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ईख तिस्मा
Posted on 24 Mar, 2010 09:07 AM
ईख तिस्मा।
गोहूँ बिस्मा।।


भावार्थ- ईख की पैदावार तीस गुनी और गेहूँ की बीस गुनी होती है।

आधे चित्रा फूटा धान
Posted on 24 Mar, 2010 09:05 AM
आधे चित्रा फूटा धान।
विधि का लिखा न होवै आन।।


शब्दार्थ- फूटा-बालें निकलना।

भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र के आधा निकल जाने पर धान फूटा हो, अर्थात् उसमें बालें निकलती हैं तो उसको पैदावार विधाता के ही हाथ में है।

पैदावार सम्बन्धी कहावतें
Posted on 24 Mar, 2010 09:03 AM
अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवै संजूत।
तो भाखै यों भड्डरी, निपजै नाज बहूत।।


भावार्थ- भड्डरी कहते हैं कि वैशाख में अक्षय तृतीया के दिन यदि गुरुवार हो तो अन्न अधिक पैदा होगा।

पछिवाँ हवा ओसावै जोई
Posted on 24 Mar, 2010 09:01 AM
पछिवाँ हवा ओसावै जोई।
घाघ कहै घुन कबहुँ न होई।।


भावार्थ- यदि पछुवा हवा में अनाज को ओसाया जाय तो घाघ के अनुसार उसमें कभी भी घुन नहीं लगेगा।

दो दिन पछुवाँ छः पुरवाई
Posted on 24 Mar, 2010 09:00 AM
दो दिन पछुवाँ छः पुरवाई। गेहूँ जव को लेव दँवाई।।
ताको बाद ओसावै सोई। भूसा दाना अलगै होई।।


भावार्थ- पछुवा हवा में दो दिन और पुरवा में छः दिन गेहूँ एवं जौ की मड़ाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद मड़ाई करने के बाद ओसाने से उसका भूसा और दाना अलग होता है।

मड़ाई सम्बन्धी कहावतें
Posted on 24 Mar, 2010 08:58 AM
गेहूँ जौ जब पछुवाँ पावै।
तब जल्दी से दायाँ जावै।।


भावार्थ- यदि पछुवा हवा चल रही है तो गेहूँ और जौ की मड़ाई जल्दी हो जाती है क्योंकि उसका डंठल जल्दी टूट जाता है।

सात सेवाती धान उपाठ
Posted on 24 Mar, 2010 08:56 AM
सात सेवाती धान उपाठ।।

भावार्थ- स्वाती नक्षत्र के सात दिन बाद धान पककर तैयार हो जाता है।

कटाई सम्बन्धी कहावतें
Posted on 24 Mar, 2010 08:53 AM
साठी होवै साठवें दिना।
जब दैव बरीसे रात दिना।।


भावार्थ- जब पानी रात दिन बरसता रहे तब साठी धान केवल साठ दिनों में ही तैयार हो जाता है।

खेती तो उनकी
Posted on 23 Mar, 2010 04:18 PM
खेती तो उनकी, जे करे अन्हान-अन्हान।
और उनकी क्या खेती, जो देखे साँझ-बिहान।।


शब्दार्थ- अन्हान- दिन।

भावार्थ- सच्चे अर्थों में खेती उस किसान की है जो दिन-दिन भर खेत में रहता है और जो उसकी ठीक से देखभाल करता है। जो साँझ सबेरे ही देखने जाता है उसकी खेती नष्ट हो जाती है।

खेत रक्षा सम्बन्धी कहावतें
Posted on 23 Mar, 2010 03:45 PM
खेती वह जो खड़ा रखावै।
सूनी खेती हरिना खावै।।


भावार्थ- खेती वही है जिसकी किसान खड़े होकर रखवाली करे। यदि सूना छोड़ देगा तो हिरन चर जाएँगे।

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