मध्य प्रदेश

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चीन ने रोका ब्रह्मपुत्र का पानी
Posted on 04 Oct, 2016 10:24 AM
चीन में बढ़ती आबादी के चलते इस समय 886 शहरों में से 110 शहर प
Brahmaputra river
चीन के बाँध से तिब्बत को होगा अधिक नुकसान
Posted on 03 Oct, 2016 12:43 PM
138 करोड़ आबादी वाले देश चीन की जरूरतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। चीन अपने हर नदी पर सिंचाई और बिजली की जरूरतों के लिये बाँध बना रहा है। यह काम वह पिछले दो दशक से कर रहा है। चीन की तेरहवीं पंचवर्षीय योजना में भी ब्रह्मपुत्र की मुख्यधारा पर कई बड़ी पनबिजली परियोजनाएँ बननी हैं। चीन ने सफाई दी है कि इससे भारत के हित प्रभावित नहीं होंगे। एक बात याद कर लेने की है कि चीन अपनी जरूरतों के लिये ब्रह्मपुत्र का अधिकतम इस्तेमाल करेगा। लेकिन सिक्किम, आसाम और अरुणाचल से आने वाली नदियों के कारण अभी फिलहाल तो ब्रह्मपुत्र नदी कोई सूखने नहीं जा रही है- कार्यकारी सम्पादक।
ब्रह्मपुत्र नदीब्रह्मपुत्र नदीउरी हमले में 18 सैनिकों की शहादत के बाद भारत की ओर से संकेत दिये गए कि वह पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द करने पर गम्भीरता से विचार कर रहा है। ऐसा संकेत मिलते ही सिंधु जल समझौते को लेकर तरह-तरह की व्याख्या की जाने लगी।
जिद से बदल दी आबोहवा
Posted on 02 Oct, 2016 04:09 PM
जेजांग चीन का एक प्रान्त है जो कुछ वर्ष पहले तक प्रदूषण की गिरफ्त में था। फैक्टरियों से निकलने वाली गन्दगी ने इस प्रान्त की सूरत बिगाड़ दी थी। आसपास की नदियों की भी दुर्दशा थी। असल में ऐसा इसलिये हुआ था क्योंकि इस प्रान्त में उद्योगीकरण तेज रफ्तार से हुआ था।
जिन हाओ के अभियान की सराहना करते पदाधिकारी
नर्मदा के पानी से बचाएँगे एशिया के डेट्रायट को
Posted on 02 Oct, 2016 02:38 PM
पीथमपुर में भूजल बुरी तरह प्रदूषित होता जा रहा है। यहाँ कुछ औ
महाशीर के बहाने नदी और नदी के बहाने जंगलों का चिन्तन
Posted on 01 Oct, 2016 11:20 AM
इस सम्मेलन में कोलकाता, नैनीताल, मुम्बई, उदयपुर, कर्नाटक, बंग
सौ साल पुराने तालाब का हैप्पी बर्थडे
Posted on 24 Sep, 2016 03:03 PM
तालाब को सौगात के रूप में निगम इसकी पाल पर स्टोन पिचिंग, रेलि
पानी की कमी, घटने लगे मोर
Posted on 22 Sep, 2016 04:22 PM
मोरों के प्राकृतिक विहार अब पूरी तरह उजड़ चुके हैं। जहाँ मोर
पानी की मार से पान पर संकट
Posted on 22 Sep, 2016 10:59 AM
गर्मियों के दिनों में तापमान 30 से 38 तक जाने लगा है वहीं अनि
250 साल बाद बावड़ी का पुनरुद्धार
Posted on 18 Sep, 2016 04:33 PM

आज भी जहाँ का समाज पानी के लिये उठ खड़ा होता है, वहाँ कभी किसी को पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ती। पानी की चिन्ता करने वाले समाज को हमेशा ही पानीदार होने का वरदान मिलता है। ऐसा हम हजारों उदाहरण में देख-समझ चुके हैं। अब लोग भी इसे समझ रहे हैं। बीते पाँच सालों में ऐसे प्रयासों में बढ़ोत्तरी हुई है। गर्मियों के दिनों में बूँद-बूँद पानी को मोहताज समाज के सामने अब पानी की चिन्ता करने और उसके लिये सामुदायिक प्रयास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

हमारे समाज में सैकड़ों सालों से पानी बचाने और उसे सहेजने के लिये जल संरचनाएँ बनाने का चलन है। जगह-जगह उल्लेख मिलता है कि तत्कालीन राजा-रानियों और बादशाहों ने अपनी प्रजा (जनता) की भलाई के साथ पानी को सहेजने और उसके व्यवस्थित पर्यावरण हितैषी तौर-तरीकों से, जिनमें कुएँ-बावड़ियाँ खुदवाने से लेकर तालाब बनवाने, नदियों के घाट बनवाने, प्यासों के लिये प्याऊ और भूखों के लिये अन्नक्षेत्र खोलने जैसे कदमों के साथ ही कहीं-कहीं छोटे बाँध बनाकर सिंचाई या लोगों के पीने के पानी मुहैया कराने के प्रमाण भी मिलते हैं।

पर यह भी सच है कि आज भी जहाँ का समाज पानी के लिये उठ खड़ा होता है, वहाँ कभी किसी को पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ती। पानी की चिन्ता करने वाले समाज को हमेशा ही पानीदार होने का वरदान मिलता है। ऐसा हम हजारों उदाहरण में देख-समझ चुके हैं। अब लोग भी इसे समझ रहे हैं।
पहाड़ पर लौटी हरियाली
Posted on 18 Sep, 2016 03:53 PM
सम्पर्क संस्था जैविक खेती पर जोर दे रही है। परम्परागत फसलों व
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