तारीख : 18, 19, 20 मई, 2013
स्थान : गाँव छोटा बडदा, नर्मदा किनारे, तह-अंजड़, जिला-बड़वनी, मध्य प्रदेश
साथी आशीष मंडलोई की तीसरा स्मृति दिवस 20 मई, 2013 को होगा। आशीष भाई जैसे युवा साथियों ने देशके विभिन्न आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। नर्मदा आंदोलन के पिछले 28 सालों में कई सारे युवाओं ने गाँव-गाँव को जगाने में, आंदोलन की वैचारिक भूमिका और रणनीति तय करने में, शासन को जनशक्ति के आधार पर चुनौती देने में अपना योगदान दिया है। हमारे साथ जुड़े पहाड़ी एवं मैदानी गाँवों में भी युवा पीढ़ी अब नेतृत्व करने के लिए आगे आती है, तभी और वही आंदोलन का संघर्ष एवं निर्माण का कार्य आगे बढ़ पाता है। चाहे आंदोलन की जीवनशालाएँ हो, चाहे कड़े जल सत्याग्रह, चाहे गांव में या कोर्ट, हर मोर्चे पर युवा कार्यकर्ता और आंदोलनकारियों की जरूरत महसूस होती है।
यही हकीकत.....शहरी ग़रीबों के घर बचाओं-घर बनाओ आंदोलन, वांग-मराठवाडी, टाटा या लावासा के विरोध के आंदोलन.......जैसे हमारे हर स्थानीय तथा राष्ट्रीय संगठन व आंदोलन की है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार या जल, जंगल, ज़मीन के मुद्दों पर कार्य करने वाले युवा साथियों का भी अपना-अपना अनुभव है। युवाओं को भी अपनी जिंदगी, जीने की राह तय करने के लिए, अपनी करियर-शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक कटिबद्धता और सहयोग निश्चित करने के लिए, एक दूसरे से तथा अनुभवी बुजुर्गों से आदान-प्रदान एवं एक साथ कार्य करने की जरूरत महसूस होती है। कई बार अपने परिवार से होकर समाज तक जूझते हुए भी, अपने सपने, देश-दुनिया में बदलाव लाने की ख्वाहिश और स्वयं का भविष्य तय करना पड़ता है।
कई सारे युवा अपनी-अपनी कुशलता, सृजनशीलता के बावजूद समूह से संगठन की और जाने का मार्ग तय करने के लिए, राह देखते हैं, एक विशेष परिस्थिति, नया अनुभव, प्रोत्साहन और सहायता की। बस यही मौका है, नर्मदा घाटी में हो रहे ‘युवा नेतृत्व शिविर’ का। सामाजिक ऋण मानने वाले, खुद की शिक्षा, रोज़गार, करियर के साथ-साथ, संगठित शक्ति और जन आंदोलन से परिवर्तनकारी रास्तों पर चलने की चाहत है, तो ज़रूर पधारे....अन्य युवा साथी एवं मार्गदर्शकों के साथ मिल जुलकर अपना भविष्य तय करने......एक बेहतर देश और दुनिया का सपना साकार करने.... शिविर में युवाओं के स्पंदन व सपने, अनुभव व विचार के साथ-साथ, पानी, उर्जा, आवास निर्माण के विकल्प, शिक्षा एवं भोजन अधिकार, विविध कानून और अपना संघर्ष, तथा आंदोलनों में पत्रकारिता-माध्यम, नेतृत्व की कुशलता और आगे की दिशा पर चर्चा, कार्य व मार्गदर्शन होगा।
....जीवन को सफल बनाने, आपके साथ रहेंगे विविध आंदोलन के युवा साथी तथा मार्गदशक के रूप में..........
