Posted on 07 Jun, 2013 10:30 AMवनाधिकार कानून बन जाने के बावजूद वनों पर आश्रित आबादी अपने राज्यसत्ता और कॉरपोरेट घराने नई किस्म की दुरभिसंधि में मशगूल हैं। ऐसे में ये वंचित और उनके बीच काम करने वाले संगठन देश भर में आंदोलन छेड़ने की तैयारी में लगे हुए हैं। वन संपदा को बचाने की इस व्यापक सामाजिक पहल के बारे में बता रही हैं रोमा।
Posted on 03 Jun, 2013 10:02 AMमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून लागू होने की छठी सालगिरह के मौके पर मनरेगा मजदूरों के एक विशाल सम्मेलन में मैंने एक कार्यकर्ता होने के नाते कहा था कि अब मनरेगा को पोलियो मुक्त अर्थात् भ्रष्टाचार मुक्त हो जाना चाहिए। क्योंकि इसमें एक अधिनियम के तहत योजनाएं संचालित होती हैं और कानून की नजरों में कोई भी कमजोर अथवा शक्तिशाली नहीं होता है। इस वर्ष दो फरवरी 2013 को दिल्ली में संपन्न
Posted on 02 Jun, 2013 03:33 PMपूर्व केंद्रीय पंचायती राज मंत्री मणिशंकर अय्यर पंचायतों को मजबूत करने की दिशा में हमेशा से सक्रिय रहे हैं। यही कारण है कि पंचायती राज मंत्रालय ने उनकी अध्यक्षता में पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनायी। इस कमेटी ने हाल ही में राष्ट्रीय पंचायती राज व्यवस्था के स्थापना दिवस पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। पेश है इस रिपोर्ट के आलोक में पंचायतनामा के लिए मणिशंकर अय्यर से
Posted on 01 Jun, 2013 12:42 PMहर खेत की मिट्टी जांच जरूरी है। इससे खेत की मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी एवं अधिकता का पता चलता है। पोषक तत्वों की कमी या अधिकता का पता चलने के बाद विशेषज्ञ की सलाह पर मिट्टी का उपचार कर खेत को उपजाऊ बनाया जा सकता है। ऐसा करना सस्ता एवं लाभदायक होता है। एक बार पोषक तत्वों की कमी का पता चल जाने पर आप आवश्यकतानुसार उचित रासायनिक खादों का प्रयोग कर कमी को दूर कर सकते हैं। इससे फसल का उत्पादन
Posted on 30 May, 2013 01:04 PMखेतों में सिंचाई के लिए ‘‘बूंद-बूंद’’ और ‘‘फौव्वारा तकनीक’’ के बाद अब रेनगन आ गयी है जो 20 से 60 मीटर की दूरी तक प्राकृतिक बरसात की तरह सिंचाई करती है। इसमें कम पानी से अधिक क्षेत्रफल को सींचा जा सकता है। सब्जी तथा दलहन फसलों के लिए यह माइक्रो स्प्रिंकलर सेट बहुत उपयोगी है, इससे ढाई मीटर के व्यास में बरसात जैसी बूंदों से सिंचाई होती है।
Posted on 30 May, 2013 12:37 PMझारखंड राज्य के लिए यह विडंबना है कि यहां खरीफ में भी मात्र 86 फीसदी जमीन पर खेती हो पाती है। सिंचाई सुविधा के अभाव के कारण 14 फीसदी यानी 19.73 लाख हेक्टेयर जमीन परती रह जाती है। रबी में तो यहां बमुश्किल 10 से 12 फीसदी जमीन पर ही खेती हो पाती है। जबकि हर क्षेत्र में नदियां, नाले और झरने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, औसत बारिश भी 14 से 15 सौ मिमी होती है। ऐसे में अगर पंचायतें चाहें तो इस जल संसाधन
Posted on 30 May, 2013 10:15 AMबारिश का मौसम आ रहा है। इस मौसम से हमें न सिर्फ खरीफ के लिए पानी मिलता है बल्कि अगर हम हिसाब से इसका संरक्षण करें तो रबी के मौसम में भी हमारी खेती के लिए यह पानी लाभदायक हो सकता है। खास तौर पर यह देखते हुए कि हमारे राज्य में अधिकांश किसान एक ही फसल ले पाते हैं और रबी में राज्य की तकरीबन 90 फीसदी जमीन परती रह जाती है। इसलिए हमें खेतों का पानी खेत में रोकने की तरकीब अपनानी होगी।