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जलागम कार्य प्रशिक्षण पुस्तक
Posted on 22 Sep, 2009 06:47 PM

राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारण्टी अधिनियम


जलागम कार्य प्रशिक्षण पुस्तक


 

बाबा आमटे लोक सशक्तिकरण केन्द्र


समाज प्रगति सहयोग
जुलाई 2006

नर्मदा अंचल की मिट्टियाँ
Posted on 22 Sep, 2009 12:14 PM
मिट्टी सदियों में बनती है, इसका नदियों में बह जाना अच्छी बात नहीं है। मिट्टी का बनना एक अत्यंत धीमी प्राकृतिक प्रक्रिया है । उपजाऊ मिट्टी खोना मूल्यवान संपत्ति खोने जैसा ही है क्योंकि इसी पर हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था आधारित है । नर्मदा अंचल में पाई जाने वाली मिट्टियाँ इस अंचल की समृद्धि का आधार हैं । परन्तु वनों का घनत्व कम होते जाने और भू-क्षरण के नियंत्रण पर जरूरत से काफी कम ध्यान दे पाने के का
कम पानी में भी हो सकती है धान की अच्छी पैदावार
Posted on 09 Sep, 2009 10:08 PM

 

सूखा प्रतिरोधी धान की खेती करना अब मुमकिन हो गया है। शुक्र है कि गेहूं की तरह अब चावल उगाने के लिए तकनीक उपलब्ध हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि धान के खेत को हमेशा पानी से भरा हुआ रखे बिना भी इसकी खेती की जा सकती है। नई तकनीक से धान की फसल के लिए पानी की जरूरत में 40 से 50 फीसदी तक कम करने में मदद मिलेगी।

 

एक लाख जल निकायों की बहाली (रिपेयर, रिनोवेशन, रिस्टोरेशन वाटरबॉडीज स्कीम)
Posted on 09 Sep, 2009 12:17 PM

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर घरेलू समर्थन के साथ, 9 लाख हेक्टेयर के जलग्रहण क्षेत्र वाले एक लाख जल निकायों की बहाली, मरम्मत और नवीनीकरण करने की योजना को मंजूरी दे दी है। योजना के पूरा होने के बाद लगभग 4 लाख हेक्टेयर.
किसानों से सीखें मौसम का पूर्वानुमान
Posted on 08 Sep, 2009 06:17 PM

वे ऋतुओं के आधार पर गणना करते हैं, मौसम विज्ञान विभाग पश्चिम की नकल करता है


विगत आठ अप्रैल (09) को मौसम विज्ञान विभाग ने कहा था कि इस साल मानसून वक्त से पहले आ रहा है, बारिश अच्छी होगी। लेकिन ढाई महीने बाद 24 जून को उसी मौसम विभाग ने कहा कि मानसून डिले है और बारिश भी इस साल कम होगी। मौसम विभाग की किस भविष्यवाणी को सही माना जाए, यह समझ से परे है।
मनमौजी मानसूनी वर्षा
Posted on 03 Sep, 2009 04:44 PM

यह सर्व ज्ञात सत्य है कि जमीन पर तापमान में अन्तर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। इस विचारधारा के अनुसार यदि पृथ्वी पर या उसके सम्पूर्ण धरातल पर जल का या केवल स्थल का ही वितरण होता तो मानसून की उत्पत्ति न होती, किन्तु यह युक्ति ठीक वैसी ही है जैसे ``न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। ´´ अत: जमीन पर तापमान के अंतर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। वायुमण्डलीय ताप और दाब से गति उत्पन्न होती है। वाय

जल की जय हो
Posted on 02 Sep, 2009 08:00 PM

भारत में जल की बढ़ती हुई मांग और अनुपलब्धता को देखते हुए कैबिनेट कमेटी ने 2007 को जल वर्ष के रूप में अनुमोदन किया था । इस देश में पानी की उपलब्धता 4000 लाख घन मीटर है जिसमें से 2150 लाख घन मीटर पृथ्वी की निचली सतह में चला जाता है । 1150 लाख घन मीटर नदी व नालों में जल भराव के रूप में बह जाता है और 700 लाख घन मीटर भाप के रूप में नष्ट हो जाता है । हमारे देश में कुल उपलब्ध पानी से लगभग 1400 लाख हैक

जल और भारत का भविष्य
Posted on 22 Aug, 2009 08:35 PM
भारत को बहुत तेजी से पुरानी व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था अपनानी चाहिए और नई पीढ़ी को पानी के मामले में मुश्किल भविष्य का सामना करने के लिए तैयार करना चाहिए।
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