कृष्णकान्त, चिन्मय मिश्रा, अरूण ठाकूर, विनय र.र., सुनीति सु.र., श्याम पाटील, डॉ. सुगन बरंठ, मेधा पाटकर व अन्य।
आइये ज़रूर! अन्य युवा साथियों को भी खबर करें।
प्रवेश मर्यादित, आज ही अपना नाम दर्ज करें।
संपर्क
नर्मदा आंदोलन
(09179148973/
7354382148/
07290.291464),
सुनीति, सु.र. (09423571784)
मीरा, दीपक मंडलोई, मुकेश, दीपमाला पटेल, कैलाश, पवन, अमूल्य निधि, भागीरथ, राहुल यादव, शीला, महादेव पाटीदार, डिंपल सेन, योगिनी, (09423944390)
छोटा बड़दा, अंजड तहसिल (जिला बड़वानी) से 6 कि.मी.की दूरी पर है। इंदौर से बड़वानी शहर के लिए हर आधा घंटें में सर्वटे बस स्टेशन (इंन्दौर) से बसें उपलब्ध हैं। अंजड शहर, बड़वानी से 16 कि.मी पहले है। बम्बई एवं पूना से आने वाले साथी जुलवानियां पर सुबह उतर जाए। जुलवानियां अजंड 1 घंटे बस की दुरी पर है।
स्थान : गाँव छोटा बडदा, नर्मदा किनारे, तह-अंजड़, जिला-बड़वनी, मध्य प्रदेश
साथी आशीष मंडलोई की तीसरा स्मृति दिवस 20 मई, 2013 को होगा। आशीष भाई जैसे युवा साथियों ने देशके विभिन्न आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। नर्मदा आंदोलन के पिछले 28 सालों में कई सारे युवाओं ने गाँव-गाँव को जगाने में, आंदोलन की वैचारिक भूमिका और रणनीति तय करने में, शासन को जनशक्ति के आधार पर चुनौती देने में अपना योगदान दिया है। हमारे साथ जुड़े पहाड़ी एवं मैदानी गाँवों में भी युवा पीढ़ी अब नेतृत्व करने के लिए आगे आती है, तभी और वही आंदोलन का संघर्ष एवं निर्माण का कार्य आगे बढ़ पाता है। चाहे आंदोलन की जीवनशालाएँ हो, चाहे कड़े जल सत्याग्रह, चाहे गांव में या कोर्ट, हर मोर्चे पर युवा कार्यकर्ता और आंदोलनकारियों की जरूरत महसूस होती है।
यही हकीकत.....शहरी ग़रीबों के घर बचाओं-घर बनाओ आंदोलन, वांग-मराठवाडी, टाटा या लावासा के विरोध के आंदोलन.......जैसे हमारे हर स्थानीय तथा राष्ट्रीय संगठन व आंदोलन की है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार या जल, जंगल, ज़मीन के मुद्दों पर कार्य करने वाले युवा साथियों का भी अपना-अपना अनुभव है। युवाओं को भी अपनी जिंदगी, जीने की राह तय करने के लिए, अपनी करियर-शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक कटिबद्धता और सहयोग निश्चित करने के लिए, एक दूसरे से तथा अनुभवी बुजुर्गों से आदान-प्रदान एवं एक साथ कार्य करने की जरूरत महसूस होती है। कई बार अपने परिवार से होकर समाज तक जूझते हुए भी, अपने सपने, देश-दुनिया में बदलाव लाने की ख्वाहिश और स्वयं का भविष्य तय करना पड़ता है।
कई सारे युवा अपनी-अपनी कुशलता, सृजनशीलता के बावजूद समूह से संगठन की और जाने का मार्ग तय करने के लिए, राह देखते हैं, एक विशेष परिस्थिति, नया अनुभव, प्रोत्साहन और सहायता की। बस यही मौका है, नर्मदा घाटी में हो रहे ‘युवा नेतृत्व शिविर’ का। सामाजिक ऋण मानने वाले, खुद की शिक्षा, रोज़गार, करियर के साथ-साथ, संगठित शक्ति और जन आंदोलन से परिवर्तनकारी रास्तों पर चलने की चाहत है, तो ज़रूर पधारे....अन्य युवा साथी एवं मार्गदर्शकों के साथ मिल जुलकर अपना भविष्य तय करने......एक बेहतर देश और दुनिया का सपना साकार करने.... शिविर में युवाओं के स्पंदन व सपने, अनुभव व विचार के साथ-साथ, पानी, उर्जा, आवास निर्माण के विकल्प, शिक्षा एवं भोजन अधिकार, विविध कानून और अपना संघर्ष, तथा आंदोलनों में पत्रकारिता-माध्यम, नेतृत्व की कुशलता और आगे की दिशा पर चर्चा, कार्य व मार्गदर्शन होगा।
....जीवन को सफल बनाने, आपके साथ रहेंगे विविध आंदोलन के युवा साथी तथा मार्गदशक के रूप में..........
कृष्णकान्त, चिन्मय मिश्रा, अरूण ठाकूर, विनय र.र., सुनीति सु.र., श्याम पाटील, डॉ. सुगन बरंठ, मेधा पाटकर व अन्य।
आइये ज़रूर! अन्य युवा साथियों को भी खबर करें।
प्रवेश मर्यादित, आज ही अपना नाम दर्ज करें।
संपर्क
नर्मदा आंदोलन
(09179148973/
7354382148/
07290.291464),
सुनीति, सु.र. (09423571784)
आपके स्नेहांकित
मीरा, दीपक मंडलोई, मुकेश, दीपमाला पटेल, कैलाश, पवन, अमूल्य निधि, भागीरथ, राहुल यादव, शीला, महादेव पाटीदार, डिंपल सेन, योगिनी, (09423944390)
कैसं पहुँचे
छोटा बड़दा, अंजड तहसिल (जिला बड़वानी) से 6 कि.मी.की दूरी पर है। इंदौर से बड़वानी शहर के लिए हर आधा घंटें में सर्वटे बस स्टेशन (इंन्दौर) से बसें उपलब्ध हैं। अंजड शहर, बड़वानी से 16 कि.मी पहले है। बम्बई एवं पूना से आने वाले साथी जुलवानियां पर सुबह उतर जाए। जुलवानियां अजंड 1 घंटे बस की दुरी पर है।
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