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मध्य प्रदेश
भुआणा का तालाब गीत
Posted on 25 Feb, 2010 06:10 PMआठ सौ वो फावड़ा रे राजा नव सौ कुदाली चलSम्हारी टोपली को अंत न पार
आठ सो वो फावड़ा रे राजा नव सौ कुदाली चलS
म्हारी टोपली को अंत न पार
खोदता जो खोदता रे राजा बारह बरस हुया
पर कंई को पानी को सो अंश नी
खोदता जो खोदता रे राजा बारह बरस हुया
नहीं निकलयो पानी को तुषार
खोदता जो खोदता रे राजा बारह बरस हुया
पर कंई को पानी को सो अंश नी
बैगा जनजाति में वर्षा गीत
Posted on 25 Feb, 2010 05:16 PMझिरामिट झिरामिट पानी बरसय रे,खेरो अक दूबीहरि आवय रे
कोन तोरे धारय इजोली रे बीजोली कोन तोरे सीचाथय पानी।
भुमिया तोरे धारय इजोली रे बिजोली अहरा टूरा सीचाथय पानी।
केन का दर्द
Posted on 24 Feb, 2010 02:51 PMवर्तमान के बुन्देलखंड पर गौर करें तो अकाल से असमय मौतें, आत्महत्यायें, भुखमरी और कर्ज की यात्रा में सुरताल करते हताश किसानों का चित्र उभर कर आता है। शहरों का गंदा पानी, शहरों के कचरे से पटते तालाब, 75 प्रतिशत तालाबों पर जारी अतिक्रमण, खुले में शौच निपटान और बजबजाती नालियों से बुन्देलखंड के शहरों का एक और चित्र बनता है। बांदा जिले की एक मात्र जलधारा केन जो कि उत्तर एवं मध्य विन्ध्य क्षेत्र बुन्देलखसरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित
Posted on 24 Feb, 2010 09:17 AM
महिलाएं एवं पंचायती राज से संबंधित वो सभी सकारात्मक लेख, जो 31 जुलाई 2009 से 15 जुलाई 2010 के बीच प्रकाशित हो एवं महिला नेतृत्व को बढ़ावा देता हो, ऐसे लेख आमंत्रित किये जाते हैं अंतिम तिथि - 15 जुलाई 2010, लेखों के लिए कोई शब्द सीमा निर्धारित नहीं।
सरदार सरोवर एवं इंदिरा सागर के पर्यावरणीय उपायों के शर्तों का घोर उल्लंघनः विशेषज्ञ समिति का अहम निष्कर्ष
Posted on 17 Feb, 2010 02:28 PMभारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा भारतीय वन सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डा.
नर्मदा पर निर्माणाधीन महेश्वर बांध पर परियोजनाकार को कारण बताओ नोटिस जारी
Posted on 17 Feb, 2010 08:25 AMउपयुक्त पुनर्वास न होने के कारण जब महेश्वर बांध परियोजना के सैकड़ो प्रभावितों ने नई दिल्ली में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के समक्ष अचानक धरना दिया तो केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए पर्यावरण मंत्रालय के अधिनियम 5 के तहत परियोजनाकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। बांध से प्रभावित गांववासी सालों से यह कहते रहे हैं कि उनका पुनर्वास उस गति से नहीं हो पा रहा है जिस गति से बांध का निर्माण हो रहा है। जबकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा परियोजना को दी गई सशर्त मंजूरी में यह कहा गया है कि बांध का निर्माण और पुनर्वास साथ-साथ होने चाहिए।
सुरंगी रूत आई म्हारा देस
Posted on 15 Feb, 2010 12:01 PM
जल की काया
जल की माया
जल का सकल पसारा
कहत कबीर सुनों भई साधो
जल से कौन नियारा?
यह जल का समष्टि स्वरूप है। कबीलों से लेकर कबीर तक और कबीर से लेकर कांक्रीट तक हर वक्त और हर शख्स के लिए जल के इस स्वरूप को स्वीकारना एकमात्र विकल्प रहा होगा। जल का विकल्प जल ही है, और कुछ भी नहीं।
लिफ्ट से पहले
Posted on 15 Feb, 2010 08:46 AM
25 सितम्बर 1988।
ग्राम छकतला।
विकासखंड सोण्डवा।
एक प्रशासनीक शिविर में झाबुआ जिले के सोण्डवा के जनपद अध्यक्ष श्री डेढू भाई ने एक प्रस्ताव रखाः ‘पास ही के गांव गेदा में स्टापडेम पर गुजरात राज्य की तरह यहां भी उद्वहन सिंचाई योजना शुरू की जाए।’
बूंदें, नर्मदा घाटी और विस्थापन
Posted on 14 Feb, 2010 03:00 PM
नर्मदे हर......!
मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है नर्मदा। इसका प्रवाह यानी जीवन का प्रवाह। इसके मिजाज का बिगड़ना यानी जीवन से चैन का बिछुड़ना। नदी से समाज के सम्बन्ध केवल नहाने, सिंचाई, पानी की भरी गागर घर के चौके-चूल्हे तक लाने में ही सिमट नहीं जाते हैं। नदियों की धड़कन के साथ-साथ धड़कती है उसके आंचल में रहने वाले समाज की धड़कन। पीढ़ियां नदी के प्रवाह की साक्षी रहती हैं। और नदी भी तो बहते-बहते देखती है-........