केसर सिंह

केसर सिंह
केसर सिंह


पानी और पर्यावरण से जुड़े जन सरोकार के मुद्दों पर उल्लेखनीय कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार केसर सिंह एक चर्चित शख्सियत हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाली कई नामचीन संस्थाओं से जुड़े होने के साथ ही ये बहुचर्चित ‘इण्डिया वाटर पोर्टल हिन्दी’ के प्रमुख सम्पादक हैं। इण्डिया वाटर पोर्टल हिन्दी को पानी और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के लिये सबसे बड़े ओपन ऑनलाइन नॉलेज सोर्स के रूप में विकसित करने में इनकी महती भूमिका रही है।

‘नेशनल नॉलेज कमीशन ऑफ इण्डिया’ द्वारा परिकल्पित यह पोर्टल पानी से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली सुविख्यात स्वयं सेवी संस्था ‘अर्घ्यम’ द्वारा सम्पोषित है। श्री केसर को पर्यावरण से जुड़ी पत्रकारिता को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिये वर्ष 2010 में ‘बेस्ट जर्नलिस्ट अवार्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। ये स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर देश के प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं के लेख भी लिखते रहे हैं और पीपल न्यूज नेटवर्क के सम्पादक (मानद) भी रह चुके हैं। इसके अलावा श्री केसर, वाश (WASH) जर्नलिस्ट नेटवर्क के संयोजक होने के साथ ही बतौर लोअर यमुना रिवरकीपर (Lower Yamuna Riverkeeper), वाटरकीपर एलायन्स यूएसए (Waterkeeper Alliance ,USA) से भी जुड़े हुए हैं। पानी के संरक्षण के क्षेत्र में भी इनका उल्लेखनीय योगदान है।

मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड में पानी की किल्लत के समावेशी समाधान के लिये भी इन्होंने गम्भीर प्रयास किया है। इनके इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है इलाके की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाना। ये भगीरथ कृषक अभियान, देवास, अपना तालाब अभियान, महोबा, अपना तालाब अभियान, बाँदा के भी सदस्य हैं। इनके व्यक्तिगत प्रयास से देवास, महोबा के अतिरिक्त बाँदा में अब तक 10,000 से अधिक तालाबों का निर्माण कराया जा चुका है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले श्री केसर 20 वर्षों से ज्यादा समय से देश के सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दों के प्रति बहुत संजीदा रहे हैं। इन्होंने आर्थिक उदारीकरण, ग्लोबलाइजेशन, लैंगिक असमानता, मानवाधिकार आदि से सम्बन्धित विषयों पर भी बहुत काम किया है। इसी का प्रतिफल है इन मुद्दों से सम्बन्धित कई पुस्तकों का प्रकाशन इनके नाम है।

इन पुस्तकों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का सांस्कृतिक हमला, आइए! डब्ल्यूटीओ से भारत को मुक्त कराएँ, विदेशी तेल का खेल, आजादी की नई लड़ाई, पेप्सीको भारत छोड़ो, गुलामी का एसइजेड आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं समसामयिक भारत में सामाजिक मुद्दों को लेकर खड़े हुए कई आन्दोलनों में भी ये एक सशक्त कार्यकर्ता के रूप में शरीक रहे हैं जिनमें आजादी बचाओ आन्दोलन भी शामिल है। श्री केसर इस आन्दोलन से पिछले 18 वर्षों से जुड़े हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के संयोजक रहे हैं।

 

इनकी रचनाएं पढ़ने के लिये देखेंः केसर सिंह की कलम से

भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के विषाक्तता मामले पर एनजीटी का राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस
भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के मामले में एनजीटी ने "जिम्मेदारी से भागने" के लिए 28 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, सीजीडब्ल्यूए को नोटिस जारी किया।
Posted on 30 Dec, 2023 02:13 PM

भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्वों की मौजूदगी, मानव शरीर पर गंभीर विषाक्त प्रभाव डालती है, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने स्वीकार भी किया है, लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर दिनांक 30.11.2023 को हिंदुस्तान ने समाचार प्रकाशित किया था, समाचार का शीर्षक था “25 राज्यों के भूजल में आर्सेनिक, 27 राज्यों में फ्लोराइड पाया गया: सरकार।” एनजीटी ने इस मीडिया

