ग्रीनपीस इंडिया

ग्रीनपीस इंडिया
विदर्भ के जल संकट के कारण होंगे थर्मल पॉवर स्टेशन
Posted on 14 Dec, 2012 10:55 AM

ग्रीनपीस ने जारी की वैज्ञानिक रिपोर्ट, कहा सिंचाई क्षमता पर पड़ेगा बुरा असर, ऐसी योजनाओं पर तत्काल रोक


विदर्भ देश के सबसे पिछड़े इलाकों में माना जाता है। वहां पर देश के सबसे ज्यादा किसानों ने अत्महत्या की है। सिंचाई के समुचित प्रबंध न होना और मौसम का अनियमित होना विदर्भ के किसानों के दुख का सबसे बड़ा कारण है। पर सरकारों की कंपनी पक्षधर नीतियों ने किसानों के उपलब्ध जल में से ही कंपनियों को देना शुरू कर दिया है। सिंचाई को उपलब्ध होने वाला पानी कंपनियों को देने से किसानों का कृषि संकट बढ़ेगा ही। महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई से हटाकर शहरी और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए जल आवंटन का रास्ता विदर्भ के लिए खतरनाक साबित होगा। उस पर तुर्रा यह कि 123 थर्मल पॉवर प्लांट लगने हैं और सभी को बेशुमार पानी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया का सिंचाई परियोजनाओं पर बूरा असर पड़ेगा, बता रही है ग्रीनपीस की रिपोर्ट।

मुंबई, 3 दिसम्बर, 2012: ग्रीनपीस ने आज वर्धा व वैनगंगा नदी में जल उपलब्धता व थर्मल पावर प्लांट्स से इन नदियों पर होने वाले प्रभाव पर एक वैज्ञानिक रिपोर्ट (1) जारी करते हुए कहा कि विदर्भ क्षेत्र में चल रहे तापीय बिजली घरों द्वारा पानी की अतिरिक्त मांग करने से आने वाले दिनों में पूरे इलाके में जल संकट बढ़ जायेगा और सिंचाई व अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी मिलना मुश्किल होगा।
जंगल बचाने के लिए पेड़ पर डाला डेरा
Posted on 22 Sep, 2012 02:59 PM
ग्रीनपीस इंडिया के अभियानकर्ता ब्रिकेश सिंह इन दिनों महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में एक पेड़ पर डेरा डाले बैठे हैं। ब्रिकेश ने मध्य भारत के जंगलों में कोयला खनन के विरोध का यह अनूठा तरीका निकाला है। इस महीने की पहली तारीख (1st सितंबर) को इस पेड़ पर चढ़ने के बाद ब्रिकेश पूरा एक महीना यहीं पेड़ पर रहकर बिताएंगे।
जंगलिस्तान बचाने का अनूठा प्रयोग
अक्षय ऊर्जा के जरिये अपना जीवन रौशन करनेवाले लोगों के उद्यम से जुड़ी़ रिपोर्ट
Posted on 31 May, 2012 12:38 PM

भारत के पास मौका है कि वह अपनी भावी ऊर्जा अधिसंरचना का निर्माण इस तरीके से करे कि ऊर्जा से वंचित तबकों को न्यायप

सशक्त बिहार : ऊर्जा हासिल करने के लिए नीतिगत कदम
Posted on 31 May, 2012 10:31 AM

बिहार के ग्रामीण इलाकों की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए संस्थागत और सरकारी स्तर पर अपनाने की जरूरत है। इन इलाक

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