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पानी के प्रति उदासीन समाज
Posted on 28 Jul, 2012 03:42 PM पानी के बिना प्राणी जगत के बारे में सोचना गलत है। लोगों को अगर पानी भरपूर मिले तो उसे बर्बाद करने में कोई गुरेज नहीं करते। हम अपने नदियों, तालाबों, कुओं और बावड़ियों को मारकर बोतलबंद पानी के सहारे जीने की आदत डाल रहे हैं। हमारा समाज ग्रामीण परिवेश का आदि रहा है लेकिन औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण ने हमसे हमारा पानी छीन रहा है। पानी को यूं ही बर्बादकर हम घटते जा रहे इस बेशकीमती संसाधन के प्रति अनादर
गोदामों में सड़ रहा अनाज
Posted on 28 Jul, 2012 11:54 AM भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की है। नतीजा, न तो हम अतिरिक्त उत्पादन को गोदामों में सुरक्षित रख पा रहे हैं और न वक्त-जरूरत जनसामान्य को उपलब्ध करा भूख से होने वाली मौतों को रोक पा रहे हैं। ऐसे में रिकॉर्ड उत्पादन का सार्थक उपयोग नहीं हो पा रहा है और खुले में, गोदामों में करोड़ों टन अनाज सड़ने और खबरों की सुर्खियों में रहने को अभिशप्त है। अनाज
ਬੀ ਟੀ ਨਰਮ੍ਹੇ ਦੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਸ ਸਾਲ
Posted on 27 Jul, 2012 01:24 PM 26 ਮਾਰਚ 2002 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਜੀਨ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਫਸਲ ਬੀ ਟੀ ਨਰਮ੍ਹੇ ਦੀ ਵਪਾਰਕ ਖੇਤੀ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ। ਇਹ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਛੇ ਸੂਬਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ। ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਮਾਹੀਕੋ-ਮੌਨਸੈਂਟੋ ਬਾਇਓਟੈਕ ਲਿਮਿਟਡ ਦੇ ਬੋਲਗਾਰਡ-1 ਬੀ ਟੀ ਨਰਮੇ ਤੋਂ ਹੋਈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬੈਸੇਲਿਸ ਥੁਰੇਜੈਂਸਿਸ (ਬੀ ਟੀ)ਦਾ ਇੱਕ ਜੀਨ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਚਾਰ ਸਾਲ ਅੰਦਰ ਹੀ 2006 ਵਿੱਚ ਬੋਲਗਾਰਡ-2 ਸਿਜ ਵਿੱਚ ਦੋ ਬੀ ਟੀ ਜੀਨ ਪਾਏ ਗਏ ਸਨ, ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿੱਚ ਉਤਾਰਿਆ ਗ
प्यासा भारत पड़ोसियों को पानी बांट रहा है
Posted on 27 Jul, 2012 12:06 PM भारत अपने पड़ोसियों से संबंध ठीक रखने के लिए हदें पार करता रहा है। कई-कई बार पड़ोसियों ने भारत की जमीन कब्जा ली है। यह सहनशीलता भारत के उदारता के रूप में प्रचारित होती रही है। लेकिन शायद ही किसी को पता होगा कि पड़ोसियों के प्रति भूमि की उदारता भारत की जल सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। अब पाकिस्तान की मांग है कि भारत सियाचिन ग्लेशियर से पीछे हटे। ग्लेशियरों से अपना कब्जा हटाना नदियों को सूखाना
गरीब और गांवों के हाथ से छीनकर जल का बाजारीकरण
Posted on 27 Jul, 2012 11:12 AM गोपाल कृष्ण अग्रवाल जल के निजीकरण और बाजारीकरण पर काम करते हैं। नई जलनीति 2012 की पुरजोर कोशिश है कि जल वितरण के क्षेत्र में कंपनियों को बढ़ावा दिया जाय। गोपाल कृष्ण का मानना है कि भारत सरकार द्वारा पेश की गई, विश्व बैंक द्वारा समर्थित राष्ट्रीय जल नीति 2012 के मसौदे में उल्लिखित जल के निजीकरण को हर हाल में रोका जाना चाहिए। जल का निजीकरण पूरी तरह गरीब और गांव विरोधी है। गोपाल कृष्ण कहते हैं कि
