तारीख : 18-22 जून 2013
स्थान : भोपाल
इंदौर (सप्रेस)। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी विज्ञप्ति में चित्तरूपा पालित, आलोक अग्रवाल, कलाबाई, रामविलास राठौर, कैलाश पाटीदार एवं गोविंद रावत ने बताया कि नर्मदा घाटी में बन रहे विशालकाय ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों से विस्थापित होने वाले हजारों लाखों प्रभावितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है। इस अन्याय के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले इकट्ठे होकर विस्थापित किसान मजदूर, महिला-पुरुष पिछले कई सालों से लम्बा संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष के कारण हाल ही में ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है पर ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों के हजारों परिवारों को उनके पुनर्वास के अधिकार मिलना बाकी है। इसलिए इन बांधों के हजारों प्रभावित आगामी 18 जून से 22 जून तक पांच दिन भोपाल में डेरा डालेंगे और कुछ प्रभावित पांच दिन का उपवास करेंगे।
ज्ञातव्य है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक भी किसान को जमीन नहीं दी और अपना एक भी कर्तव्य पूरा नहीं किया है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन बांधों के विस्थापितों के लिए बनी पुनर्वास नीति का कड़ाई से पालन करना पड़ेगा और पुनर्वास नीति के अंतर्गत हर विस्थापित किसान परिवार को जमीन के बदले जमीन और न्यूनतम दो हेक्टेयर जमीन अनिवार्य रूप से देनी होगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि संपूर्ण पुनर्वास बांध निर्माण व डूब के पहले पूरा होना जरूरी है। परन्तु इन आदेशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
इसलिए, अपने पुनर्वास के अधिकारों को लेने के लिए नर्मदा घाटी के बांध प्रभावित 18 जून 2013 से राजधानी भोपाल में ‘‘नर्मदा जीवन अधिकार सत्याग्रह व उपवास‘‘ करेंगे।
स्थान : भोपाल
इंदौर (सप्रेस)। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी विज्ञप्ति में चित्तरूपा पालित, आलोक अग्रवाल, कलाबाई, रामविलास राठौर, कैलाश पाटीदार एवं गोविंद रावत ने बताया कि नर्मदा घाटी में बन रहे विशालकाय ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों से विस्थापित होने वाले हजारों लाखों प्रभावितों के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है। इस अन्याय के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले इकट्ठे होकर विस्थापित किसान मजदूर, महिला-पुरुष पिछले कई सालों से लम्बा संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष के कारण हाल ही में ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है पर ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर, महेश्वर, अपर बेदा और मान बांधों के हजारों परिवारों को उनके पुनर्वास के अधिकार मिलना बाकी है। इसलिए इन बांधों के हजारों प्रभावित आगामी 18 जून से 22 जून तक पांच दिन भोपाल में डेरा डालेंगे और कुछ प्रभावित पांच दिन का उपवास करेंगे।
ज्ञातव्य है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक भी किसान को जमीन नहीं दी और अपना एक भी कर्तव्य पूरा नहीं किया है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन बांधों के विस्थापितों के लिए बनी पुनर्वास नीति का कड़ाई से पालन करना पड़ेगा और पुनर्वास नीति के अंतर्गत हर विस्थापित किसान परिवार को जमीन के बदले जमीन और न्यूनतम दो हेक्टेयर जमीन अनिवार्य रूप से देनी होगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि संपूर्ण पुनर्वास बांध निर्माण व डूब के पहले पूरा होना जरूरी है। परन्तु इन आदेशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
इसलिए, अपने पुनर्वास के अधिकारों को लेने के लिए नर्मदा घाटी के बांध प्रभावित 18 जून 2013 से राजधानी भोपाल में ‘‘नर्मदा जीवन अधिकार सत्याग्रह व उपवास‘‘ करेंगे।
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