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तपै मृगसिरा बिलखे चार
Posted on 25 Mar, 2010 10:03 AM
तपै मृगसिरा बिलखे चार।
बन बालक औ भैंस उखार।।


भावार्थ- मृगशिरा के तपने से कपास, बालक, भैंस और ईख ये चारों सबसे अधिक कष्ट पाते हैं।

तीन बैल घर में दो चाकी
Posted on 25 Mar, 2010 10:01 AM
तीन बैल घर में दो चाकी।
पूरब खेत राज की बाकी।।

तीन बैल दो मेहरी
Posted on 25 Mar, 2010 09:59 AM
तीन बैल दो मेहरी।
काल बैठल बा डेहरी।।


भावार्थ- यदि किसान के पास तीन बैल और दो पत्नियाँ हों, तो समझो उसकी देहरी पर अकाल या मृत्यु बैठी है।

ताका भैंसा गादर बैल
Posted on 25 Mar, 2010 09:57 AM
ताका भैंसा गादर बैल। नारि कुलच्छनि बालक छैल।।
इनसे बाँचें चातुर लोग। राज छाड़ि के साधै जोग।।

शब्दार्थ- ताका-जिसकी आँखे दो तरह की हो। गादर-आलसी।

भावार्थ- ताका भैंसा, आलसी बैल, कुलक्षणा स्त्री और शौकीन बेटे से सदैव चतुर लोगों को बचना चाहिए। इनकी संगति में यदि राजमुख हो तो उसे छोड़कर फकीरी करना अधिक श्रेष्ठ है।

ढिलमिल बेंट कुदारी
Posted on 25 Mar, 2010 09:54 AM
ढिलमिल बेंट कुदारी, हँसि के बोलै नारी।
हँसि के माँगै दामा, तीनो काम निकामा।।


भावार्थ- यदि कुदाल की बेंट ढीली हो, स्त्री हँस-हँस कर बात कर रही हो और व्यक्ति हँस कर दाम माँग रहा हो तो तीनों अच्छे नहीं होते ।

ढीठ पतोहु धिया गरियार
Posted on 25 Mar, 2010 09:53 AM
ढीठ पतोहु धिया गरियार, खसम बेपीर न करै बिचार।
घरे जलावन अन्न न होई, घाघ कहैं सो अभागी जोई।।


शब्दार्थ- ढीठ-जबर, धृष्ट। धिया-लड़की।

भावार्थ- यदि बहू धृष्ट हो, बेटी आलसी हो, पति दुख-सुख का ध्यान न देने वाला हो और घर में चूल्हा जलने की लकड़ी और अन्न न हो तो इससे बढ़कर दयनीय स्थिति क्या हो सकती है। ऐसे परिवार को अभागा ही कहा जाएगा।

झिलँगा खटिया बातल देह
Posted on 25 Mar, 2010 09:51 AM
झिलँगा खटिया बातल देह, तिरिया लम्पट हाटे गेह।
भाई बिगरि मुद्दई मिलंत, घाघ कहै ई विपत्ति क अंत।।


शब्दार्थ- झिलँगा-ढीली-ढाली। हाटे-बाजार। बिगरी-नाराज। मुद्दई-बैरी।
जेहि घर साला सारथी
Posted on 25 Mar, 2010 09:49 AM
जेहि घर साला सारथी, औ तिरिया की सीख।
सावन में हर बैल बिन, तीनों माँगैं भीख।।


भावार्थ- जिस घर में साले का हुक्म चलता हो, आदमी अपनी पत्नी के बताये रास्ते पर चलता हो और जिस किसान के घर में सावन में हल बैल का प्रबन्ध न हो तो निश्चित है कि इन तीनों घरों में भीख माँगने की स्थिति आ जाती है।

जिसकी छाती एक न बार
Posted on 25 Mar, 2010 09:43 AM
जिसकी छाती एक न बार।
उससे सब रहियौ हुसियार।।


भावार्थ- जिस व्यक्ति के छाती में एक भी बाल न हो, उससे सभी को सावधान रहना चाहिए।

जेहि का ऊँचा बैठना
Posted on 25 Mar, 2010 09:38 AM
जेहि का ऊँचा बैठना, जेहि का खेतु निचान।
तेहि का बैरी का करै, जेहि कै मीत देवान।।


भावार्थ- जिसकी संगत बड़े लोगों से हो, जिसका खेत नीचे ढलान पर हो जहाँ पानी स्वयं बह जाता है, जिसकी दोस्ती राजा के दीवान या मंत्री से हो, उसको अपने दुश्मन से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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