सूखा : अब सरकार भी लाचार
Posted on 26 Jul, 2012 03:32 PM देश में मानसून की तानाशाही के कारण सूखे का संकट मंडराने लगा है। बारिश का मौसम आधा बीतने के बाद ऐसा लग रहा है कि मानसून की समाप्ति सूखे के साथ होगी। भारत के कई राज्यों में सूखे की आशंका होने लगी है। नतीजा यह कि इससे आजीविका के संकट से लेकर भुखमरी, पलायन और कृषि समस्या बुरी तरह प्रभावित होगा। इस मानसून में बारिश कम होने से खरीफ ही नहीं, रबी फसलें भी प्रभावित होंगी। मानसूनी बारिश से खेतों में नमी
बारिश का क्या फायदा, जब फसल सूख गई
Posted on 26 Jul, 2012 10:02 AM बारिश की देरी ने राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक आदि में मोटे अनाजों की बुआई पर असर डाला है। अपर्याप्त बारिश इस चिंता को बढ़ा रही है कि गर्मियों में बोई जाने वाली प्रधान फसलों जैसे चावल, तिलहन और गन्ने का उत्पादन पिछले एक-दो सालों में बनाये अपने रिकॉर्ड स्तर से गिर जायेगा। बारिश हर बार नए मुहावरे लेकर आती है। अखबारों में इसके लिए शेरो-शायरी नहीं, बल्कि आशंका से भरी हेडलाइन्स की भरमार होती है। 7
सूखे की आशंका और उससे आगे
Posted on 26 Jul, 2012 09:00 AM सूखे की आहट किसानों तथा देश के लिए एक बुरी खबर है। इससे खाद्यान्न संकट तो होगा ही मंहगाई भी अपने चरम सीमा पर होगी। इतिहास में सूखे और अकाल की दिल दहलाने वाली दास्तानों की कमी नहीं है। अकाल का सीधा संबंध ही वर्षा होता है। सरकारी नीतियां वर्षा की भरपाई नहीं कर सकतीं लेकिन इससे प्रभावित लोगों को सहायता देकर उनकी मुश्किलें थोड़ा कम कर सकती हैं। सूखे से होने वाले संकट को रूबरू कराते देविंदर शर्मा।
कारों का होता डीजलीकरण देश को महंगा पड़ेगा
Posted on 25 Jul, 2012 05:06 PM जबसे सरकार ने पेट्रोल कीमतों पर अनुदान कम किया और उसे नियंत्रण मुक्त रखा तब से कारों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो रही है। इस समय देश की जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी आई है लेकिन कारों की संख्या में विस्फोट हुआ है। डीजल कारें देश की कुल डीजल खपत का 15 फीसदी निगल रही हैं और ट्रकों के बाद दूसरे नंबर का डीजल उपभोक्ता बन गयी हैं। बढ़ रहे कारों के डीजलीकरण के बारे में बता रहे हैं सुनील।
डीजल
खुले में गेहूं सड़ाने का खेल
Posted on 24 Jul, 2012 03:21 PM भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां अनाज की उत्पादन काफी मात्रा में किया जाता है। फिर भी कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक हो गई है। विश्व में भूख से त्रस्त 81 देशों में भारत 67वें स्थान पर पहुंच गया है। इस समय देश के गोदामों में लगभग 640 लाख टन अनाज रखा है। इस वर्ष खाद्यान्न की भरपूर पैदावार हुई है। लगभग 170 लाख टन और आने वाला है। सरकार की भंडारण क्षमता केवल 450 लाख टन की ह
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