उपरी जमीन डूबान में और निचली बेअसर


मोहड़ परियोजना के लिये सर्वे में सिंचाई विभाग का कारनामा
.सरकारी अमला दूर-दराज के गाँव में बड़ी सफाई से ऐसा कारनामा कर गुजरता है, जिसे देख सुन कर कोई भी हैरान रह जाएगा। छत्तीसगढ़ में मोहड़ जलाशय परियोजना के लिये बालोद जिले के गाँव, जंगल और खेतों में हुए सर्वे की यही कहानी है। हकीकत सामने आई तो जिला प्रशासन ने अप्रैल माह में दोबारा सर्वे भी कराया। जिसमें ज्यादातर किसानों की 5 से 7 एकड़ अतिरिक्त जमीन डुबान में शामिल की गई है। लेकिन पहले से ही कम मुआवजा तय होने का दंश झेल रहे ग्रामीणों के लिये यह किसी घिनौने मजाक से कम नहीं है।

दरअसल यह सारा फर्जीवाड़ा आउटसोर्सिंग के खेल के चलते हुआ है। जल संसाधन विभाग ने यहाँ सर्वे का काम ऐसी निजी एजेंसी को दिया था, जिसे पूर्व अनुभव था ही नहीं। अब इसका खामियाजा किसान-ग्रामीण भुगत रहे हैं। हालात यह है कि सिंचाई विभाग के सर्वे में ऊँचे हिस्से की जमीन को प्रस्तावित बाँध के डूबान में बता दिया गया है, वहीं पानी के बहाव की दिशा में ठीक नीचे की ओर आने वाली जमीन को डूबान से मुक्त बता दिया गया है। अब ऐसे में खुद सिंचाई विभाग के अफसर नहीं समझ पा रहे हैं कि अगर ऊपरी हिस्सा डूबेगा तो नीचे की जमीन कैसे सूखी रहेगी। हालाँकि जिम्मेदार अफसर इसे मानवीय भूल बता रहे हैं लेकिन मोहड़ परियोजना को लेकर ग्रामीणों में असंतोष की एक वजह यह भी है।

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के प्रभावित गाँवों में जल संसाधन विभाग ने डूबान क्षेत्र का सर्वे निजी एजेंसी से करवाया था। ग्रामीणों ने इस प्रतिनिधि को जंगल के बीच अपने-अपने खेतों में ले जाकर दिखाया कि किस लापरवाही से सर्वे किया गया है। हुच्चेटोला गाँव में ठेमनलाल पिता झाड़ूराम का 17 आरे (100 आरे-एक एकड़) छूट गया है। जबकि उससे लगा तिलकराम पिता झाड़ूराम 56 आरे पूरा डूबान है। रोहिदास, सावंतराम,परमेश्वर, प्रीतराम व नरबदा बाई के खेत ऊँचाई पर हैं। इसे सरकारी सर्वे में डूबान में ले लिया गया है, वहीं इसके निचले हिस्से में दुखित, गउतराम, शांतूराम, तिलकराम, नारायण सिंह, खुमान सिंह, डुलेश्वर, ठेमनलाल, रोहिदास नारायण के खेत छोड़ दिए गए हैं। ऐसा खेल गाँव-गाँव में सर्वे में हुआ है। सर्वे टीम ने यहाँ सीमांकन में भी बड़ा खेल किया है। ग्रामीण बताते हैं सर्वे टीम ने नारायण सिंह पिता मांधाता के खेत में सीमांकन का पत्थर लगाया था लेकिन बाद में जिला प्रशासन के अफसर आए तो वास्तविक सीमा सीमा नारायण सिंह के खेत से भी आगे निकली। ग्रामीण बताते हैं कि निजी एजेंसी ने बेहद गोलमोल सर्वे किया था और पेड़-पौधों की गिनती तक नहीं की थी। जब शिकायत की गई तो पेड़ पौधे की गिनती की गई। ग्रामीण बताते हैं पौधा गिनती करने अमीन पटवारी आए तो उनके रिकॉर्ड से पता लगा कि वास्तविक डूबान क्षेत्र तो आगे है।

