Posted on 24 Mar, 2010 12:17 PM समथर जोते पूत चरावै। लगते जेठ भुसौला छावै।। भादों मास उठे जो गरदा। बीस बरस तक जोतो बरदा।।
भावार्थ- यदि बैल को समथर (बराबर जमीन वाले) खेत में जोते; किसान का बेटा उसे चरावें; जेठ लगते ही भूसा रखने का घर छा दे, बैल के बैठने की जगह ऐसी सूखी हो कि भादों में वहाँ धूल उड़े, तो उस बैल को बीस साल तक हल में जोता जा सकता है।
Posted on 24 Mar, 2010 12:03 PM मुँह का मोट माथ का महुआ। इन्हैं देखि जनि भूल्यो रहुआ।। धरती नहीं हराई जोतै। बैठ मेंड़ पर पागुर करै।।
भावार्थ- यदि बैल का मुँह मोटा हो और माथा पीला हो, तो उसे देखकर भूले मत रहो अपितु सावधान हो जाओ क्योंकि वह एक हराई भी खेत नहीं जोत सकता और मेंड़ पर बैठा हुआ पागुर करता रहेगा।