नदियां

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डॉल्फिन बचेगी तब, अगर . . .
Posted on 10 Oct, 2009 08:07 AM
5 अक्टूबर को सम्पन्न गंगा प्राधिकरण की पहली बैठक में जो महत्वपूर्ण निर्णय हुआ वह यह कि गंगा में निवास करनेवाली डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलचर घोषित कर दिया गया. बाघ और मोर के बाद डाल्फिन को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाना डाल्फिन को उसकी गरिमा तो दिलाता है लेकिन हकीकत यह है कि देश के नदियों के पवित्र जल में निवास करनेवाली डाल्फिन का अस्तित्व खतरे में है.
Dolphin India
गंगा के मायके का हाल अच्छा नहीं है
Posted on 05 Oct, 2009 07:35 AM

उत्तरकाशी जिले में स्थित 4,000 मीटर से लेकर 1,500 मीटर में स्थित गोमुख, भोजवासा, धराली, हर्शिल, दानपुर, रैंथल, दयारा, बड़कोट, नौगाँव, खलाड़ी, पुरोला क्षेत्रों के एक सामान्य अध्ययन से पता चला कि यहाँ का जन जीवन दिन प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है। निरीह ग्रामीण विकराल होती आपदाओं के शिकार हो रहे हैं। साथ ही वातावरण, तापमान, भूमि, जैव विविधता, आजीविका, संस्कृति पर हो रहे प्रहारों से सहज जीवन भी क
नर्मदा में प्रदूषण
Posted on 22 Sep, 2009 11:42 AM

आज सभी विकासशील देशों में पेयजल का संकट गहरा है । जहां तक भारत का प्रश्न है नदियों,झीलों तालाबों और कुओं से हमें जो जल मिलता है, उसका 70 प्रतिशत प्रदूषित होता है । महानगरों की जल समस्या तो विकट बनती जा रही है । वहाँ प्रदूषण इतना बढ गया है कि अनुपचारित पानी पेय नहीं रहा । उसे पीने योग्य बनाने के लिए विभिन्न रसायनों का प्रयोग करना पडता है, जिससे पानी का प्रकृतिक स्वाद नष्ट हो जाता है । वृक्षों
सहायक नदियां
Posted on 22 Sep, 2009 10:08 AM

तवा नदीनर्मदा नदी शहडोल जिले के

tawa river
नर्मदा की परिक्रमा
Posted on 21 Sep, 2009 09:49 AM
नर्मदा जी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप है। गंगा जी ज्ञान की, यमुना जी भक्ति की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की और सरस्वती जी विवेक के प्रतिष्ठान के लिये संसार में आई हैं। सारा संसार इनकी निर्मलता और ओजस्विता व मांगलिक भाव के कारण आदर करता है व श्रद्धा से पूजन करता है। मानव जीवन में जल का विशेष महत्व होता है। यही महत्व जीवन को स्वार्थ, परमार्थ से जोडता है।
नर्मदा पर बाँध
Posted on 21 Sep, 2009 09:32 AM
नर्मदा को कुवाँरी नदी माना जाता है । अब तक बांधों के पाश से मुक्त रही नर्मदा का आचरण भी एक चिर कुमारी लावण्यमयी नवयुवती जैसा ही रहा है । कभी उछल-कूद करते हुए उफनते प्रपातों का अकस्मात् निर्माण कर देना और नीचे उतरते ही सहसा स्तब्ध कर देने वाली नीरवता पैदा कर देना नर्मदा को खूब आता है । करोडों वर्षों से बंधन मुक्त जीवन जी रही नर्मदा अपने विविध नामों के अनुरूप नानाविध रूपों की मोहक झांकियां दिखाती रह
नर्मदा का जल ग्रहण क्षेत्र
Posted on 20 Sep, 2009 01:44 PM
नर्मदा नदी शहडोल जिले के अमरकंटक (22.40श् उ0, 80*45श् पू0) से 1051 मीटर की ऊंचाई से निकलकर भडोच (21*43श् उ0, 72*57श् पू0) के निकट खंभात की खाडी में गिरती है । इसकी कुल लम्बाई 1312 कि0मी0 है । यह 1077 कि0मी0 तक मध्यप्रदेश के शहडोल, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खण्डवा तथा खरगोन जिलों से होकर बहती है । इसके बाद 74 कि0मी0 तक महाराष्ट्र को स्पर्श करती हुई बहती है, जिसमें 34 कि0मी0 तक मध्यप्रदे
नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र
Posted on 20 Sep, 2009 01:23 PM

भगवान शिव की आज्ञा से नर्मदा जो कन्या रूप में थीं तुरन्त जल रूप में परिणित होकर पश्चिम दिशा की ओर चल पडीं। उद्गम स्थल से 83 किलोमीटर तक पश्चिम तथा उत्तर पश्चिम दिशा में इनका बहाव अग्रसर होता है। इसी मार्ग में उद्गम स्थल से लगभ्ग 6 किलोमीटर पर कपिल धारा स्थान में रेवा 35 मीटर की ऊँचाई से गिरकर सुंदर व बहुत ही आकर्षक जलप्रपात बनाती हुई नीचे की ओर बढ जाती है। कुछ ही दूर पर दूधधारा नामक जलप्रपात
नर्मदा के अनेक नाम
Posted on 19 Sep, 2009 07:44 PM
म0प्र0 की जीवन रेखा कहलाने वाली नर्मदा नदी प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भारत की सात सर्वाधिक पवित्र नदियों में से एक है । हिन्दुओं के छोटे-बडे सभी धार्मिक संस्कारों और देवी-देवताओं के पूजन में स्नान के लिए चढाए जाने वाले जल को अभिमंत्रित करने के लिए छः अन्य पवित्र नदियों के साथ नर्मदा का भी आव्हान किया जाता है । यद्यपि ऋग्वेद में नर्मदा का उल्लेख नहीं मिलता, परन्तु इस बारे में विद्वानों का मत
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