बोली लोखरि फूली काँस।
अब नाहिंन बरखा कै आस।।
भावार्थ- यदि लोमड़ी बोलने लगे और कांस फूलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि अब वर्षा की कोई आशा नहीं है।
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