जयपुर, 10 दिसम्बर09। भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए शुरू की गई कृत्रिम जल पुनर्भरण योजना लालफीताशाही की चट्टानों में अटक गई है। राज्य में 317.15 करोड़ के बजट से एक लाख 65 हजार 51 डगवेल पानी को भूजल तक ले जाने के लिए खोदे गए कुएं के लिए शुरू हुई योजना केवल 21 डगवेल तक ही सिमट गई है।
केंद्र सरकार ने 11वीं वार्षिक योजना के अंतर्गत देश के सात राज्यों के 1180 ब्लॉक में डगवेल की खुदाई के लिए 1798.71 करोड़ के बजट से यह योजना शुरू की थी। 2008 में शुरू हुई इस योजना में राजस्थान के 33 जिलों में भूजल स्तर की समाप्ति और गंभीर स्थिति में पहुंची 204 यूनिटों को चिह्नित किया गया था। यहां एक लाख 65 हजार 51 डगवेल का काम किया जाना प्रस्तावित था। इसमें उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया, जहां जमीन में चट्टानें होने के कारण वर्षा से आने वाला जल भूमि की निचली सतह तक नहीं जा सकता है।
इसके लिए लोगों में जागरूकता और सूचना पहुंचाने के लिए 34 हजार 082 करोड़ और किसानों को अपने खेतों में डगवेल खुदवाने के लिए 283.070 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया। इस योजना की स्थिति यह है कि आज तक 21 डगवेल का काम ही पूरा हुआ है जबकि राज्य को किसानों की सब्सिडी के लिए 317.15 करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं। इसमें से 16.913 करोड़ सब्सिडी जारी की गई है। गौरतलब है कि राज्य में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, अलवर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जालौर और सिरोही में वर्षा जल का पुनर्भरण इस कारण नहीं हो पाता है कि यहां जमीन के नीचे चट्टानें हैं। बाड़मेर जिले के कवास गांव में बाढ़ का पानी दो वर्ष बाद भी भरा हुआ है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार यहां भूमि में जिप्सम की चट्टानें हैं, जो पानी को नीचे जाने ही नहीं देती है।
जानकार लोगों का कहना है कि राज्य में जल संकट को देखते हुए जहां भूजल स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है; वहीं, फाइलों में पड़ा करोड़ों का बजट किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
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