दिल्ली

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कचरे से बनी बिजली दिल्ली के लिए घातक
Posted on 04 Jan, 2012 09:39 AM

चिंता की बात यह है कि यह सभी संयंत्र रिहाइशी इलाकों में या उसके ठीक नजदीक में है। चिंताजनक बात

जल, जंगल, जमीन से उपजी मेधा
Posted on 31 Dec, 2011 11:57 AM

आदिवासी नेतृत्व के सामने दूसरा मार्ग अपने को गैर आदिवासी से काट लेने का है। यह रास्ता उग्रवाद

हिमालय की पुकार
Posted on 29 Dec, 2011 01:28 PM

इन सब हालात पर दुनिया भर में विकल्पों की तलाश, सरकारी पहल और योजनाओं पर बहस होती है। पिछले एक

यमुना : इंटरसेप्टर ही नहीं प्रदूषण मुक्ति की गारंटी
Posted on 29 Dec, 2011 11:31 AM दिन-गुरुवार। तारीख-22 दिसंबर, 2011।
स्थान-नजफगढ़ का निराला विहार।
मौका-दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित द्वारा इंटरसेप्टर निर्माण कार्य का शुभारंभ।

nazafgarh drain
जल की शुद्धिकरण में आधुनिक प्रौद्योगिकी की प्रांसगिकता
Posted on 28 Dec, 2011 05:32 PM
यह सर्वविदित और अकाट्य सत्य है कि हवा के बाद पानी ही मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हमारे देश में पानी की समस्या बाकी विकासशील देशों की तुलना में ज्यादा नाजुक है। जल प्रदूषण के पीछे औद्योगिकीकरण का हाथ तो है ही, साथ ही बढ़ती जनसंख्या भी जिम्मेदार है।
विभिन्न जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत जल संसाधन निर्धारम के लिए वितरित बेसिन स्केल निदर्श
Posted on 28 Dec, 2011 05:23 PM जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान के अनुसार निकट भविष्य ने तापमान में वृद्धि एवं वर्षण अभिलक्षणों में परिवर्तन को संभावना है जिसके कारण जल चक्र के विभिन्न घटकों पर प्रभाव पड़ेगा। इसके फलस्वरूप समय एवं स्थान में जल की उपलब्धता में परिवर्तन आयेगा। जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए तथा अनुकूल युक्तियों का विकास करने के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि बेसिन
गंगा स्वच्छता अभियान: आज तक
Posted on 28 Dec, 2011 05:04 PM इस अभिभाषण में 1985 में गंगा की सफाई को लेकर आरंभ हुई ‘गंगा कार्य योजना’ ‘केंद्रीय गंगा प्राधिकरण’ के गठन से लेकर आज तक इस दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की गई है, कार्य योजना की परिणतियों और निष्पत्तियों पर विमर्श भी किया गया है। योजना की खामियों को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना की गई है और भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की
जीवनदायिनी गंगा अब मैली हो रही है
जल संसाधन के क्षेत्र में समस्थानिक तकनीकों का प्रयोग-एक नवीन युक्ति
Posted on 28 Dec, 2011 04:55 PM
समस्थानिक ऐसे तत्वों के परमाणु होते हैं जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन परमाणु भार भिन्न होते हैं। समस्थानिक रेडियोएक्टिव एवं स्थायी प्रकृति के हो सकते हैं। आजकल, पर्यावरणीय समस्थानिक (स्थायी एवं रेडियोएक्टिव) का जल विज्ञानीय अन्वेषणों के लिए काफी उपयोग हो रहा है। समस्थानिक जलविज्ञान जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन में ट्रेसर्स के अनुप्रयोग का विज्ञान है।
जल के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग
Posted on 28 Dec, 2011 04:20 PM
पृथ्वी पर जीवन की मुख्य आवश्यकताओं में जल का स्थान प्रमुख है। विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्रों जैसे-शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि, एवं मानव के रहन-सहन स्तर में परिवर्तन के कारण जल की मांग में निरंतर होने वाली वृद्धि से स्वच्छ जल स्रोतों की गुणवत्ता एवं जल उपलब्धता में निरंतर कमी हो रही है। इसके अतिरिक्त सामयिक एवं कालिक आधार पर देश में वर्षा की अत्यधिक परिवर्तनीयता के कारण विभिन्न
घेराकार संग्राहक कुंआ-पेयजल का एक वैकल्पिक स्रोत
Posted on 28 Dec, 2011 12:20 PM

लगातार जनसंख्या वृद्धि एवं जल संसाधनो के असमान वितरण के कारण एक निरन्तर एवं टिकाऊ जल स्रोत की खोज के लिए जल से जुड़े वैज्ञानिकों एवं निर्णायकों को मजबूर व चिंतित किया हुआ है। देश के बहुत सारे भागों में सतही स्रोतों के दूषित, असुरक्षित एवं अशुद्ध होने के कारण जल से जुडे लोग भूजल से सम्बन्धित स्रोतों को जलापूर्ति के लिए एक टिकाऊ व निरन्तर स्रोत समझने लगे

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