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भारत
मैं नदिया फिर भी प्यासी
Posted on 05 Jul, 2009 10:36 AMआज पानी की कमी को लेकर कोहराम मचा हुआ है। तालाब सूख रहे हैं। नदियां अपना रूप बदल रही हैं। भूजल स्तर नीचे जा रहा है। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि अगला विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा। इस सबके बावजूद भारत के हर रंग-ढ़ंग में पानी है।
सरस्वती नदी व प्राचीनतम सभ्यता
Posted on 04 Jul, 2009 09:48 AMआज सिंधु घाटी की सभ्यता प्राचीनतम सभ्यता जानी जाती है। नाम के कारण इसके शोध की दिशा बदल गयी। वास्तव में यह सभ्यता एक बहुत बड़ी सभ्यता का अंश है, जिसके अवशिष्ट चिन्ह उत्तर में हिमालय की तलहटी (मांडा) से लेकर नर्मदा और ताप्ती नदियों तक और उत्तर प्रदेश में कौशाम्बी से गांधार (बलूचिस्तान) तक मिले हैं। अनुमानत: यह पूरे उत्तरी भारत में थी। यदि इसे किसी नदी की सभ्यता ही कहना हो तो यह उत्तरी भारत की नद
कपड़ा क्षेत्र भी नरेगा में
Posted on 03 Jul, 2009 08:11 PMकपड़ा सचिव रीता मेनन के कहा कि इस क्षेत्र को नरेगा में शामिल करने से लाखों लोगों को रोजगार मिल सकेगा। देश के रोजगार गारंटी कार्यक्रम नरेगा का विस्तार करते हुए सरकार कपड़ा क्षेत्र को भी इसमें शामिल करने की तैयारी कर रही है।हमारे वाटर एक्सपर्ट बनें
Posted on 21 Jun, 2009 12:10 PMक्या आप जल समस्या संबंधी सवालों का जवाब देना चाहते हैं
नरेगा की क्रियान्वयन स्थिति
Posted on 23 Apr, 2009 04:13 AMभारत सरकार ने 1 अप्रैल, 2008 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) का विस्तार देश के सभी 604 जिलों में कर दिया। इसकी घोषणा करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि वर्ष 2008-09 में विस्तारित नई योजना के लिए 16 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। इसमें से 163.12 करोड़ रुपये पहले ही नये 274 जिलों में प्रारंभिक गतिविधियों के लिए जारी कर दिया गया है।
सूखी होली..
Posted on 04 Feb, 2009 07:33 AMसूखी होली खेलने से बच सकता है पानी
नई दिल्ली, पानी की कमी को देखते हुए लोगों को चाहिए कि वह सूखी होली खेलें. इस तरह वह जल संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. यह अच्छी बात है कि सामाजिक संस्थाएं और आमजन इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं.
समय की मांग हैं जल प्रबंधक
Posted on 03 Feb, 2009 07:01 PMपर्यावरण प्रदूषण आज एक ग्लोबल समस्या बन चुकी है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। इस क्रम में जल प्रदूषण को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई जा रही है। आने वाले समय जहां स्वच्छ पेय जल की कमी को लेकर विश्वयुद्ध की संभावना जताई जा रही है, तो दूसरी ओर जो जल हमारे पास उपलब्ध है, उसे प्रदूषित किया जा रहा है। इस प्रदूषण से नदियों, कुंओं और तालाबों के जल के साथ ही भूमिगत जल स्त्रोत भी विषाक्त हो रहे हैं। ऐसे में जसबको साफ़ पानी का अधिकार - चुनावी वादा
Posted on 03 Feb, 2009 01:05 PMजल संकट, जल प्रबन्धन और संरक्षण - आडवाणी जी के साथ एक परिसंवाद
कुछ यूरोपीय देशों को छोड़कर समूचे विश्व में जल संकट अपने पैर पसार चुका है, भारत में तो अप्रैल से जून तक का समय सर्वाधिक भीषण जल संकट का होता है। इसके निदान के लिये विभिन्न स्तरों पर प्रयास तो चल ही रहे हैं। इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर राजनैतिक व्यक्तित्व भला कैसे पीछे रह सकते हैं। प्रधानमंत्री पद के एनडीए के उम्मीदवार और भारत की समस्याओं को नज़दीक से जानने-समझने वाले श्री लालकृष्ण आडवाणी ने