पूत ना माने आपने डाँट, भाई लड़ै चहै नित बाँट।
तिरिया कलही करकस होइ, नियरा बसल दुष्ट सब कोइ
मालिक नाहिंन करै विचार, घाघ कहै ई विपत्ति अपार।।
भावार्थ- यदि बेटा बात न माने, भाई जायदाद के बँटवारे के लिए प्रायः लड़ता रहे, पत्नी झगड़ालू, कर्कशा हो, दुष्ट व्यक्ति निकट रहता हो, घर का मालिक अविवेकी हो तो घाघ कहते हैं कि ये सब कष्ट को बढ़ाने वाले होते हैं।
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