कुशाग्र राजेंद्र और नीरज कुमार

कुशाग्र राजेंद्र और नीरज कुमार
बिहार - बाढ़ को बहने का रास्ता भर चाहिए
Posted on 02 Jan, 2018 02:24 PM

हिमालय की तलहटी में बसा तराई और गंगा के बीच का मैदानी भाग सभ्यता के शुरुआत से ही अपनी कृषि उत्पादकता के लिये मशहूर रहा है। यहाँ नियमित रूप से आने वाली सालाना बाढ़ इसका आधार रही है। इन इलाकों के लिये नदियाँ और बाढ़ कोई नया नहीं है, बल्कि हरेक साल हिमालय से पानी का रेला थोड़े समय के लिये पूरे मैदानी क्षेत्रों में फैलता रहा है।
चम्पारण के बीचोंबीच स्थित मोती झील, मनों की शृंखला का एक हिस्सा जो बाढ़ के दिनों में पानी के जलग्रहण का काम करती है
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