मध्य प्रदेश

Term Path Alias

/regions/madhya-pradesh-1

पहले डूब अब धोखे से उजाड़
Posted on 11 May, 2013 03:21 PM

बरगी बांध से विस्थापन के बाद बड़े किसान भी अब मज़दूर बन गए हैं। अब इस परियोजना के कारण उनकी स्थिति और भी खराब होने वाली है। यह परियोजना ना केवल तीन गाँवों के जीवन-मरण का प्रश्न है। वरन् प्रस्तावित परियोजना के 30 किलोमीटर के दायरे आने वाले सभी गाँवों के इंसानों-जीव-जतुंओं और पर्यावरण के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है। प्रश्न सामने है कि जबलपुर के रहने वाले 22 लाख लोग जब विकिरण युक्त पानी पिएंगे तब क्या होगा? तो क्या मध्य प्रदेश राज्य में पंजाब की तरह कैंसर ट्रेन चलेगी? अभी भोपाल गैस कांड से पीड़ितों की संख्या काबू में नहीं आ रहा है तो क्या जबलपुर को दूसरा भोपाल बनाने की तैयारी है।

पहले डूब अब धोखे से उजाड़ आज लगभग 13 साल हुए जब चुटका गांव बरगी बांध में डूबा था। 69 मीटर ऊंचा और 5.4 किलोमीटर लंबा बांध यह मध्य प्रदेश में नर्मदा पर बने 5 विशालकाय बांधों में से एक है जिसमें घोषणा से ज्यादा 60 गांव डूबे थे। बैठे-बैठे लोगों के जल-जंगल-ज़मीन, गांव, खेत डूब गए। बाद में सरकार से लड़-लड़ कर थोड़ी ज़मीन मिली। ज्यादातर लोगों ने जंगल और दूसरी सरकारी जमीनों पर कब्ज़े किए जिस पर बहुत समय बाद जमीनों के पट्टे मिल पाए। बड़े-बड़े किसान आज मज़दूर बने हैं। चुटका भी उन्हीं गाँवों में से एक है जिसे लोगों ने अपनी ताकत से खड़ा किया है, वरना 4000 रु. प्रति एकड़ मिले मुआवज़े में कौन सा घर बना पाते? कौन सी ज़मीन ख़रीद पाते?

आज इन्हीं चुटका निवासियों पर फिर “चुटका मध्य प्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना” के रूप में एक विस्थापन का नया खतरा सामने है। इस परियोजना से मुख्य रूप से तीन गाँव विस्थापित होंगे। बीजाडांडी, नारायण गंज (मंडला) तथा घंसौर (सिवनी) विकासखंड के लगभग 54 गाँव विकिरण से प्रभावित होंगे। 1400 मेगावाट बिजली बनाने हेतु बरगी जलाशय से पानी लिया जाएगा एवं पुनः उस पानी को जलाशय में छोड़ा जाएगा जिससे पानी प्रदूषित होंगा और मनुष्यों सहित इस पर आश्रित सभी जैविक घटकों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
स्वर्गीय साथी आशीष मंडलोई की स्मृति में युवा नेतृत्व शिविर
Posted on 10 May, 2013 02:15 PM तारीख : 18, 19, 20 मई, 2013
स्थान : गाँव छोटा बडदा, नर्मदा किनारे, तह-अंजड़, जिला-बड़वनी, मध्य प्रदेश


साथी आशीष मंडलोई की तीसरा स्मृति दिवस 20 मई, 2013 को होगा। आशीष भाई जैसे युवा साथियों ने देशके विभिन्न आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। नर्मदा आंदोलन के पिछले 28 सालों में कई सारे युवाओं ने गाँव-गाँव को जगाने में, आंदोलन की वैचारिक भूमिका और रणनीति तय करने में, शासन को जनशक्ति के आधार पर चुनौती देने में अपना योगदान दिया है। हमारे साथ जुड़े पहाड़ी एवं मैदानी गाँवों में भी युवा पीढ़ी अब नेतृत्व करने के लिए आगे आती है, तभी और वही आंदोलन का संघर्ष एवं निर्माण का कार्य आगे बढ़ पाता है। चाहे आंदोलन की जीवनशालाएँ हो, चाहे कड़े जल सत्याग्रह, चाहे गांव में या कोर्ट, हर मोर्चे पर युवा कार्यकर्ता और आंदोलनकारियों की जरूरत महसूस होती है।

