दिल्ली

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जल संकट : नीचे गिरता भूजल
Posted on 10 May, 2013 03:50 PM दिल्ली जल बोर्ड का ही रिकार्ड बताता है कि लगभग 25 फीसद घरों तक जल
शिवगंगा निर्मल अभियान
Posted on 05 May, 2013 04:27 PM अक्षय तृतीया, सोमवार, 13 मई, 2013

शिवगंगा सेवा समिति


“शिवगंगा सेवा समिति”, देवघर के ऊर्जावान युवकों का समूह है। इसके सदस्यों ने आस्था की पुनर्स्थापना के लिए पौराणिक शिवगंगा पर 101 साल तक “महाआरती” का संकल्प लिया है। इनके सौजन्य से शिवगंगा तट पर अबाधित रूप से हर शाम महाआरती हो रही है। यह समिति आस्थापूर्वक जल प्रदूषण के खिलाफ जनांदोलन तैयार करने में लगी है। समिति के सदस्य सामाजिक सरोकार को प्रधानता देते हैं और सांस्कृतिक प्रोत्साहन के काम में संलग्न हैं। समिति का ध्येय है कि समाज के अंतिम सिरे पर खड़े इंसान का उत्थान हो और बैद्यनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों को धर्म,
पृथ्वी पर प्रकृति का अनमोल उपहार जल
Posted on 05 May, 2013 12:04 PM

आज पूरा संसार जल संकट के दौर में आ गया हैं। आज पानी का संरक्षण कम और दोहन अधिक मात्रा में हो रहा है। वास्तविकता

फुकुशिमा से आँख चुराता भारत
Posted on 04 May, 2013 03:35 PM फुकुशिमा की दूसरी बरसी पर दुनियाभर में परमाणु उर्जा के सुरक्षित स्वरूप को लेकर बहस चली। इस बीच संयंत्
गाँवों को शहर बनाने के विरुद्ध
Posted on 04 May, 2013 01:33 PM शहरी हो अथवा ग्रामीण, दोनों ही जीवनों को जी रहे व्यक्तियों को ध्य
प्रकृति द्वारा प्रदत्त उपहार वृक्ष
Posted on 03 May, 2013 03:38 PM

अच्छा होता कि अगर पेड़ काटने से पहले पेड़ लगाए जाते। लेकिन जल्दी जो काटने की है लगाने की नहीं। यही पेड़ पहले वाह

नरेगा से मनरेगा तक
Posted on 03 May, 2013 03:20 PM महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून (मनरेगा) दुनिया में अपने किस्म का अनोखा कार्यक्रम है। इसके तहत गाँवों के ग़रीबों को निश्चित पारिश्रमिक पर वर्ष में कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी दी गई है। यदि काम नहीं मिला तो बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद 25 अगस्त 2005 को यह कानून का रूप ले सका। उस समय इसे नरेगा नाम दिया गया। 2 अक्टूबर 2009 से
दमन, आंदोलन और भ्रष्टाचार
Posted on 03 May, 2013 03:18 PM जहां कहीं इस व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चले, वहां दमन भी चला। मंत्री महोदय इस भ्रष्टाचार को रोक पाने में असफल रहे, पर उन्हें अपने हाथी के दांत दिखाने तो थे ही, सो उन्होंने तुरत-फुरत मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख डाले।
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