बिहार

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पानी से परवरिश
Posted on 17 Sep, 2018 02:41 PM

उत्तर बिहार में पानी अथवा दलदली क्षेत्र लोगों को आर्थिक सम्बल और आजीविका उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभाता

मछलीपालन
विकलांग हो गया विनोबा भावे का बसाया गांव
Posted on 20 Apr, 2018 05:24 PM


गया जिले के आमस चौक से कुछ पहले स्थित एक स्कूल के करीब से बायीं तरफ एक सड़क जाती है। कुछ दूर चलने पर यह सड़क बायीं तरफ मुड़ जाती है। वहीं से दायीं तरफ एक पगडंडी शुरू हो जाती है। आड़ी-तिरछी, उतार-चढ़ाव और गड्ढोंवाली यह पगडंडी पहाड़ों के बीच से होकर एक गांव तक पहुंचती है। इस गांव का नाम भूपनगर है।

दशरथ कुमार
मौर्यकालीन तकनीक से मगध बना पानीदार
Posted on 25 Mar, 2018 02:52 PM

भगीरथ प्रयास का परिणाम बेहतरीन रहा। इससे जमुने-दसईं पईन के आसपास बसे 150 गाँव व बरकी नहर के आसपास बसे 250 गाँवों के खेतों के लिये सिंचाई आसान हो गई। इन गाँवों में खरीफ व रबी की फसल उगाने के साथ ही साग-सब्जियाँ, दलहन व तिलहन की खेती भी की जाती है। पईन व नहर के जीर्णोंद्धार से कृषि संकट भी कम हो गया। आसपास के रहने वाले किसानों में जान आ गई। कई किसान आत्महत्या और पलायन का विचार छोड़कर सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने में सहयोग करने लग गए।

मौर्यकाल में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर आधारित थी। चूँकि कृषि आधार थी, तो सिंचाई के लिये पानी भी जरूरी था।

इसे देखते हुए मौर्यकाल में जल संचयन की अपनी पृथक व्यवस्था विकसित की गई थी। इसके अन्तर्गत काफी संख्या में तालाब और आहर-पईन बनाए गए थे।

मगध क्षेत्र में जल संचयन की अलग व्यवस्था करने की जरूरत इसलिये भी महसूस की गई क्योंकि इस क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं होती है। आहर-पईन और तालाबों का निर्माण बारिश के पानी को संग्रह कर रखने के लिये किया गया था।
आजीविका उन्नति के लिये मत्स्य-पालन प्रौद्योगिकी
Posted on 19 Mar, 2018 02:13 PM
प्राचीन युग से ही मात्स्यिकी मानव जाति के लिये भोजन, रोजगार आजीविका तथा आर्थिक लाभ का महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। मात्स्यिकी दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोगों के लिये आहार एवं लगभग 38 मिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिये रोजगार का मुख्य साधन है। इसके अलावा अंतर्स्थलीय मत्स्य पालन का मात्स्यिकी क्षेत्र के रोजगार में सबसे बड़ा योगदान है। विश्व में रोजगार की 15 प्रतिशत भागीदारी मत्स्य पालन क्षेत्र
मोकामा टाल के लिये ‘गाज’ बनी गंगा की गाद
Posted on 17 Mar, 2018 03:27 PM
21 अप्रैल 1975 को 150 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से फरक्का बैराज बनकर तैयार हुआ था। उस वक्त माना जा रहा था कि यह विकास की नई इबारत लिखेगा।
त्रिमुहान, यहीं से हरोहर नदी शुरू होती है
गंगा गाद - बिहार में बाढ़ की आशंका
Posted on 10 Mar, 2018 06:40 PM


गंगा की पेट में इकट्ठा गाद को हटाने का इन्तजाम शीघ्र नहीं किया गया तो बिहार में बाढ़ की विभीषिका अधिक भयावह हो सकती है। यह चेतावनी गंगा की गाद की समस्या का अध्ययन करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई एक उच्चस्तरीय समिति की है जिसकी रिपोर्ट अगले महीने सौंपी जानी है।

गंगा
यूरिया जीवन से जहर तक का सफर
Posted on 12 Jan, 2018 01:44 PM क्या यूरिया के दिन लद गए हैं?
बिहार - बाढ़ को बहने का रास्ता भर चाहिए
Posted on 02 Jan, 2018 02:24 PM
हिमालय की तलहटी में बसा तराई और गंगा के बीच का मैदानी भाग सभ्यता के शुरुआत से ही अपनी कृषि उत्पादकता के लिये मशहूर रहा है। यहाँ नियमित रूप से आने वाली सालाना बाढ़ इसका आधार रही है। इन इलाकों के लिये नदियाँ और बाढ़ कोई नया नहीं है, बल्कि हरेक साल हिमालय से पानी का रेला थोड़े समय के लिये पूरे मैदानी क्षेत्रों में फैलता रहा है।
चम्पारण के बीचोंबीच स्थित मोती झील, मनों की शृंखला का एक हिस्सा जो बाढ़ के दिनों में पानी के जलग्रहण का काम करती है
प्लांटीबॉडी जैवप्रौद्योगिकी अनुसन्धान की नई दिशा
Posted on 11 Dec, 2017 11:48 AM
शायद बहुत कम लोगों ने ही प्लांटीबॉडी का नाम सुना होगा। प्लांटीबॉडी पादप द्वारा निर्मित एंटीबॉडी है। साधारणतः सामान्य पादप एंटीबॉडी का निर्माण नहीं करते हैं। प्लांटीबॉडी का निर्माण ट्रांसजेनिक (जी.एम.) पादप के द्वारा होता है। हम सभी जानते हैं एंटीबॉडी एक प्रकार की ग्लाइकोप्रोटीन होती है, जो हम मनुष्यों एवं अन्य जानवरों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का मुख्य भाग है। जैव प्रौद्योगिकी के अन्तर्
मजदूरों के पलायन में दिखता बाढ़ का प्रभाव
Posted on 03 Nov, 2017 11:42 AM
सरकारी नौकरी और स्थायी किस्म के काम करने वाले लोग भी होते हैं। उनका आना-जाना
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