Posted on 24 Mar, 2010 09:00 AM दो दिन पछुवाँ छः पुरवाई। गेहूँ जव को लेव दँवाई।। ताको बाद ओसावै सोई। भूसा दाना अलगै होई।।
भावार्थ- पछुवा हवा में दो दिन और पुरवा में छः दिन गेहूँ एवं जौ की मड़ाई कर लेनी चाहिए। इसके बाद मड़ाई करने के बाद ओसाने से उसका भूसा और दाना अलग होता है।
Posted on 23 Mar, 2010 04:18 PM खेती तो उनकी, जे करे अन्हान-अन्हान। और उनकी क्या खेती, जो देखे साँझ-बिहान।।
शब्दार्थ- अन्हान- दिन।
भावार्थ- सच्चे अर्थों में खेती उस किसान की है जो दिन-दिन भर खेत में रहता है और जो उसकी ठीक से देखभाल करता है। जो साँझ सबेरे ही देखने जाता है उसकी खेती नष्ट हो जाती है।