दिल्ली

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जल सुरक्षा के बिना संभव नहीं खाद्य सुरक्षा
Posted on 21 Dec, 2011 06:22 PM

यदि हम चाहते हैं कि लोग मोटे अनाज व कम पानी वाली अन्य फसलों को प्राथमिकता पर उपजायें, तो सुनिश

water scarcity
गंगा: सड़क से संसद तक
Posted on 21 Dec, 2011 01:38 PM

सवाल अहम्: जवाब दुर्भाग्यपूर्ण

rally for ganga
जो नदी अभी यहीं थी वो कहां खो गई?
Posted on 21 Dec, 2011 11:42 AM मैं नदी के साथ-साथ गया/बस्ती, जंगल, वीराने छाने/देखे पर्वत-घाटी, निहारे तारे/नदी के सोए पानी पर/पर वापसी में खड़ा था, अकेला/नदी कहीं खो गई थी..
वाराणसी को पहचान दिलाने वाली वरुणा नदी का पानी बहुत जहरीला है
जल पर सात सूत्री एजेंडा लागू होगा
Posted on 21 Dec, 2011 11:06 AM अगले साल अप्रैल से शुरू हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान ‘जल ही जीवन है’ के जिस सिद्धांत को लेकर योजना आयोग चलने वाला है, उसके तहत भारत में जल और जल संरक्षण से जुड़े कई कानूनी और आर्थिक बदलाव दिख सकते हैं। इनमें एक राष्ट्रीय जल आयोग के गठन से लेकर जल के अनियंत्रित इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए कुछ कड़े कानून भी संभावित हैं। सोमवार को 2011 की इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट (जल नीति
गंगा सेवा मिशन संकल्प और लक्ष्य
Posted on 20 Dec, 2011 12:37 PM गंगा भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यह पतितपाविनी है। प्रतिवर्ष करोड़ों लोग इसके विभिन्न घाटों पर पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। इसके जल का आचमन करने से हमें पापों से मुक्ति का एहसास होता है। इसके तट पर सदियों से ऋषियों-मुनियों ने मानव जाति को विश्व बंधुत्व का संदेश दिया। आज इसी गंगा को हमने मैली कर दिया है। गंगा में प्रतिदिन हजारों टन कूडे़ कचरे डाले जा रहे हैं। हरिद
<strong>आनंद स्वरूप</strong>
ऐतिहासिक गंगा चेतना पदयात्रा
Posted on 20 Dec, 2011 11:47 AM दिल्ली के राजघाट से जंतर-मंतर तक 18 दिसंबर 2011 को स्वामी आनंद स्वरूप जी के नेतृत्व में ऐतिहासिक गंगा चेतना पदयात्रा निकाली गई। इसमें दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों के हजारों गंगा सेवकों ने भाग लिया। पदयात्रा में शामिल गंगाभक्त जोश से गंगा को बचाने का संकल्प लेते हुए नारे लगाते चल रहे थे। गंगा भक्तों के जोश और संकल्प को देखते हुए रास्ते में लोगों ने मुक्त कंठ से इसकी सराहना की और इसे पवित्र कार्य
गंगा से जुड़ें: स्वामी आनंद स्वरूप
Posted on 20 Dec, 2011 11:36 AM दिल्ली के हिमाचल भवन में तीन नवंबर को हुई विचार गोष्ठी में गंगा सेवा मिशन के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप जी ने कहा कि गंगा से जुड़ें और इसकी सेवा करें। यह इसलिए जरूरी है कि गंगा करोड़ों लोगों के लिए जीवनदायिनी है। यदि इसकी पवित्रता से खिलवाड़ करेंगे तो यह जीवन रेखा ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि हरिद्वार से लेकर गंगा सागर तक सभी प्रमुख स्थानों पर एक एक घाट को गोद लेकर उसे संवारा जाएगा। स्
जल में जहर
Posted on 20 Dec, 2011 10:47 AM

