Posted on 21 Jun, 2016 09:31 AM जल की महिमा का बखान एक गीत में इस प्रकार किया गया है- ‘जल न होता तो ये जग जाता जल।’ आज सचमुच दुनिया जलने के कगार की ओर बढ़ रही है। तमाम दूरद्रष्टा यह कह भी चुके हैं कि तीसरा विश्व-युद्ध पानी के लिये होगा। इस साल के जबर्दस्त सूखे ने भारत के एक बड़े भूभाग में लोगों को बूँद-बूँद पानी के लिये तरसा कर रख दिया। इसके साथ ही पानी को लेकर हमारी जमीनी हकीकत और इन्तज़ाम की कलई भी खुल गई। यदि हम अब भ
Posted on 12 Jun, 2016 04:49 PM गर्मी बढ़ गई, पारा आसमान छूने को है, चारों ओर पानी के लिये त्राही-त्राही मची है। लेकिन छत्तीसगढ़ में दो तरफ से लोगों की मौत हो रही है वे बर्बाद हो रहे हैं। पहले तो वे हैं जिनके पास पीने, आजीविका चलाने, सिंचाई करने का पानी नहीं है जैसे की किसान।
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 40 से ज्यादा किसानों ने मौत को गले सिर्फ इसलिये लगा लिया क्योंकि उनके पास अपने खेतों को सिंचने के लिये पानी नहीं था। दूसरे ओर वे लोग हैं जिनके पास पानी तो है लेकिन उनके पानी में धीमा जहर है और सेवन के साथ धीरे-धीरे मौत हो जाती है।
Posted on 02 Jun, 2016 04:04 PM 1 से 3 जुलाई 2016, नया रायपुर
प्रिय साथी, मित्र प्रदीप शर्मा बताते हैं कि ग्राम वह इकाई है जहाँ मानव श्रम और बुद्धि का व्यक्तिगत एवं सामूहिक समृद्धि के लिये प्रकृति के जल, थल और अग्नि में सफल सामूहिक नियोजन होता है। खेती में जल और थल का उपयोग होता है और कुटीर उद्योग में अग्नि का।
प्रकृति में जल, थल और अग्नि के अलावा वायु और आकाश भी समाहित है पर ग्राम के स्तर पर इनका अब तक अधिक उपयोग नहीं हुआ है। आपसी बातचीत के लिये वायु का उपयोग तो होता है पर इसे और बेहतर किया जा सकता है एक बेहतर समाज बनाने के लिये। सीजीनेट स्वर और बुल्टू रेडियो इसी दिशा के प्रयोग हैं जिससे संवाद की बेहतरी से जीवन के सभी अंगों में सुधार लाया जा सके।
संवाद के लिये प्राकृतिक माध्यम या मीडिया यानि हवा का प्रयोग मनुष्य शुरू से करता रहा है। इसमें धीरे-धीरे ढोल जैसे यंत्र जुड़े जो उसकी कार्यक्षमता को बढाने में उपयोग में लाए जाते रहे। पर ढोल का स्थान जब रेडियो के ट्रांसमीटर जैसे यंत्रों ने लिया तब उसकी मालकियत बहुत से कुछ लोगों तक सीमित हो गयी।
Posted on 26 May, 2016 04:06 PM जल स्तर ऊपर उठाने के लिये छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक साल के भीतर करीब दो सौ करोड़ रुपए खर्च कर राजाडेरा और बेलोरा में बड़े जलाशय बनाए गए। इसी मकसद से कुछ गाँवों में एक दर्जन एनीकट भी बनाए गए। अफसरों ने दावा किया गया था कि इसके बाद यहाँ का जलस्तर ऊपर उठेगा, लेकिन इसके उलट जिले में जलस्तर 5 मीटर तक नीचे चला गया है।
पीएचई विभाग के अनुसार धमतरी जिले में पिछले चार महीने में जलस्तर में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। मगर लोड ब्लाक जहाँ सबसे ज्यादा जलाशय और एनीकट बने हुए हैं, वहाँ दिसम्बर माह में जलस्तर 19.40 मीटर था, जो अब 23.11 मीटर नीचे चला गया है। इसी तरह, धमतरी का जलस्तर 19 मीटर से 23.90 मीटर तक पहुँच गया है।