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चलत समय नेउरा मिलि जाय
Posted on 26 Mar, 2010 09:36 AM
चलत समय नेउरा मिलि जाय। बाम बाग चारा चखु खाय।।
काग दाहिने खेत सुहाय। सफल मनोरथ समझहु भाय़।।


भावार्थ- यदि कहीं जाते समय रास्ते में नेवला मिल जाये, निलकंठ बाई तरफ चारा खा रहा हो और दाहिने तरप खेत में कौवा हो तो जिस कार्य से व्यक्ति निकला है वह अवश्य सिद्ध होगा।

गवन समय जो स्वान
Posted on 26 Mar, 2010 09:33 AM
गवन समय जो स्वान। फरफराय दे कान।।
एक सूद्र दो बैस असार। तीनि विप्र और छत्री चार।।

सनमुख आवैं जो नौ नार। कहैं भड्डरी असुभ विचार।।


शब्दार्थ- स्वान- कुत्ता। फरफराय-फड़फड़ाना।
शुभाशुभ सम्बन्धी कहावतें
Posted on 26 Mar, 2010 09:29 AM
कपड़ा पहिरै तीनि बार। बुध बृहस्पत सुक्रवार।।
हारे अबरे इतवार। भड्डर का है यही बिचार।।


भावार्थ- वस्त्र धारण करने के लिए बुध, वृहस्पति और शुक्रवार का दिन विशेष शुभ होता है। अधिक आवश्यकता पड़ने पर रविवार को भी वस्त्र धारण किया जा सकता है, ऐसा भड्डरी का विचार है।

विश्व जल दिवस रेडियो सीरिज
Posted on 26 Mar, 2010 09:16 AM

विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है।

यह कार्यक्रम एआईआर एफएम रेनबो इंडिया (102.6 मेगाहर्टज) पर रोजाना 18-23 मार्च, 2010 तक समय 3:45- 4:00 शाम को आप सुन सकते हैं।
 

होली सूक सनीचरी
Posted on 25 Mar, 2010 04:47 PM
होली सूक सनीचरी, मंगलवारी होय।
चाक चहोड़े मेदिनी, बिरला जीवै कोय।।


भावार्थ- यदि होली शुक्र, शनि और मंगल को पड़े तो पृथ्वी पर भयानक समय आने वाला है और शायद ही कोई बचे।

होली झर को करो विचार
Posted on 25 Mar, 2010 04:45 PM
होली झर को करो विचार, सुभ और असुभ कहा फल सार।
पश्चिम बायु बहै अति सुन्दर, समयो निपजै सजल बसुंधर।।

पूरब दिसि के बहै जो बाई, कछु भींजै कछु कोरो जाई।
दक्खिन बाय बहे वध नास, समया निपजे सनई घास।।

उत्तर बाय बहे दड़बड़िया, पिरथी अचूक पानी पड़िया।
जोर झकोरै चारो बाय, दुख या परघा जीव डराय।।
सावन बदी एकादसी
Posted on 25 Mar, 2010 04:44 PM
सावन बदी एकादसी, जितनी घड़ी क होय।
तितनो संवत नीपजै, चिंता करे न कोय।।


भावार्थ- सावन कृष्ण पक्ष एकादशी को जितनी घड़ी एकादशी रहेगी उतना ही संवत् उत्पादक होगा कोई चिंता न करे।

सावन उजरे पाख में
Posted on 25 Mar, 2010 04:42 PM
सावन उजरे पाख में, जो ये सब दरसायँ।
दुंद होय छत्री लड़ैं, भिरैं भूमिपति रायँ।।


भावार्थ- सावन शुक्ल पक्ष में यदि यही योग पड़े तो भयानक लड़ाई होगी। क्षत्रिय और राजा-राव लड़ेंगे।

सोम सुकर सुरगुरु दिवस
Posted on 25 Mar, 2010 04:41 PM
सोम सुकर सुरगुरु दिवस, पूस अमावस होय।
घर-घर बजी बधाबड़ा दुःखी न दीखै कोय।।


भावार्थ- पूस की अमावस्या को यदि सोमवार, वृहस्पतिवार या शुक्रवार पड़े तो शुभ होता है और हर जगह बधाई बजेगी तथा कोई भी आदमी दुःखी नहीं रहेगा।

सनि आदित औ मंगल
Posted on 25 Mar, 2010 04:39 PM
सनि आदित औ मंगल, पौष अमावस होय।
दुगुनो, तिगुनो, चौगुनों, नाज महंगी होय।।


भावार्थ- यदि पौष की अमावस्या को शनिवार, रविवार अथवा मंगलवार पड़े तो इसी के क्रम में अनाज दोगुना, तिगुना और चौगुना महँगा हो जायेगा।

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