पुरबा में पछुँवा बहै। हँसि के नारि पुरुष से कहै।
ऊ बरसे ई करै भतार। घाघ कहै यह सगुन बिचार।।
भावार्थ- यदि पुरवा नक्षत्र में पछुवा बहे और कोई स्त्री परपुरुष से हँस-हँसकर बात करे तो सगुन विचार कर घाघ कवि कहते हैं कि पानी अवश्य बरसेगा और वह स्त्री उस पुरुष से अनुचित सम्बन्ध बनायेगी।
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