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स्वाती दीपक जो बरै
Posted on 25 Mar, 2010 04:37 PM
स्वाती दीपक जो बरै, खेल बिसाखा गाय।
घना गयंदा रन चढ़ै, उपजी साख नसाय।।


भावार्थ- यदि दीपावली के दिन स्वाति नक्षत्र हो एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को विशाखा नक्षत्र में चन्द्रमा हो तो बड़ी लड़ाई होगी और खेती को नुकसान होगा।

सातै पाँच तृतीया दसमी
Posted on 25 Mar, 2010 04:35 PM
सातै पाँच तृतीया दसमी, एकादसि में जीव।
एहि तिथिन पर जोतहू, तौ प्रसन्न हो सीव।।


भावार्थ- ऐसा माना जाता है कि सप्तमी, पंचमी, तृतीया, दशमी और एकादशी में जीव का निवास होता है। यदि इन तिथियों में खेत की जुताई की जाये तो शिव जी प्रसन्न होते हैं।

सनि चक्कर की सुनिये बात
Posted on 25 Mar, 2010 04:33 PM
सनि चक्कर की सुनिये बात। मेष राशि भुगतै गुजरात।।
वृष में करै निरोधाचार। भूवै आबू औ गिरनार।।

मिथुने पिंगल और मुलतान। कर्के कास्मीर खुरसान।।
जो सनि सिंहा करसी रंग। जो गढ़ दिल्ली होसी भंग।।

जो सनि कन्या करै निवास। तो पूरब कछू माल बिनास।।
तुला वृश्चिकै जो सनि होय। मारवाड़ ने काट विलोय।।
रिक्ता तिथि अरु क्रूर दिन
Posted on 25 Mar, 2010 04:31 PM
रिक्ता तिथि अरु क्रूर दिन, दुपहर अथवा प्रात।
जो संक्रान्ति सो जानियो, संबत महँगो जात।।


भावार्थ- रिक्ता (चौथ, नवमी और चुतर्दशी) तिथि और क्रूर दिन (जैसे शनि-मंगल) को यदि दोपहर या प्रातः काल में संक्रान्ति पड़े तो समझना चाहिए कि संवत् महँगा जायेगा। अर्थात् वर्ष भर महँगाई रहेगी।

रवि के आगे सुरगुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:24 PM
रवि के आगे सुरगुरु, ससि सुक्रा परबेस।
दिवस चु चौथे पाँचवें, रुधिर बहन्तो देस।।


भावार्थ- सूर्य के आगे वृहस्पति हों, चन्द्रमा शुक्र की परिधि में प्रवेश करें, तो उसके चौथे पाँचवें दिन देश में रक्त बहेगा।

रवि के आगे सुरगुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:22 PM
रवि के आगे सुरगुरु, ससि सुक्रा परबेस।
दिवस चु चौथे पाँचवें, रुधिर बहन्तो देस।।


भावार्थ- सूर्य के आगे वृहस्पति हों, चन्द्रमा शुक्र की परिधि में प्रवेश करें, तो उसके चौथे पाँचवें दिन देश में रक्त बहेगा।

राम बाँस जहँ धँसै अचूका
Posted on 25 Mar, 2010 04:18 PM
राम बाँस जहँ धँसै अचूका।
तहँ पानी की आस अखूटा।।


शब्दार्थ- राम बाँस- ऐसा बाँस जिसके सिरे पर नोकदार लोहा जड़ा हो।

भावार्थ- जिस स्थान पर रामबाँस बिना रुकावट के धँस जाये वहाँ कुआँ खोदने पर इतना पानी होगा कि कभी खत्म नहीं होगा।

मंगलवारी होय दिवारी
Posted on 25 Mar, 2010 04:16 PM
मंगलवारी होय दिवारी।
हँसै किसान रोवै बैपारी।।


भावार्थ- दीपावली यदि मंगलवार को पड़ती है तो किसान हँसेंगे और व्यापारी रोयेंगे।

माघे मंगर जेठ रवि
Posted on 25 Mar, 2010 04:14 PM
माघे मंगर जेठ रवि, जो सनि भादों होय।
छत्र टूटि धरती परे, कि अन्न महँगो होय।।


भावार्थ- यदि माघ मास में पाँच मंगलवार, जेठ में पाँच रविवार या भादों में पाँच शनिवार पड़ें तो राजा का नाश होगा या अन्न महँगा होगा।

मास ऋष्य जो तीज अँध्यारी
Posted on 25 Mar, 2010 04:12 PM
मास ऋष्य जो तीज अँध्यारी, लेहु जोतिसी ताहि विचारी।
तिहि नक्षत्र जो पूरनमासी, निहचै चन्द्रगहन उपजासी।।


भावार्थ- महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया को कौन सा नक्षत्र है ज्योतिष से इसका विचार कर लेना चाहिए। यदि उसी नक्षत्र में पूर्णिमा पड़े तो निश्चय ही चन्द्र ग्रहण होगा।

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