
वन्य जीव प्रेमियों के लिए चंबल क्षेत्र से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। किसी अज्ञात बीमारी के चलते बड़ी संख्या में हुई डायनाशोर प्रजाति के विलुप्तप्राय घडि़यालों के कुनबे में सैकड़ों की संख्या में इजाफा हो गया है। अपने प्रजनन काल में घडि़यालों के बच्चे जिस बड़ी संख्या में चंबल सेंचुरी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं वहीं चंबल सेंचुरी क्षेत्र के अधिकारियों की अनदेखी से घडि़यालों के इन नवजात बच्चों क
1500 करोड़ रुपये पानी में
Posted on 21 Jul, 2009 02:24 PM
नई दिल्ली. यमुना एक्शन प्लान के तहत नदी की सफाई के नाम पर पहले ही 1500 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और 4000 करोड़ रुपये मूल्य की एक अन्य परियोजना तैयार है. हालांकि इससे नदी की स्थिति में बहुत कम फर्क पडा है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने हाल ही यह कहा है कि नदी एक नाली से बेहतर स्थिति में नहीं है।
लूट ली हरमू नदी
Posted on 03 Jul, 2009 09:23 AM
रांची की लाइफ लाइन हरमू नदी का चीरहरण पहले तो किनारे बसे लोगों ने किया फिर जमीन दलालों ने ऐसी लूट मचायी कि नदी की पहचान भी मिटी और लोग धोखा भी खाते गए। प्रशासन द्वारा गंगानगर और विद्यानगर क्षेत्र में दूसर दिन बुधवार को हरमू नदी की युद्धस्तर पर हुई मापी के दौरान एसे मामलों का खुलासा हुआ। मापी में महज आधा किलोमीटर क्षेत्र में हरमू नदी के पेट में 45 से भी अधिक मकान बनने के भी निशान मिले।
जीवन दायिनी आज खुद लाचार
Posted on 25 Jun, 2009 09:40 AM
महोबा- मुख्यालय के पश्चिम में स्थित पड़ोसी गांव चांदौ, चंद्रपुरा के पहाड़ी झरनों से निकली चंद्रावल नदी हजारों साल अपने किनारे बसने वाले आधा सैकड़ा से ज्यादा गांवों को जीवन का अमृत पिलाती रही। चंद्रावल बांध के साथ आधा सैकड़ा से ज्यादा गांवों की जीवनदायिनी यह नदी वक्त और प्रदूषण की मार से खुद का अस्तित्व नहीं बचा सकी। इस नदी के सूख जाने से अब बांध के अस्तित्व पर भी ग्रहण लग गया है।
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