एनीकट को छोड़ दिया लावारिस


इस पूरे इलाके में एक और पहचान यहाँ का कटबांध है। दरअसल यहाँ भूजल स्रोत की उपलब्धता कम है और बोर करने पर पानी नहीं निकलता है। इसलिये अकाल के दौर में ग्रामीणों ने आपसी समझ-बूझ से नाले पर कट बाँध बना कर खेती की सिंचाई के लिये अपने तरीके का अनूठा बंदोबस्त 50 साल पहले ही कर लिया था। इस कट बाँध की समय-समय पर सिंचाई विभाग भी मिसाल देता रहा है। जिसकी विस्तृत जानकारी फिर कभी। इसी कट बाँध की तारीफ सुन कर साल 2003 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल दिनेशनंदन सहाय ग्राम कुदारीदल्ली व हुच्चेटोला के दौरे पर आए थे। ग्रामीणों की अपनी व्यवस्था ने उन्हें बेहद प्रभावित किया और उन्होंने तत्काल मौके पर ही बेहतर सिंचाई के लिये हुच्चेटोला के समीप एनीकट बनवाने कहा। इसी दौरान मोहड़ परियोजना का भी ब्लू प्रिंट फिर से बनने लगा। तब हुच्चेटोला गाँव से आगे दनगड़ नाले पर जल संसाधन विभाग ने एनीकट निर्माण शुरू कर लिया था। लेकिन जैसे ही मोहड़ परियोजना का काम आगे बढ़ा, इस एनीकट के काम को रोक दिया गया। तब से यहाँ काम बंद पड़ा है। ठेमनलाल देशमुख, केजुराम नेताम और दिलीप सिंह देशमुख बताते हैं राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय के निर्देश के बाद उम्मीद बंधी थी कि एनीकट बनेगा तो सिंचाई की बेहतर व्यवस्था हो पाएगी। लेकिन जब से मोहड़ प्रोजेक्ट घोषित हुआ है, तब से यहाँ काम बंद है। ठेमनलाल देशमुख की दलील है, वैसे भी मोहड़ जलाशय का लाभ बालोद जिले के गाँवों को सिंचाई के लिये नहीं मिलेगा। अगर इस एनीकट से नहर नाली निकाल दी जाए तो हुच्चेटोला सहित इससे लगे कई गाँव को सिंचाई के लिये इसका फायदा मिल सकता है।

आज भी हेमचंद हैं इनके मंत्री


Hemchand yadav minister in 2016..-1मोहड़ जलाशय परियोजना को लेकर जल संसाधन विभाग कितना गम्भीर है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दशक भर पहले का संकेतक आज भी जस का तस है। राजनांदगाँव जिले में बूटेकसा के समीप लगाए गए इस संकेतक में आज भी हेमचंद यादव जलसंसाधन मंत्री है। जबकि हेमचंद यादव को इस विभाग का मंत्री रहे 4 साल से ज्यादा का अरसा गुजर चुका है। आज बृजमोहन अग्रवाल इस विभाग के मंत्री हैं लेकिन जल संसाधन विभाग अपने ही मंत्री को लेकर कितना गम्भीर है, यह इस संकेतक को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

क्या कहता है जिला प्रशासन


सर्वे में गड़बड़ी की शिकायत जिला प्रशासन को मिली थी। हमने दोबारा सर्वे करवाया है और तमाम विसंगतियों का निराकरण कर रहे हैं। जहाँ तक पुराने एनीकट का मामला है तो जल संसाधन विभाग से इसका सर्वे करवा लिया जाएगा। - राजेश सिंह राणा, कलेक्टर बालोद

 

 

सर्वे निजी एजेंसी से करवाया गया था। मानवीय भूल होना स्वाभाविक है। दोबारा सर्वे में ग्रामीणों की शिकायतें दूर की जा रही हैं। दनगड़ नाले पर एनीकट अधूरा नहीं है बल्कि पूरा बना है। लेकिन मोहड़ प्रोजेक्ट के सम्भावित प्रभाव को देखते हुए आगे का काम रोक दिया गया था। 2004 का इसका रिकॉर्ड देखने के बाद सर्वे कर शासन को प्रस्ताव भेजेंगे।- डीएन गिद्रोनिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग बालोद

 

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