एक अध्ययन के मुताबिक बीस राज्यों की सात करोड़ आबादी फ्लोराइड और एक करोड़ लोग सतह के जल में आर्

गंगा: गंगोत्री से गंगासागर तक मैली ही मैली
Posted on 19 Dec, 2011 04:15 PM

गंगा नदी के तट पर स्थित हरिद्वार में हो रहे महाकुंभ में तो हर रोज लाखों लोग डुबकी लगा रहे हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि लोगों की जीवन रेखा रही गंगा की जीवन रेखा तो कम होती जा रही है। भगीरथ ने अपने प्रयासों से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित तो कर दिया लेकिन इसकी पवित्रता को बचाने की जिम्मेदारी केवल सरकारों की ही नहीं वरन् हम सब की होती है। अगर गंगा का अस्तित्व नहीं रहा तो उनका क्या होगा जो गंगा की बदौलत ही जी रहे हैं। जिनकी सुख-समृद्वि और अनवरत चलने वाली जीवन की धारा इसी पर टिकी है।

जो स्वयं एक इतिहास हो, जो किसी देश की परम्परा, पुराण, कला, संस्कृति व जीवन से जुड़ी हो, जिसे विशिष्ठ नदी होने का गौरव हासिल हो, जिससे देश की जनता ही नहीं विदेशी भी प्यार करते हों, जो देश की समृद्धि से जुड़ी हो, जो लोगों की आशा-निराशा, हार-जीत, यश गौरव से जुड़ी हो, जिसने किसी देश की विविधता भरी संस्कृति का पोषण किया हो, जो सभी नदियों का नेतृत्व करती हो, जिसे माँ का दर्जा मिला हो, जिसने चट्टानों और हिमघाटियों से निकल कर मैदानों को सजाया-संवारा हो, जिसने लोगों की प्यास बुझाई, खेतों में ही नहीं घरों में भी हरियाली लहराई हो, यहां उसी मुक्तिदायिनी, जीवनदायिनी गंगा की बात हो रही है।
गंगा भारत वर्षे भातृरूपेण संस्थिता/नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
जैसे गुणगान करते-करते नहीं थकते।
सौतेला व्यवहार सहती यमुना
Posted on 18 Dec, 2011 11:12 AM

बीते 20 सालों में पहले गंगा एक्शन प्लान और अब गंगा क्लीन प्लान के नाम से 4 हजार करोड़ से अधिक खर्च किया जा चुका है। इतना ही नहीं, गंगा को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नदी घोषित करने के साथ ही गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन भी गंगा की बेहतरी के लिए किया है। जबकि यमुना के लिए ऐसी कोई योजना अब तक न तो केंद्र सरकार ने बनाई है और न ही राज्य सरकार इस ओर ध्यान दे रही है लेकिन उपयोग की बात हो तो सरकारें यमुना का भरपूर उपयोग कर रही हैं।

भारत में नदियों का जिक्र आए तो गंगा के साथ यमुना की बात जरूर होती है। यमुना भारत में गंगा के बाद सबसे अधिक पवित्र समझी जाने वाली नदी होने के साथ ही देश की छह प्रतिशत आबादी को पीने और सींचने का पानी उपलब्ध कराती है लेकिन जब यमुना के संरक्षण की बात हो तो उसके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। गंगा की इस छोटी बहन के साथ हो रहे इस व्यवहार के कारण इसकी स्थिति गंगा के मुकाबले कहीं अधिक खराब हो रही है। दरअसल, नदियों के संरक्षण का सवाल हमेशा गंगा के चारों ओर ही घूमता है, भले ही उससे गंगा को कुछ फायदा होता नजर न आ रहा हो। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली से होकर गुजरने वाली यमुना 1,376 किलोमीटर लंबी है। इलाहाबाद में पवित्र यमुना का गंगा के साथ संगम हो जाता है। गंगा के साथ एकमेक हो जाने का ही नतीजा है कि जब भारत की विभिन्न संस्कृतियों की एकता की बात होती है तो उसे गंगा-यमुनी तहजीब की संज्ञा देते हैं।
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