मध्य प्रदेश

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10. रोक बाँध
Posted on 30 Jan, 2010 01:50 PM

ये नदी-नालों पर बनाए गए सीमेंट-कांक्रीट के पक्के अवरोधक है। इसके निर्माण में स्थल चयन का कार्य महत्वपूर्ण है। नदी-नालों के ऊपरी भाग में, जहाँ इनकी चौडाई और गहराई अधिकतम हो तथा इनके दोनों किनारे पक्के हों, वहाँ रोक बाँध का निर्माण किया जा सकता है, जिससे कि अधिक से अधिक जलराशि रोकी जा सके। एक ही नदी-नाले पर कई जगहों पर रोक बाँध का निर्माण किया जा सकता है। रोक बाँध के द्वारा बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई

रोक बाँध
ऐसे किया जा सकता है जल संग्रहण
Posted on 30 Jan, 2010 09:48 AM सर्वत्र सुगमता से प्राप्त होने के कारण भूजल आदिकाल से सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रमुख स्रोत रहा है। सूखा एवं अकाल के समय यह स्रोत प्रमुख रूप से उपयोगी रहता है। साधारणतः भूजल रोगाणुरहित होने से पाने योग्य जल का सर्वोत्तम स्रोत है। ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से अधिक पेयजल स्रोत भूजल पर ही आधारित होते हैं। 50 से 80 प्रतिशत तक सिंचाई संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति भी इसी स्रोत द्वारा की जाती
जीवन दायिनी
Posted on 28 Jan, 2010 07:34 PM


झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के रूपापाड़ा की पहाड़ी................!

बूंदों को रोकने की चर्चा के साथ-साथ कभी हम नीचे तलहटी में बने तालाब को देखते तो कभी काली घाटी में हर गर्मी में सूख जाने वाले इतिहास के साक्षी हैंडपंपों के किस्से सुनते।

pahadi
डेनिडा परियोजना एवं सहभागिता
Posted on 28 Jan, 2010 11:30 AM भारत एवं डेनमार्क सरकार के मध्य मालवा अंचल में पानी के लिए काम करने का अनुबंध 14 मार्च 1997 को हुआ। परियोजना विकास कार्य तीन जिलों धार के बदनावर, झाबुआ के पेटलावद एवं रतलाम विकासखण्ड के चयनित ग्रामों को लिया गया। यह सम्पूर्ण क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। अधिकांश परिवार गरीबी रेखा से नीचे निवास करते है, कृषि एवं पशुपालन मुख्य व्यवसाय है।
क्या नदियों को जोड़ा जा सकता है?
Posted on 27 Jan, 2010 03:27 PM 3 अक्टूबर 2002 को माननीय उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय सरकार से कहा है कि वह देश की नदियों को दस साल के भीतर जोड़ने के बारे में विचार करे। इस समाचार ने उन सब को चौंका दिया है, जो पानी से जुड़े सवालों के बारे में सोचते रहे हैं। नदियों को जोड़ने के प्रस्ताव के लिए यह दलील दी जाती है कि देश के कुछ भागों में तो पानी की कमी है, और कुछ भाग बाढ़ से पड़ित रहते हैं। इसका हल यही है कि ज्यादा पानी वाली नदी घा
पानी है अनमोल
Posted on 25 Jan, 2010 05:00 PM कैसा जमाना आया कि जिस देश में दूध दही नहीं बिकता था, वहाँ अब पानी बिक रहा है। गरमी में लोग जगह-जगह प्याऊ खुलवाते थे, वहाँ अब पानी के पाऊच बिक रहे हैं। जहाँ नर्मदा किनारे के लोग नर्मदा के जल को अमृत मानकर आचमन करते थे, वहाँ उसी पानी को बोतलों और पाऊचों में भरकर बेचा जा रहा है। जहाँ प्यासे को पानी पिलाना पुण्य माना जाता है, वहाँ लोगों को प्यासा मारकर पाउच के जरिए उसकी प्यास और पानी का व्यापार किया ज
नरेगा ने मन मोहा मध्य प्रदेश का
Posted on 23 Jan, 2010 05:02 PM

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) की मध्यप्रदेश में सफलता के कारण

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