संतोष कुमार सिंह

संतोष कुमार सिंह
मजबूत पंचायत से पूरा होगा विकेंद्रीकरण का सपना : मणिशंकर
Posted on 02 Jun, 2013 03:33 PM
पूर्व केंद्रीय पंचायती राज मंत्री मणिशंकर अय्यर पंचायतों को मजबूत करने की दिशा में हमेशा से सक्रिय रहे हैं। यही कारण है कि पंचायती राज मंत्रालय ने उनकी अध्यक्षता में पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनायी। इस कमेटी ने हाल ही में राष्ट्रीय पंचायती राज व्यवस्था के स्थापना दिवस पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। पेश है इस रिपोर्ट के आलोक में पंचायतनामा के लिए मणिशंकर अय्यर से
खेती लाभकारी होगी, तभी होगा कृषि का विकास
Posted on 28 May, 2013 03:38 PM
डॉ. टी.हक देश के जाने माने कृषि अर्थशास्त्री हैं। भारत सरकार के कमिशन फॉर एग्रिकल्चर, कॉस्ट ऑफ प्राइसेस के चेयरमैन रहे डॉ.
तालाब बचेगा तभी समाज बचेगा
Posted on 20 Nov, 2012 09:41 AM
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम मिश्र तालाबों के संरक्षण के काम के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। सहज-सरल व्यक्तित्व वाले अनुपम जी पानी के संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक की बजाय देशज तकनीक व परंपरागत तरीकों के प्रवक्ता रहे हैं। उनकी पुस्तकें ‘आज भी खरे हैं तालाब’ व ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ काफी चर्चित रही हैं। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ ने पुस्तकों के छपने और बंटने के कई रिकार्ड तोड़ डाले। अनुपम जी से पंचायतनामा संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की।

उत्तर भारत में प्रसिद्ध पर्व छठ हो रहा है। इस दिन नदियों या तालाबों पर जाकर मनाये जाने वाले इस त्योहार की परंपरा को कैसे देखते हैं आप?

अनुपम जी
जिन्हें खाना नसीब नहीं वे शौचालय कैसे बनायेंगे
Posted on 08 Oct, 2012 05:30 PM
सुलभ शौचालय के रूप में देश के शहरों और कस्बों को सार्वजनिक शौचालय का बेहतरीन विकल्प पेश करने वाले बिंदेश्वशर पाठक किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें इस जनकल्याणकारी योजना को व्यवसाय का रूप दे दिया है। पेश है ग्राणीण स्वच्छता के मुद्दे पर उनसे विशेष बातचीत

एक स्वच्छ शौचालय का मानव जीवन में कितना महत्व है?
स्वच्छ भोजन जीवन के लिए जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी स्वच्छ शौच की व्यवस्था भी है। मल त्याग की अव्यवस्थित व्यवस्था कई तरह की बीमारियों को जन्म देती है। बीमारियों की वजह से न सिर्फ दैहिक नुकसान होता है, बल्कि आर्थिक हानि भी होती है। शौचालय की व्यवस्था होने पर सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक तीनों ही रूप में सशक्त होते हैं। इसके साथ ही यह प्रदूषण मुक्ति में भी सहयोगी है। मानव मल खाद बन कर जहां खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मददगार होता है, वहीं इससे बायोगैस का निर्माण भी होता है।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा में एक नई शुरुआत(A New Beginning in Renewable Energy in India)
ग्रिड से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा के अन्तर्गत विगत ढाई वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा का 14.30 गीगावाट का क्षमता वर्धन हुआ है, जिसमें सौर ऊर्जा से 5.8 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 7.04 गीगावाट, छोटी हाइड्रो ऊर्जा से 0.53 गीगावाट और जैव ऊर्जा से 0.933 गीगावाट ऊर्जा शामिल है। 31 अक्तूबर, 2016 की स्थिति के अनुसार देश में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से कुल मिलाकर 8727.62 मेगावाट से भी अधिक की क्षमता संस्थापित हुई है।
Posted on 04 Sep, 2023 12:29 PM

नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र राष्ट्र को ग्रिड पावर मुहैया कराने में बढ़-चढ़कर भूमिका निभा रहा है। इसकी कुल क्षमता लगभग 8,000 मेगावाट तक पहुंच गयी है और भारत ने केवल पवन ऊर्जा से 5,300 मेगावाट से अधिक की क्षमता हासिल करके विश्व में पवन ऊर्जा में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। भारत द्वारा विश्व का सबसे बड़ा नवीकरणीय क्षमता विस्तार कार्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा पर अ

नवीकरणीय ऊर्जा
×