मध्य प्रदेश

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11. अधोभूमि अवरोधक
Posted on 30 Jan, 2010 02:06 PM

: ऊपर से देखने पर इस संरचना में कुछ भी दिखाई नहीं देता। सब कुछ भूमि के अंदर होता है। इस संरचना द्वारा नदी-नालों की सतह से ढलान की ओर जाने वाली पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर डाइक के ऊपर की ओर भू-जल संग्रहण में वृद्धि की जाती है। डाइक के गहराई एवं चौडाई का निर्णय वहाँ की परिस्थिति के अनुसार किया जाता है।

9. रिचार्ज शॉफ्ट
Posted on 30 Jan, 2010 12:47 PM

यह संरचना विशेषतः उन क्षेत्रों में, जहाँ तालाब और नालों की तलहटी में काली मिट्टी की अपारगम्य परत का निर्माण होने से वर्षा का पानी ऊपर से बह जाता है। साथ ही उस क्षेत्र विशेष के कुओं का जलस्तर नीचे चला गया हो, वहाँ पर इसका निर्माण किया जाता है। इस संरचना में तालाब या नाले की सतह पर काली मिट्टी की अपारगम्य पर्त को पार कर पारगम्य चट्टानों तक खोदते हैं, जिसको धँसने से रोकने के लिए मजबूत लोहे की जाली

भू-जल का कृत्रिम पुनर्भरण
Posted on 30 Jan, 2010 09:51 AM

(Artificial Recharge of ground water)

शिप्रा तट सभ्यताओं की जननी रहा है
Posted on 27 Jan, 2010 10:19 AM

प्राचीन सभ्यताएँ नदी-तटों पर ही पनपीं। शिप्रातट भी इसका अपवाद नहीं है। उज्जैन और महिदपुर में उत्खनन किये गये। महिदपुर उत्खनन से ताम्राश्मीय सभ्यता (2100 ई.पू.) से ई.पू.

उद्धारक शिप्रा उद्धारकों की बाट जोह रही
Posted on 27 Jan, 2010 09:53 AM

इस शिप्रा को अपने जीवन के लिए पानी उधार भी लेना पड़ता है। वही शिप्रा जो कभी सबका उद्धार करती थी और जो आशा की किरण भी- अब अपने उद्धार का रास्ता देख रही है। शिप्रा का परिसर रमणीय प्राकृतिक छटा से भरपूर था। यह सरल तरल है सिप्रा। जगह-जगह कमलकुल खिले थे। विचरते थे हंस और बतख। यक्ष और गन्धर्व इसका सेवन करते थे। तटों पर गीत गाती थीं किन्नरियाँ। पक्षी कलरव करते रहते थे। भ्रमरों की गुँजार होती रहती थी।

भाग 2
Posted on 26 Jan, 2010 08:28 AM

जाली करंज असल में लालबाग में ऐसा संगम है जहाँ सूखा भण्डारा, मूल भंडारा और चिंताहरण का जल आकर एकत्र होता था। मुगलकाल में ‘जाली करंज’ से बुरहानपुर को पानी प्रदाय किया जाता था। यह पानी पकी मिट्टी और तराशे गये पत्थर के पाइपों के जरिये नगर के विभिन्न करंजों और वाटर टावरों में पहुंचाया जाता था। पानी के दबाव से पकी मिट्टी के पाइप फट न जायें इसलिए इन पाइपों के आसपास चूना, गारा और ईंट की मोटी चिनाई कर द

पानी से जुड़ा है आदमी का धरम-करम
Posted on 25 Jan, 2010 05:03 PM

पानी से जुड़ा आदमी का धरम-करम है। पानी से जुड़ा ईमान है। पानी से जुड़ा मन है। तन है। पानी से जुड़ा संस्कार है। पानी से जुड़ा मान-सम्मान है.

जल मिथकथाओं की अन्तरकथा
Posted on 25 Jan, 2010 02:51 PM

जल मिथकथाओं की अन्तरकथा को देखें, तो पता लगता है कि ये कथाएँ आदिमानव के उद्विकास के साथ चली हैं। जिन्हें आदिम पुरा कथाएँ कहा गया। फिर इनका स्वरूप प्रतीकात्मक रूप से पहले लिखित साहित्य अर्थात् वेद, उपनिषदों में आया। इसके बाद पुराणों से होता हुआ लोकाख्यानों तक पहुँचा। इस लम्बी यात्रा में इन कथाओं में अनेक समय की ऐसी बातें जुड़ती चली गईं, जिनमें मानवीय विकास के विभिन्न पहलू सावयवी रूप से उनमें समा

जनजातियों की जल की मिथकीय अवधारणाएं
Posted on 25 Jan, 2010 01:47 PM

बस्तर के मुरियाजन लिंगो के साथ भूमि और जल के भी पूजक हैं। एक पुरा कथा में कहा गया है- ‘सृष्टि के प्रारम्भ की बात है, लिंगो देवता और उनके भाइयों ने पृथ्वी पर जंगल, पहाड़, नदियों इत्यादि की रचना कर ली थी। तब पृथ्वी की सेवा के लिए पुजारी की जरूरत पड़ी और उस पुजारी की खोज नदी यानी जल के तट पर ही हुई। पृथ्वी का पुजारी और कोई नहीं। ‘मनुष्य’ ही है। देवता तो नदी पार कर सकते थे लेकिन ‘मनुष्य’ नहीं। फिर

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