भूजल में आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व
सुरंगों में हिमालय का भविष्य 
हिमालय की नदियां अस्तित्व के संकट से जूझेंगी। बिजली परियोजनाओं में जो संयंत्र (रन-ऑफ-द-रिवर) लग रहे हैं, उनके लिए हिमालय को खोखला किया जा रहा है। सड़कों आदि के लिए आधुनिक औद्योगिक विकास का ही परिणाम है कि आज हिमालय दरकने लगा है। जिन पर हजारों सालों से बसे लोग अपनी ज्ञान-परंपरा के बूते जीवन-यापन करते चले आ रहे हैं। 
Posted on 17 Nov, 2023 01:25 PM

ऑल वेदर रोड की एक सुरंग धंसी

ऑल वेदर रोड के तहत धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से डंडालगांव के बीच साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माणाधीन है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर भूस्खलन हुआ है। इस सुरंग का एक हिस्सा 150 मीटर खंड ढह गया है। यह चारधाम परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। इसके बन जाने के बाद

सुरंगों में हिमालय का भविष्य 
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग या आर्टिफिशियल रेनमेकिंग (Cloud seeding in Delhi in Hindi)
नभाटा की रिपोर्ट के अनुसार क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है जो बादलों पर विभिन्न पदार्थों को छोड़कर बारिश या बर्फ को उत्तेजित करने का लक्ष्य रखती है। इसके लिए सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाईऑक्साइड) को रॉकेट या हवाई जहाज के ज़रिए बादलों पर छोड़ा जाता है।इस प्रक्रिया में बादल हवा से नमी सोखते हैं और कंडेस होकर उसका मास यानी द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे बारिश की भारी बूंदें बनती हैं और वे बरसने लगती हैं।



Posted on 14 Nov, 2023 12:54 PM

दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, और स्मोग ने उसको और खतरनाक बना दिया है। एक्यूआई यानी एयर-क्वालिटी-इंडेक्स बता रहा है कि दिल्ली की हवा दम घोंट रही है। दिल्ली सरकार दम घोंटू हवा से राहत के लिए क्लाउड सीडिंग को एक समाधान के रूप में देख रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बढ़ते प्रदूषण स्तरों से निपटने के एक उपाय के रूप में क्लाउड सीडिंग को ट्रिगर करने का प्रयास करन

क्लाउड सीडिंग
विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना से प्रभावित हाट गांव और वर्ल्ड बैंक
ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गांव में स्थित पुरातन लक्ष्मी नारायण मंदिर बर्बाद हो जाएगा, जो कि एक ‘फिजिकल कल्चरल रिसोर्स’ है, और जिसपर ग्रामीणों की आजीविका टिकी हुई है।
Posted on 31 Oct, 2023 05:01 PM

वर्ल्ड बैंक में शिकायत

उत्तराखंड के चमोली में भारत से जुड़ी एक ‘विष्णुगाड पीपलकोटी हाइड्रो पावर परियोजना’ मामले में, वर्ल्ड बैंक के इंस्पेक्शन पैनल ने 83 समुदायों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, उसे दर्ज कर लिया है। विश्वबैंक की टीम दौरा भी कर चुकी है। ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गां

विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना, Pc-IWP
झांसी के लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर एनजीटी ने जताई आपत्ति
जलग्रहण क्षेत्र से तालाब में पानी के प्रवाह पर असर पड़ने की संभावना है और इसके क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नगर निगम, झांसी के आयुक्त को लक्ष्मी ताल के बफर जोन के आसपास एलिवेटेड बाउंड्री वॉल और एक मार्ग बनाने के साथ तालाब पर इसके प्रतिकूल प्रभाव या इससे संभावित लाभ के बारे में फिर से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है
Posted on 18 Oct, 2023 02:28 PM

झांसी: उत्तरप्रदेश के झांसी जिले में स्थित 400 साल पुराने ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण पर  एनजीटी ने आपत्ति जताई है। एनजीटी का यह फैसला गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यकर्ता नरेंद्र कुशवाहा की जनहित याचिका की सुनवाई पर हुआ है ।  

झांसी के लक्ष्मी ताल के अंदर कराये जा रहे कंक्रीट के निर्माण,Pc- नरेंद्र कुशवाहा
अल्मोड़ा के मोहन कांडपाल के 'पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान' से सूखती रिस्कन नदी के बचने की उम्मीद जागी
गंगा-यमुना जैसी नदियों के मायके के प्रदेश उत्तराखंड में नदियों के हालात पर चर्चा और कुछ अच्छे प्रयोगों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मीडिया मित्र मिलन का कार्यक्रम रखा गया।
Posted on 28 Jun, 2023 09:07 AM

