प्रो. नर्मदाप्रसाद गुप्त

प्रो. नर्मदाप्रसाद गुप्त
नरबदा अरे माता तो लगै हो . . .
Posted on 06 Feb, 2010 09:33 AM

प्राचीनता


नर्मदाघाटी के भू स्तरों की खोजों से पता चलता है कि नर्मदाघाटी की सभ्यता सिन्धुघाटी की सभ्यता से बहुत पुरानी है। नर्मदाघाटी में प्राप्त भैंसा, घोड़े, रिनोसिरस, हिप्पोपोटेमस, हाथी और मगर की हड्डियों तथा प्रस्तर-उद्योग से पता चलता है कि यह भूभाग आदिम मानव का निवास था। इसी क्षेत्र में 1872 ई. में खोजी गयी स्फटिक चट्टान से निर्मित एक तराशी प्रस्तर कुल्हाड़ी को भारत में प्राप्त प्रागैतिहासिक चिन्हों में सबसे प्राचीन बताया गया है। और उसे पूर्व-चिलयन युग का माना गया है।
लोक संस्कृति की जननी नर्मदा
Posted on 06 Feb, 2010 10:04 AM
नर्मदा के किनारे बसे मण्डला, तेवर, भेड़ाघाट, ब्रह्माणघाट होशंगाबाद, ओंकारेश्वर, माहेश्वर, माण्डवगढ़, अक्तेश्वर जैसे नगरों में आंचलिक (लोक) संस्कृतियाँ जन्मी हैं और बघेली, गोंडी, भीली, बुन्देली, मालवी और निमाड़ी लोकभाषाएँ फूली-फली हैं। भारत में चार नदियों को चार वेदों के रूप में माना गया है। गंगा को ऋग्वेद, यमुना को यजुर्वेद, सरस्वती को अथर्ववेद और नर्मदा को सामदेव। सामदेव कलाओं का प्रतीक है। नर्मद
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