Posted on 26 Mar, 2010 10:18 AM स्वान धुनै जो अंग, अथवा लौटैं भूमि पर। तौ निज कारज भंग, अतिही भंग, अतिही कुसगुन जानिये।।
भावार्थ- यदि यात्रा के समय कुत्ता अपना शरीर फड़फड़ाये या भूमि पर लोटता नजर आये तो बड़ा अशुभ होता है। व्यक्ति जिस कार्य से जा रहा है वह पूरा नहीं होगा। यह एक अपशकुन है।
Posted on 26 Mar, 2010 10:00 AM लोमा फिरि दरस दिखावे। बायें ते दहिने मृग आवै।। भड्डर जोसी सगुन बतावैं। सगरे काज सिद्ध होइ जावै।।
शब्दार्थ- लोमा- लोमड़ी।
भावार्थ- यात्रा पर जाते समय यदि लोमड़ी बार-बार दिखाई पड़े। हिरण बायें से दाहिने की ओर निकल जाये तो व्यक्ति जिन कार्यों के लिए जा रहा होगा वे सभी सिद्ध हो जायेंगे, ऐसा ज्योतिषी भड्डरी कहते हैं।
Posted on 26 Mar, 2010 09:56 AM मंगल सोम होय सिवराती। पछिवाँ बाय बहै दिन राती।। घोड़ा रोड़ा टिड्डी उड़ै। राजा मरैं कि परती पड़ै।।
भावार्थ- यदि शिवरात्री सोम या मंगल को हो और रात दिन पछुवा हवा बहती रहे तो अनुमान लगा लेना चाहिए कि घोड़ा, रोड़ा (एक पतिंगा) और टिड्डी दल (एक प्रकार का कीड़ा) उड़ेगा तथा राजा की मृत्यु होगी या सूखा पड़ेगा और खेत परती रह जायेंगे।