सूखी होली खेलने से बच सकता है पानी
नई दिल्ली, पानी की कमी को देखते हुए लोगों को चाहिए कि वह सूखी होली खेलें. इस तरह वह जल संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. यह अच्छी बात है कि सामाजिक संस्थाएं और आमजन इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं.
पानी की बर्बादी रोकने के लिए सबको मिल-जुलकर प्रयास करने होंगे. वर्तमान जलसंकट को देखते हुए लोगों को होली की उमंग भारी पड़ सकती है क्योंकि अगर लोगों ने हर वर्ष की तरह उमंग व उल्लास के साथ रंगों से सराबोर होकर होली मनाई तो एक दिन में 1 करोड़ 52 लाख 57 हजार 946 लीटर पानी अतिरिक्त खर्च होगा.
होली खेलने वालों ने अगर प्राकृतिक रंग या गुलाल से होली खेली तो कुल 36 लाख 95 हजार 518 लीटर पानी की बचत होगी. यह आंकड़ा सामने आया भास्कर द्वारा होली की तैयारियों में लगे सभी वर्गो के लोगों के बीच सर्वे के पश्चात।
सभी को प्यार के रंग में रंग देने वाले होली के त्योहार पर हर व्यक्ति अपने और दूसरों के जीवन में खुशियों के रंग भर देना चाहता है.
कोई अबीर, गुलाल से तो कोई पक्के रंग और पानी से होली खेलता है, लेकिन आज भी कुछ लोग हैं जो प्रकृति से प्राप्त फूल-पत्तियों व जड़ी-बूटियों से रंग बना कर होली खेलते हैं. उनके अनुसार इन रंगों में सात्विकता होती है और ये किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होते.
विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य तौर पर नहाने में 20 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति खर्च होता है. सूखे रंग या गुलाल से होली खेलने के पश्चात 40 लीटर पानी खर्च होगा पर अगर यही होली कैमिकल युक्त रंगों से खेली जाती है तो रंग छुड़ाने व नहाने में 60 लीटर पानी की खपत होगी.
Source: Oneindia 21 मार्चः 2008
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