छत्तीसगढ़

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बस्तर जिले का जल संसाधन उपयोग (Water Resources Utilization of Bastar District)
Posted on 22 Feb, 2018 12:16 PM
सिंचाई - सिंचाई का विकास, सिंचाई का वितरण, सिंचाई के साधन, सिंचाई परियोजनाएँ, सिंचित फसलें, सिंचाई के लिये अंतर्भोम जल की उपयोगिता, सिंचाई की समस्याएँ।

जल संसाधन उपयोग

बस्तर जिले का अंतर्भौम जल (Subsurface Water of Bastar District)
Posted on 20 Feb, 2018 12:50 PM
अंतर्भौम जल : अंतर्भौम जल का स्थानिक प्रतिरूप, विशिष्ट प्राप्ति पारगम्यता, अंतर्भौम जलस्तर की सार्थकता, अंतर्भौम जल की मानसून के पूर्व पश्चात गहराई, अंतर्भौम जल की सममान रेखाएँ, अंतर्भौम जल का पुन: पूर्ण एवं विसर्जन।

भू-गर्भ जल

बस्तर जिले का धरातलीय जल (Ground Water of Bastar District)
Posted on 19 Feb, 2018 05:28 PM
धरातलीय जल : अपवाह तंत्र, जलप्रवाह, वाष्पोत्सर्जन, जलप्रवाह, सतही जल, तालाब, नदी, नालों के जल का मूल्यांकन, तालाबों की संग्रहण क्षमता, जल की गुणवत्ता।

धरातलीय जल

बस्तर जिले की जल संसाधन का मूल्यांकन (Water resources evaluation of Bastar)
Posted on 19 Feb, 2018 01:28 PM
वर्षा : वर्षा का वितरण, वार्षिक वितरण, मासिक वितरण, वर्षा के दिन, वर्षा की तीव्रता, वर्षा की परिवर्तनशीलता, वर्षा की प्रवृत्ति एवं वर्षा की संभाव्यता।

वाष्पन क्षमता : मिट्टी में नमी एवं उसका उपयोग, नमी, जल अल्पता (जलाभाव), जलाधिक्य, सूखा (अनावृष्टि), जलवायु विस्थापन

जल संसाधन का मूल्यांकन

बस्तर जिले की भौगोलिक पृष्ठभूमि (Geography of Bastar district)
Posted on 18 Feb, 2018 01:08 PM

भौतिक पृष्ठभूमि :


स्थिति एवं विस्तार, भू-वैज्ञानिक संरचना, धरातलीय स्वरूप, मिट्टी, अपवाह, जलवायु, वनस्पति।

सांस्कृतिक पृष्ठभूमि :

जनसंख्या
जनसंख्या का वितरण, घनत्व, जनसंख्या का विकास, आयु एवं लिंग संरचना, व्यावसायिक संरचना, अर्थव्यवस्था, भूमि उपयोग, कृषि तथा पशुपालन, खनिज परिवहन तथा व्यापार।

भौगोलिक पृष्ठभूमि

प्रस्तावना : बस्तर जिले में जल संसाधन मूल्यांकन एवं विकास एक भौगोलिक विश्लेषण (An Assessment and Development of Water Resources in Bastar District - A Geographical Analysis
Posted on 16 Feb, 2018 05:44 PM

पृथ्वी पर जीवन को सतत बनाये रखने के लिये प्राण वायु के बाद जल दूसरा महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक भौतिक पदार्थ है

पानी के लिये महिलाओं ने चीरा पहाड़ का सीना
Posted on 26 Dec, 2017 11:26 AM

महिलाओं की दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे पहाड़ भी नतमस्तक हो उठा। एक हजार फीट की ऊँचाई पर चढ़कर महिलाओं ने पहाड़ की छाती को चीरना शुरू किया। डेढ़ साल तक 70 महिलाओं की टीम ने हाड़तोड़ मेहनत की। पहाड़ की ढलान के साथ-साथ गहरी नालियाँ बनाई गई, जिन्हें बड़े पाइपों से जोड़ा गया, ताकि बारीश का पानी इनके जरिए नीचे चला आये। पाइप लाइन बिछाने के बाद नौ फीट गहरी सुरंग भी खोदी। इसमें भी प्लास्टिक की पाइप लाइन बिछाई। जिसे तालाब पर पहुँचाना था।

मस्तूरी ब्लॉक का ग्राम खोंदरा चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। पूरा इलाका पानी की किल्लत से जूझता था। बारिश का पानी भी व्यर्थ चला जाता था। पानी न होने से खेती-बाड़ी पर बुरा असर पड़ रहा था। लेकिन गाँव की 70 महिलाओं ने साझा प्रयास कर वर्षाजल के संरक्षण का अनूठा प्रयास किया है। इसके लिये उन्हें पहाड़ का सीना चीरना पड़ा। महिलाओं द्वारा पाँच एकड़ में बनाए गए तालाब ने अब पानी की किल्लत को खत्म कर दिया है।

बारिश के पानी को पहाड़ से गाँव में लाने के लिये इन महिलाओं ने तीन साल तक खूब मेहनत की। इसके लिये एक हजार फीट की ऊँचाई पर चढ़कर पहाड़ को काटा और पाइप लाइन बिछाई।
अनूठी मिसाल है दो सौ साल पुराना यह समृद्ध तालाब
Posted on 24 Dec, 2017 11:05 AM

जिले के कुम्हारी कस्बे के पास कंडरका गाँव में मौजूद इस विशाल तालाब से 250 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई भी होती

एक बहस - छत्तीसगढ़ भूजल प्रतिबन्ध (farmers are denied groundwater extraction)
Posted on 11 Nov, 2017 04:07 PM


05 नवम्बर 2017 को एक एजेंसी के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने रबी की फसलों के लिये भूजल के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में धान की खेती पर प्रतिबन्ध का भी आदेश जारी कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ किसान सभा इसका कड़ा विरोध कर रही है।

छत्तीसगढ़ में किसानों को भूजल के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध
मृदा प्रदूषण से निजात दिलाने में मददगार हो सकती है फफूंद की नई प्रजाति (New species of fungus can be helpful in reducing pollution)
Posted on 06 Oct, 2017 03:11 PM
बरसात के मौसम में लकड़ियों के ढेर या फिर पेड़ के तनों पर पाए जाने वाले फफूंद अक्सर दिख जाते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने एपीसी5 नाम के ऐसे ही एक नए फफूंद की पहचान की है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों को अपघटित करके मृदा प्रदूषण को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है।
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