Posted on 24 Mar, 2010 11:57 AM बैल मुसरहा जो कोई ले। राजभंग पल में कर दे।। त्रिया बाल सब कुछ छुट जाय। भीख माँगि के घर खाय।।
भावार्थ- जिस किसान के पास मुसरहा बैल (जिसकी पूँछ के बीच में दूसरे रंग के बालों का गुच्छा) हो, उसके ठाठ-बाट जल्द ही नष्ट हो जाते हैं, स्त्री-पुत्र सब छूट जाते हैं और वह घर-घर भीख माँगने लगता है।
Posted on 24 Mar, 2010 11:43 AM बरद बिसाहन जाओ कंता। खैरा का जनि देखो दंता।। जहाँ परै खैरा की खुरी। तो कर डारै चापर पुरी।। जहाँ परै खैरा की लार। बढ़नी लेके बुहारो सार।।