बगड़ बिराने जो रहे मानै त्रिया की सीख


बगड़ बिराने जो रहे मानै त्रिया की सीख।
तीनों यों हीं जायँगे पाही बोवै ईख।।


शब्दार्थ- बगड़-घर।
भावार्थ- घाघ का कहना है कि दूसरे के घर में रहने वाला, स्त्री के कहने पर चलने वाला और दूसरे गाँव में ईख बोने वाला, तीनों ही व्यक्ति सदैव नुकसान ही उठाते हैं।

Path Alias

/articles/bagada-bairaanae-jao-rahae-maanaai-taraiyaa-kai-saikha

Post By: tridmin
×