बिहार

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विश्व बाँध आयोग की रिपोर्ट पर गोष्ठी 7-8 अगस्त, 2001
Posted on 09 Jun, 2017 10:00 AM
समाज विकास संस्थान, राँची-झारखंड
नदियों, बाँधों और लोगों का दक्षिण एशियाई नेटवर्क


पहला सत्र


अध्यक्षता: श्री हरिवंश, प्रधान सम्पादक, प्रभात खबर, राँची
संचालन: सुश्री पुष्पा मार्टिन, गुमला
मुख्य अतिथि: माननीय श्री इन्दर सिंह नामधारी, अध्यक्ष झारखंड विधान सभा

रवींद्र पाठक : पानी बचाने को आतुर एक व्यक्तित्व
Posted on 08 Jun, 2017 11:35 AM
गया के आशा सिंह मोड़ से जब हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की एमआइजी 87 में आप दाखिल होंगे, तो आपका सामना सामने ही शान से खड़े आम के एक ठिगने-से पेड़ से होगा। इस पेड़ के पास हरी घास व फूल के पौधे मिलेंगे, जो आपको यह अहसास दे देंगे कि यहाँ रहने वाला व्यक्ति पर्यावरण, पानी व पेड़ों को लेकर संवेदनशील होगा।

लंबी कदकाठी के 58 वर्षीय शख्स रवींद्र पाठक यहीं रहते हैं। रवींद्र पाठक मगध क्षेत्र और खासकर गया में पानी के संरक्षण के लिये लंबे समय से चुपचाप काम कर रहे हैं, आम लोगों को साथ लेकर।

उनसे जब बातचीत शुरू होती है, तो सबसे बड़ी मुश्किल होती है, उस सिरे को पकड़ना जहाँ से बातचीत एक रफ्तार से आगे बढ़ेगी, क्योंकि उनके पास गिनाने के लिये बहुत कुछ है। वह खुद पूछते हैं, ‘आप बताइये कि आप क्या जानना चाहते हैं।’

Stagnating pools and the gandak command
Posted on 06 Jun, 2017 12:43 PM
The Gandak is a very important river of Bihar and Uttar Pradesh which debouches from the Himalayan range of mountains into the plains near Tribeni in the Bhairawa district of Nepal. On the eastern side of this river, opposite Tribeni, is located the town of Valmiki Nagar in the West Champaran district of Bihar.
Proceedings of the Sixth Delegates Conference (5th Sept 2009)
Posted on 05 Jun, 2017 01:37 PM
Held at : Chandrayan High School, Dist, Saharsa (Bihar)
The meeting was chaired by Shri Gajendra Prasad Yadav and conducted by Chandrashekhar and the inaugural address was given by Shri Gajendra Prasad 'Himanshu', former Minister of Water Resources, Govt. of Bihar.

Gajendra Prasad Yadav

Story of a ghost river and engineering witchcraft
Posted on 03 Jun, 2017 01:50 PM

1. The River Bhutahi Balan

बिहार की गाद और बाढ़ के लिये फरक्का जिम्मेवार नहीं-इंजीनियर एसोसिएशन
Posted on 30 May, 2017 04:53 PM


बिहार की बाढ़ और गंगा की गाद के लिये फरक्का बराज को जिम्मेवार ठहराने के बिहार सरकार के अभियान का इंजीनियर बिरादरी ने विरोध किया है। इंडियन इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘‘भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी क्षेत्र में बाढ़ और जल संसाधन प्रबंधन’’ विषयक सेमीनार में मुख्य अतिथि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के अध्यक्ष अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि फरक्का बराज की वजह से गंगा के उलटे प्रवाह का प्रभाव अधिक से अधिक 46 किलोमीटर ऊपरी प्रवाह में हो सकता है, पटना तक उसका असर नहीं आ सकता। इस संदर्भ में उन्होंने केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तराखंड के भीमगौड़ा से फरक्का तक गंगा के जल-विज्ञानी अध्ययन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ और गाद की समस्या तब भी थी जब फरक्का बराज नहीं बना था। दरअसल नदियों के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण बाढ़ के विनाशक होने और गाद के नदी तल में एकत्र होने का एक बड़ा कारण है। 28 मई को पटना के अभियंता भवन में हुए सेमीनार में नेपाल और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सेदारी की।

Flood
बाढ़ मुक्ति अभियान के छठें प्रतिनिधि सम्मेलन की रपट
Posted on 29 May, 2017 04:05 PM


सभा स्थल: चन्द्रायण हाई स्कूल, जिला सहरसा (बिहार)
तारीख: (5 सितंबर 2009)


आज की कार्यवाही श्री गजेन्द्र प्रसाद यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई और उसका संचालन श्री चन्द्रशेखर ने किया। उद्घाटन भाषण श्री गजेन्द्र प्रसाद ‘हिमांशु’, पूर्व जल-संसाधन मंत्री, बिहार सरकार ने किया।

भुतही नदी और तकनीकी झाड़-फूंक
Posted on 28 May, 2017 01:07 PM

1. भुतही-बलान का परिचय

भुतही नदी
Floods Despite Dams
Posted on 27 May, 2017 03:27 PM

Background

बाढ़ तो फिर भी आयेगी
Posted on 27 May, 2017 10:25 AM

पृष्ठभूमि:


बिहार की गिनती भारत के सर्वाधिक बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1980) के अनुसार देश के कुल बाढ़-प्रवण क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है जिस पर देश की कुल बाढ़ प्रभावित जनसंख्या की 22.1 प्रतिशत आबादी बसती है। इसका मतलब यह होता है कि अपेक्षाकृत कम क्षेत्र पर बाढ़ से ग्रस्त ज्यादा लोग बिहार में निवास करते हैं। 1987 की बाढ़ के बाद किये गये अनुमान के अनुसार यह पाया गया कि बाढ़-प्रवण क्षेत्र का प्रतिशत सारे देश के संदर्भ में बढ़कर 56.5 हो गया है और इसका अधिकांश भाग उत्तर बिहार में बढ़ता है जिसकी जनसंख्या 5.23 करोड़ (2001) है तथा क्षेत्रफल 54 लाख हेक्टेयर है। यहाँ की 76 प्रतिशत ज़मीन बाढ़ से प्रभावित है जबकि जनसंख्या घनत्व 1,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

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