मध्य प्रदेश

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बहुत जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:27 PM रीवा से 85 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज तहसील में बहुत प्रपात स्थित है। ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुत जलप्रपात का निर्माण करती है। इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं। इसे रीवा जिले का सबसे गहरा प्रपात होने का गौरव प्राप्त हुआ है। बहुती ग्राम के दो किलोमीटर पहले उत्तर दिशा को बहने वाली ओड्डा नदी अर्द्धचन्द्राकार होकर पूर्व
चचाई जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:23 PM रीवा से उत्तर की ओर 45 कि.मी. सिरमौर तहसील में बीहर नदी द्वारा निर्मित चचाई एक खूबसूरत एवं आकर्षक जलप्रपात है, जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। बीहर नदी के एक मनोरम घाटी में गिरने से यह प्रपात बनता है। यह एक प्राकृतिक एवं गोलाकार जल प्रपात है।
नर्मदा
Posted on 20 Feb, 2010 05:00 PM

‘नमामि देवि नर्मदे’ मेकलसुता महीयसी नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे पुरानी, प्रमुख और भारत की पाँचवी बड़ी नदी है। विन्ध्य की उपत्यकाओं में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। जहाँ की जैव विविधता अत्यन्त समृद्ध है। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। जिस मिलन बिन्दु से विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वतमालायें प्रारम्भ होती हैं, वहीं स्थल अमरकंटक है। इसे आदिक

चम्बल
Posted on 20 Feb, 2010 03:46 PM


इत यमुना उत नर्मदा, इत चम्बल उत टौंस,
छत्रसाल से लरन की, रही न काहू हौंस।

धसान
Posted on 20 Feb, 2010 03:23 PM

शोणो महानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया
मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च।


(मार्कण्डेय पुराण 57/20)

गंगऊ अभ्यारण्य
Posted on 19 Feb, 2010 09:03 PM मध्य प्रदेश स्थित अन्य अभ्यारणों की तरह यह अभ्यारण्य तुलनात्मक रूप से पुराना अभ्यारण्य है। इसका नाम वर्तमान में गंगऊ वीरान ग्राम के नाम से रखा गया है। जो पन्ना स्टेट की पुरानी तहसील थी। पुराने समय का प्रतिष्ठित गाँव था जो वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व के सीमान्तर्गत बीरान गाँव हैं। गंगऊ अभ्यारण कराकल का (विशेष जंगली बिल्ली) (Kunx Carcal) अन्तिम निवास स्थान माना जाता है। मध्य भारत के शुष्क पर्णपात
केन
Posted on 19 Feb, 2010 08:41 PM केन नदी बुन्देलखण्ड की जीवनदायिनी है। केन और सोन विन्ध्य कगारी प्रदेश की प्रमुख नदियाँ हैं। केन मध्यप्रदेश की एकमात्र ऐसी नदी है जो प्रदूषण मुक्त है। केन नदी मध्यप्रदेश की 15 प्रमुख नदियों में से एक है। इसका उद्गम मध्यप्रदेश के दमोह की भाण्डेर श्रेणी/कटनी जिले की भुवार गाँव के पास से हुआ है। पन्ना जिले के दक्षिणी क्षेत्र से प्रवेश करने के बाद केन नदी पन्ना औ
चेलना नदी
Posted on 19 Feb, 2010 08:21 PM पावा क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों का तीर्थ स्थल है। इसी क्षेत्र के दक्षिण, पश्चिम की ओर चेलना नदी बहती है। यह बेतवा की सहायक नदी है। चेलना आगे चलकर बेतवा में मिल जाती है। दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पावा जी क्षेत्र से जैन मुनि को मोक्ष मिला था। यहाँ की पहाड़ी सिद्ध पहाड़ी कहलाती है। यह पहाड़ी चेलना नदी के किनारे स्थित है। यहां अनेक वेदियों वाला मन्दिर, मौसरा गुफा, मंदिर प्रांगण में मान स्तम्भ हैं। गुफ
बेतवा
Posted on 19 Feb, 2010 08:29 AM एक कवि ने नदियों के बारे में कहा है कि-

शुचि सोन केन बेतवा निर्मल जल धोता कटि सिर वक्ष स्थल,
पद रज को फिर श्रद्धापूर्वक धोता गंगा, यमुना का जल।
वनमालिन सुन्दर सुमनों से तुव रूप सँवारे ले विराम।

बेतवा प्राचीन नदियों में से एक मानी गयी है। बेतवा नदी घाटी की नागर सभ्यता लगभग पाँच हजार वर्ष पुरानी है। एक समय निश्चित ही बंगला की तरह इधर भी जरूर बेंत (संस्कृत में वेत्र) पैदा होता होगा, तभी तो नदी का नाम वेत्रवती पड़ा होगा। बेतवा तथा धसान बुन्देलखण्ड के पठार की प्रमुख नदियाँ हैं जिसमें बेतवा उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमा रेखा बनाती है। इसे बुन्देलखण्ड की गंगा भी कहा
नदियाँ
Posted on 18 Feb, 2010 05:12 PM

वे सभी जल धाराएँ जो भूमि पर स्वाभाविक रूप से बहती हैं, नदियाँ कहलाती हैं। नदियाँ निरंतर बहती रहें यह प्रकृति का नियम है। यह जल चक्र श्रृंखला का आवश्यक अंग है। नदी समुद्र में समाहित होती है। समुद्र का जल वाष्प बनकर पुनः वर्षा का रूप धारण करता है। और यह जल फिर समुद्र में मिल जाता है। नदियाँ पृथ्वी की ऊपरी सतह का व्यापक और विशिष्ट भौतिक रूप होती हैं। भूमि, ढाल और वर्षा से यह उत्पन्न होती हैं। नदिय

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