/regions/india
भारत
कैसे बनें जिओलॉजिस्ट
Posted on 08 Aug, 2012 11:13 AMजिओलॉजी के अंतर्गत पृथ्वी की उत्पत्ती, इतिहास और संरचना के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसके कई ब्रांच हैं- मिनेरोलॉजी, स्ट्रक्चर जिओलॉजी, जिओमोफोलॉजी, प्लेनटोलॉजी और जिओलॉजिकल इंजीनियरिंग। जो स्टूडेंट्स इन विषयों का अध्ययन करते हैं, वे जिओलॉजिस्ट कहलाते हैं। इस क्षेत्र से जुड़े लोग धरती के अंदर पाई जाने वाली अकूत खनिज संपदा को ढूंढने का कार्य भी करते हैं। अर्थ विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े इस फील्जीआईएस में करियर
Posted on 08 Aug, 2012 11:02 AMजरा आप सोचिए! दिल्ली की सड़कों पर आप भटक रहे हैं, क्योंकि आपको मालूम नहीं कि राष्टपति भवन जाने का रास्ता कौन-सा है?पीजी डिप्लोमा इन रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस
Posted on 08 Aug, 2012 10:35 AMरिमोट सेंसिंग और ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) की उपयोगिता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। न सिर्फ सरकारी संस्थानों को, बल्कि निजी कंपनियों को भी इसके प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है। कई ऐसी फील्ड्स हैं, जैसे भौगोलिक नक्शे का निर्माण, टाउन प्लानिंग, फॉरेस्ट डेवलपमेंट, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, वेस्ट लैंड मैपिंग, एग्रीकल्चर एरिया मैपिंग, टूरिस्ट साइट मैनेजमेंट एंड प्लानिंग आदि, जहां इसके प्रोफेशनवन, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन के क्षेत्र में कैरियर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट में
Posted on 08 Aug, 2012 10:26 AMवन, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए देहरादून स्थित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट के पाठयक्रम उपयोगी हैं। संस्थान द्वारा पोस्ट मास्टर डिप्लोमा और एमएससी पाठयक्रमों की घोषणा की गई है।पाठ्यक्रम
नए जमाने का जॉब है नेचुरल रिसोर्स मैनेजर
Posted on 08 Aug, 2012 09:43 AMप्राकृतिक संपदाओं की सीमित उपलब्धता की ओर हाल में ध्यान गया है और सरकारी तंत्र के साथ आम लोगों में इनके संरक्षण के प्रति जागरुकता पैदा हुई है। अतः सरकारी विभागों में भी विशेषज्ञों की नियुक्तियां हो रही हैं।कमजोर मानसून के बाद
Posted on 08 Aug, 2012 09:28 AMमौसम विभाग के हवाले से खबरें आ रही हैं कि मानसून कमजोर है। जून में मानसून की बारिश 31 फीसद कम हुई है। एक खबर के मुताबिक पिछले तीस सालों में इतना कमजोर मानसून कभी नहीं रहा। बाजार में खाने-पीने चीजों में महंगाई का तेज रुख शुरू हो गया है। कुछेक हफ्तों पहले जिन बाजारों में आलू-टमाटर 20 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे, वो 30 रुपये प्रति किलो हो गए।
नदी जोड़ से सिंचाई एक झूठ : एक साजिश
Posted on 07 Aug, 2012 03:53 PMजब से नदी जोड़ के नाम पर 5,60,000 करोड़ रुपये की हरियाली दिखाई देने लगी है, यह प्रश्न जानबूझकर बार-बार उठाया जाने लगा है। हालांकि जनता-जनार्दन ऐसी कोई मांग नहीं कर रही। फिर भी अपने को जनता के तथाकथित हितैषी बताने वाले ही कह रहे हैं कि यदि नदियां जोड़ दी जाएं तो कम से कम मानसून के विलंब या कमी की चिंता तो नहीं ही सताएगी। उनका यकीन है कि सौ बार दोहराने से झूठ भी सच हो जाता है; वे दोहराते रहेंगे।सन्नाटा है, इन सवालों पर
Posted on 07 Aug, 2012 12:59 PMभारत भी पहले से चल रहे कलपक्कम ऊर्जा केंद्र से लेकर बंगाल के हरिपुर, आंध्र के कोवाडा, गुजरात के मीठीविडी और महार
अकाल की आहट
Posted on 07 Aug, 2012 12:34 PMमानसून और भारतीय कृषि का संबंध पारंपरिक है। पर हर बार होता यही है कि हमारी खेती और किसानी से जुड़ी पूरी अर्थव्यवस्था मानसून की मेहरबानी की मोहताज रहती है। जलवायु चक्र में बदलाव और देश की अर्थव्यवस्था के साथ जीवनशैली में आए पिछले कुछ दशकों के परिवर्तन ने इस मोहताजी के आगे के संकट भी सतह पर ला दिए हैं। यही कारण है कि मानसून की लेट-लतीफी से पैदा हुई समस्याओं और आशंकाओं ने प्रकृति के साथ हमारे स
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रीय पहल
Posted on 07 Aug, 2012 11:43 AMजलवायु परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी किसानों को तैयार करना और अलग-अलग तरीकों से उनमें