पौष अमावस मूल को, सरसै चारों बाय।
निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।
शब्दार्थ- सरसै-हवा का चारों ओर बहना। सिवाय – अधिक।
भावार्थ- यदि पौष की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा डोलने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की आशा है।
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