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/regions/madhya-pradesh-1
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बरगी बांध से विस्थापन के बाद बड़े किसान भी अब मज़दूर बन गए हैं। अब इस परियोजना के कारण उनकी स्थिति और भी खराब होने वाली है। यह परियोजना ना केवल तीन गाँवों के जीवन-मरण का प्रश्न है। वरन् प्रस्तावित परियोजना के 30 किलोमीटर के दायरे आने वाले सभी गाँवों के इंसानों-जीव-जतुंओं और पर्यावरण के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है। प्रश्न सामने है कि जबलपुर के रहने वाले 22 लाख लोग जब विकिरण युक्त पानी पिएंगे तब क्या होगा? तो क्या मध्य प्रदेश राज्य में पंजाब की तरह कैंसर ट्रेन चलेगी? अभी भोपाल गैस कांड से पीड़ितों की संख्या काबू में नहीं आ रहा है तो क्या जबलपुर को दूसरा भोपाल बनाने की तैयारी है।
पहले डूब अब धोखे से उजाड़ आज लगभग 13 साल हुए जब चुटका गांव बरगी बांध में डूबा था। 69 मीटर ऊंचा और 5.4 किलोमीटर लंबा बांध यह मध्य प्रदेश में नर्मदा पर बने 5 विशालकाय बांधों में से एक है जिसमें घोषणा से ज्यादा 60 गांव डूबे थे। बैठे-बैठे लोगों के जल-जंगल-ज़मीन, गांव, खेत डूब गए। बाद में सरकार से लड़-लड़ कर थोड़ी ज़मीन मिली। ज्यादातर लोगों ने जंगल और दूसरी सरकारी जमीनों पर कब्ज़े किए जिस पर बहुत समय बाद जमीनों के पट्टे मिल पाए। बड़े-बड़े किसान आज मज़दूर बने हैं। चुटका भी उन्हीं गाँवों में से एक है जिसे लोगों ने अपनी ताकत से खड़ा किया है, वरना 4000 रु. प्रति एकड़ मिले मुआवज़े में कौन सा घर बना पाते? कौन सी ज़मीन ख़रीद पाते?