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उदन्त बरदे उदन्त ब्याये
Posted on 24 Mar, 2010 12:27 PM
उदन्त बरदे उदन्त ब्याये।
आप जायँ या खसमै खाये।।


भावार्थ- जो गाय उदन्त (जिसके दूध के दाँत न गिर चुके हों) अवस्था में साँढ़ से जोड़ा खाय और उदन्त ही बच्चा दे, वह यो तो स्वयं मर जाती है या मालिक को मार डालती है।

है उत्तम खेती वाकी
Posted on 24 Mar, 2010 12:25 PM
है उत्तम खेती वाकी।
होय मेवाती गोई जाकी।।


भावार्थ- यदि किसान के पास मेवाती नस्ल के बैलों की जोड़ी हो तो उसकी खेती उत्तम होगी।

हिरन मुतान औ पतली पूँछ
Posted on 24 Mar, 2010 12:22 PM
हिरन मुतान औ पतली पूँछ
बैल बेसाहो कंत बेपूछ।।


भावार्थ- जो बैल हिरन की तरह पेशाब करता हो तथा जिसकी पूँछ पतली हो, ऐसे बैल को तत्काल खरीद लेना चाहिए।

सींग गिरैला बरद के
Posted on 24 Mar, 2010 12:20 PM
सींग गिरैला बरद के, औ मनई का कोढ़।
ये नीके ना होयँगे, चाहे बद लो होड़।।


भावार्थ- बैल का गिरा हुआ सींग और आदमी का कोढ़, ये कभी ठीक नहीं होते चाहे शर्त लगा लो।

समथर जोते पूत चरावै
Posted on 24 Mar, 2010 12:17 PM
समथर जोते पूत चरावै। लगते जेठ भुसौला छावै।।
भादों मास उठे जो गरदा। बीस बरस तक जोतो बरदा।।



भावार्थ- यदि बैल को समथर (बराबर जमीन वाले) खेत में जोते; किसान का बेटा उसे चरावें; जेठ लगते ही भूसा रखने का घर छा दे, बैल के बैठने की जगह ऐसी सूखी हो कि भादों में वहाँ धूल उड़े, तो उस बैल को बीस साल तक हल में जोता जा सकता है।

सींग मुड़े माथा उठा
Posted on 24 Mar, 2010 12:16 PM
सींग मुड़े माथा उठा, मुँह का होवे गोल।
रोम नरम चंचल करन, तेज बैल अनमोल।।


भावार्थ- जिस बैल के सींग मुड़े हों, मस्तक उठा हुआ हो, मुँह गोल हो, बाल मुलायम हों, कान चंचल हों, वह बैल चलने में तेज और अनमोल होता है।

सात दाँतद उदन्त को
Posted on 24 Mar, 2010 12:14 PM
सात दाँतद उदन्त को, रंग जो काला होय।
इनको कबहुँ न लीजिये, दाम चहै जो होय।।


भावार्थ- यदि उदन्त बैल हो और उसके सात दाँत हो तथा रंग उसका काला हो तो ऐसे बैल को कभी नहीं लेना चाहिए। चाहे उसका दाम कुछ भी हो।

सौंख कहै देख मोर कला
Posted on 24 Mar, 2010 12:12 PM
सौंख कहै देख मोर कला।
बेमेहरी का करौं घरा।।


शब्दार्थ- सौंख- जिस बैल के माथे पर निशान हो।

भावार्थ- जिस बैल के माथे पर निशान हों, वह अशुभ होता है और किसान के घर को बिना पत्नी के कर देता है। अर्थात् उसकी पत्नी को ही खा जाता है।

सेत रंग और पीठ बरारी
Posted on 24 Mar, 2010 12:10 PM
सेत रंग और पीठ बरारी।
ताही देखि जनि भूल्यो लारी।।


भावार्थ- ऐसा बैल जो सफेद रंग का हो तथा पीठ की रीढ़ दबी हुई हो, तो उसे तत्काल खरीद लेना चाहिए।

वह किसान है पातर
Posted on 24 Mar, 2010 12:08 PM
वह किसान है पातर।
जो बरदा राखै गादर।।


शब्दार्थ- गादर- सुस्त, आलसी।

भावार्थ- जिस किसान के पास गादर (सुस्त, आलसी) बैल है वह सदैव निर्बल रहता है।

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