यही हकीकत.....शहरी ग़रीबों के घर बचाओं-घर बनाओ आंदोलन, वांग-मराठवाडी, टाटा या लावासा के विरोध के आंदोलन.......जैसे हमारे हर स्थानीय तथा राष्ट्रीय संगठन व आंदोलन की है।
खुले में शौच के खिलाफ ग्रामीण महिलाओं ने जीती जंग
Posted on 30 Apr, 2013 03:37 PM भगोर पंचायत की ग्राम सभा में महिलाओं ने उठाई सामूहिक आवाज़, प्रशासन ने मंज़ूर किए 386 शौचालय

ग्राम पंचायत भगोर। इसमें दो गांव भगोर व केसरिया। 2900 आबादी जिसमें 1500 पुरुष और महिलाएं 1400। नौ पंच व सरपंच भी महिला। सभी ने खुले में शौच के खिलाफ उठाई ज़ोरदार आवाज़। लगातार शासन-प्रशासन से लड़ाई लड़ी। नतीजा, प्रशासन ने पूरे गांव के लिए 386 शौचालय मंज़ूर कर दिए हैं।
यांगत्से नदी का स्पर्श
Posted on 27 Apr, 2013 04:31 PM ग्रीन वाटरशेड प्रोजेक्ट के मुखिया प्रोफेसर यू झिंओंगोंग (XIAOGANG),
जवानी में ही बूढ़े दिखने लगे हतेड़ा गांव के लोग
Posted on 23 Apr, 2013 01:50 PM फ्लोराइड का असर, हाथ-पैर हो गए टेढ़े, कमर भी झुकी... और पीले होकर झडऩे लगे हैं दांत
आमंत्रण- विकास संवाद सातवाँ मीडिया सम्मेलन, 29,30 जून एवं 1 जुलाई 2013, केसला
Posted on 04 Apr, 2013 09:40 PM विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है| हालाँकि इस बार हम अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे| तो इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें|

आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ| बांधवगढ़, चित्रकूट,महेश्वर, छतरपुर, फिर पचमढ़ी के बाद इस बार हम केसला में यह आयोजन करने जा रहे हैं| इस बार कई दौर की बैठकों के बाद केसला संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है|

मध्य प्रदेश में शुरू हुआ जलाभियान
Posted on 26 Mar, 2013 09:52 AM देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। वाटर एड की ममता दास की यह टिप्पणी है कि अभियान की अगुवाई प्रभावित लोगों को ही करना है, जिसमें सिविल सोसायटी के लोग सहयोग करेंगे।जल अधिकार को लेकर मध्य प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा स्वैच्छिक संस्थाओं ने हाथ मिला लिया है और उन्होंने प्रदेश में जलाभियान शुरू कर दिया है। कई जिलों के सुदूर अंचलों से आए वंचित तबक़ों की उपस्थिति में भोपाल में आयोजित एक रैली के बाद अभियान की शुरुआत की गई। प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर अभियान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से पानी ज्यादा प्रदूषित हुआ है। लोगों को अपनी आदतों में सुधार लाना होगा एवं पानी के दोहन को रोकना होगा, तभी हम जल बचा पाएंगे। सरकार ने पानी बचने के लिए कई योजनाएं बनाई है। जरूरत है कि हम सबको आरोप-प्रत्यारोप से परे होकर मिलजुलकर काम करने की।
भय फैलाते अभ्यारण्य
Posted on 04 Mar, 2013 11:36 AM सहरियाओं की दुर्गति यहीं समाप्त नहीं होती। राज्य ने अब कुनो के नजद
मौसम बदलाव में कारगर है बेंवर खेती
Posted on 22 Feb, 2013 02:59 PM अध्ययन बताते हैं कि बेंवर खेती से जंगल को नुकसान नहीं पहुँचता है। इसमें बड़े लकड़ी पेड़ों को नहीं जला
no-till farming
×