मध्य प्रदेश

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पलकमती सर्वे के दौरान मनोज के अनुभव
Posted on 15 Feb, 2013 11:36 AM कहते हैं कि जल ही जीवन है लेकिन हम इस पर विचार नहीं करते क्योंकि पलकमती नदी के सर्वे के दौरान ग्रामीण लोगों से मिलने और उनसे बात करने में लगा कि जो व्यक्ति वन क्षेत्र में निवास करते वह पूरी तरह से नदी के जल पर निर्भर हैं, लेकिन अपने गांव के किनारे से बहने वाली नदी का आज जो हाल है उसके बारे में जरा सा ध्यान नहीं है। वहीं एक तरफ अगर हमने मैदानी क्षेत्र वाले ग्रामीण व्यक्तियों से नदी के बारे में जानक
तृतीय अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव का उद्घाटन
Posted on 08 Feb, 2013 06:35 PM होशंगाबाद, 8 फरवरी 2013। नर्मदा और तवा के संगम स्थल बांद्राभान में ‘तृतीय अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव’ की शुरुआत हुई। नदियों की संरक्षण और शुद्धिकरण की दिशा तय करने के लिए बांद्राभान में चार दिवसीय नदी महोत्सव आज 8 फरवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगा। कार्यक्रम में 60 से भी अधिक नदियों पर काम करने वाले लोग भागीदारी कर रहे हैं। विभिन्न नदियों और पानी पर काम करने वाले लगभग 1000 लोग इस पूरे आयोजन में भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन आरएसएस के सरसंघसंचालक मोहन भागवत ने किया और सत्र की अध्यक्षता साहित्यकार और नर्मदा समग्र के अध्यक्ष अमृतलाल बेगड़ ने की। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए श्री बेगड़ ने कहा कि जीवन की उत्पत्ति पानी में हुई। पर धीरे-धीरे पानी से जीवन समाप्त होता जा रहा है। कार्यक्रम का दृष्टिकोण रखते हुए भागवत जी ने कहा, ‘नदियों की चिंता सारे विश्व की चिंता है। मूल बात दृष्टिकोण की है, दृष्टि गड़बड़ हो जाने से हम प्रकृति के साथ जीना भूल गए हैं जिससे मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ गया है।’ उद्घाटन सत्र का संचालन दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान से जुड़े अतुल जैन ने किया और संयोजन नर्मदा समग्र के अनिल माधव दवे ने किया।

अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव
क्या बच पाएगी नर्मदा की मेला संस्कृति
Posted on 30 Jan, 2013 05:09 PM नर्मदा पर नया संकट आ गया है। कुछ थर्मल पावर प्लांट व एक परमाणु बिज
narmada river mela
उपभोक्ता फोरम ने पानी के निजीकरण संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाई
Posted on 28 Jan, 2013 09:56 AM एक महत्‍वपूर्ण घटनाक्रम में खण्‍डवा के उपभोक्ता फोरम ने दिनांक 31 दिसंबर 2012 में स्‍थानीय नगरनिगम को आदेश दिया है कि वह पानी के निजीकरण संबंधी नोटिफिकेशन पर प्राप्‍त समस्‍त आपत्तियों का निराकरण करें। अगली सुनवाई 22 जनवरी 2013 निर्धारित की गई है।

आपको जानकारी होगी कि खण्‍डवा (मध्‍यप्रदेश) में जलप्रदाय का निजीकरण किया जा रहा है। नगरनिगम ने इस संबंध में 3 दिसंबर 2012 को एक अधिसूचना प्रकाशित कर नागरिकों से आपत्ति / सुझाव माँगें हैं निजीकरण के खिलाफ नागरिकों की प्रतिक्रिया उत्‍साहवर्धक रही। 2 जनवरी 2013 तक 10,334 से अधिक नागरिकों ने पीपीपी, निजीकरण और 24/7 जलप्रदाय के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई है।

मनरेगा के सामाजिक अंकेक्षण पर जनसुनवाई सम्पन्न
Posted on 23 Jan, 2013 11:26 AM भोपाल, जन सुनवाई के प्रमुख जूरी सदस्य एवं राज्य सभा सदस्य, श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या निर्लजता हो गई है जो भ्रष्टाचार से बड़ी है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आज कोई भी गलत कार्य करने में कोई डर महसूस नहीं करता और न रिश्वत के लेन-देने से डरता है, हर जगह निर्लजता फैल चुकी है, इसे रोकना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कानून वही अच्छा होता है जो सरल, सुलभ और उपयोगी हो और व्यवस्था भी वही अच्छा होता है जो दिखता न हो परन्तु मजबूत और सशक्त हो।
मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना : पानी के निजीकरण का समर्थन
Posted on 10 Jan, 2013 10:59 AM भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के माध्यम से पानी के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने इस योजना के लिए विश्व बैंक से कर्ज लेने की गुहार लगाई है। जबकि भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पानी के निजीकरण के ऐसे प्रस्ताव का विरोध किया है। खण्डवा में भी पानी के निजीकरण का नागरिकों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। हाल ही पारित राष्ट्रीय जल नीति न
Anti Water Privatization
पेयजल एवं शौचालय बिना कैसे पसंद आए स्कूल
Posted on 31 Dec, 2012 03:56 PM एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले अक्तूबर में सर्वोच्च न्या
भोपाल के भूजल में बढ़ता जा रहा है प्रदूषण
Posted on 29 Dec, 2012 01:45 PM यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुका है। समय बीतने के साथ ही इसका निपटारा कठिन से कठिन होता जा रहा है। 1993-95 में कमर सईद नाम के ठेकेदार को रसायनिक कचरा पैक करने का जिम्मा दिया गया था। उसने फैक्ट्री के आसपास के डंपिंग साइट से बहुत ही कम कचरे की पैक किया था, जो लगभग 390 टन था। उसके बाद परिसर एवं परिसर से बाहर इंपोरेशन तालाब में पड़े कचरे को पैक करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कचरे को डंप करने के लिए बनाए गए सोलर इंपोरेशन तालाब की मिट्टी कितना जहरीला है, यह आज के लोगों को नहीं मालूम। अब तो यहां की मिट्टी को लोग घरों में ले जा रहे हैं एवं दीवारों में लगा रहे हैं। यूनियन कार्बाइड के जहरीले रासायनिक कचरे वाले इस मिट्टी को छुने से भले ही तत्काल असर नहीं पड़े, पर यह धीमे जहर के रूप में शरीर पर असर डालने में सक्षम है। कचरे का जहरीलापन इससे साबित होता है कि आसपास की कॉलोनियों के साथ-साथ यह 5 किलोमीटर दूर तक के क्षेत्र के भूजल को जहरीला बना चुका है। इलाके के भूजल का इस्तेमाल करने का साफ मतलब है, अपने को बीमारियों के हवाले करना। भोपाल गैस त्रासदी पर काम कर रहे विभिन्न संगठन लगातार यह आवाज़ उठाते रहे हैं कि यूनियन कार्बाइड परिसर एवं उसके आसपास फैले रासायनिक कचरे का निष्पादन जल्द से जल्द किया जाए, पर सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण आज भी यूनियन कार्बाइड परिसर के गोदाम में एवं उसके आसपास खुले में कचरा पड़ा हुआ है।
union carbide polluted groundwater in bhopal
लोगों को विकलांग बनाता पानी
Posted on 27 Dec, 2012 03:29 PM पारंपरिक जल स्रोतों, नदी-नालों व तालाब-बावड़ियों से पटे मध्य प्रदे
fluorosis
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