उत्तराखंड में 6000 से ज्यादा छोटी-बड़ी नदियां हैं। जिसमें से ज्यादातर या तो मर चुकी हैं, बरसाती हो गई हैं, या सूख रही हैं या जिनके हालात खराब हैं और बुरी तरह बीमार हैं। आपदा अब उत्तराखंड की नियति बनती जा रही है। भूस्खलन, नदियों में अवैध अतिक्रमण, एक्सट्रीम वेदर कंडीशन, जलवायु परिवर्तन के नए संकेत साफ-साफ दिखाई पड़ रहे हैं। देहरादून के शहर के अंदर 23 से ज्यादा नदियां हैं। लेकिन कोई भी अब सदानीरा

पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान
80 सेंटीमीटर पूर्व में झुक गई है पृथ्वी, वजह बेतहाशा भूजल दोहन
बेतहाशा भूजल पंपिंग में पानी के इतने बड़े द्रव्यमान को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित (पुनर्विभाजन) कर दिया है, जिसकी वजह से धरती वर्ष 1993 और 2010 के बीच लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई। Posted on 23 Jun, 2023 11:01 AM

अविश्वसनीय

बेतहाशा भूजल दोहन के मामले में एक नए अध्ययन के अनुसार, लोगों ने भारी मात्रा में भूजल दोहन किया है, ज़मीन से निकाल कर इसे कहीं और ले जाकर छोड़ दिया है, यानी कि भोजन जमीन इलाकों से निकाल कर के और धीरे-धीरे हम लोगों ने समुद्रों में स्थानांतरित कर दिया है, जिसकी वजह से धरती 1993 से 2010 के बीच लगभग 80 सेंटीमीटर या 31.5 इंच पूर्व की ओर

झुक रहा धरती का एक्सिस, PC- करियर इंडिया
कौसानी में पर्वतीय विकास की सही दिशा मुद्दे पर संवाद गोष्ठी
‘पर्वतीय विकास की सही दिशा’ के मुद्दे पर आयोजन समिति द्वारा अनासक्ति आश्रम कौसानी में 5-7 अप्रैल 2023, पर्वतीय विकास की सही दिशा विषय पर तीन दिवसीय संवाद गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। आप अवगत ही हैं कि 5 अप्रैल सरला बहिन की जन्म तिथि है।
Posted on 03 Apr, 2023 10:57 AM

‘पर्वतीय विकास की सही दिशा’ के मुद्दे पर आयोजन समिति द्वारा अनासक्ति आश्रम कौसानी में 5-7 अप्रैल 2023, पर्वतीय विकास की सही दिशा विषय पर तीन दिवसीय संवाद गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। आप अवगत ही हैं कि 5 अप्रैल सरला बहिन की जन्म तिथि है। सरला बहिन उत्तराखण्ड में रचनात्मक व आन्दोलनात्मक गतिविधियों के लिये प्रेरणा स्रोत रही हैं। हमारे पर्वतीय क्षेत्र मे सर्वोदय आन्दोलन द्वारा गांधी जी के रचनात्

ग्राम मल्ली बिठोली का सीम नौला
गंगा महाबैठक का निमंत्रण
मां गंगा पर आश्रित इकोलॉजी एवं जन समूह का बच पाना एक मूल प्रश्न है जिसका उत्तर ऐसा हो जिसमें मां गंगा के दैविक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, बौद्धिक, और वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं का सही मिश्रण, समीकरण और संतुलन हो, अत: हम सब साथ मे चर्चा करें ताकि आगे की कानूनी, सरकारी पॉलिसी, हस्ताक्षर अभियान एवं दृढ़ जन आंदोलन को रूप दिया जा सके। 
Posted on 11 Feb, 2023 12:37 PM

हम सब मां गंगा की मुनाफाखोरों के हाथों हो रही निरंतर निरंकुश अवैज्ञानिक क्षति रोकने के लिए अथक कार्यरत हैं। ताकि मां गंगा की त्रासदी निवारण हो सके और आने वाली पीढ़ियों की संपदा बचाई जा सके। यह भी सत्य है कि हम सब के निजी और संस्था के प्रयत्नों का निचोड़ यही है कि मां गंगा की त्रासदी निरंकुश बढ़ती जा रही है।

फोटो साभार - सचिन सिंह
जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं के मुद्दे पर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन में श्री जयसीलन नायडू, जो दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति व महान राजनीतिज्ञ श्री नेल्सन मंडेला जी के सरकार में मंत्री रह चुके हैं, देश के विभिन्न अन्य बुद्धिजीवी व पर्यावरणविद मौजूद रहेंगे।
Posted on 07 Feb, 2023 10:24 AM

दिनांक : 12 - 14 फरवरी 2023

स्थान - मातृ सदन, जगजीतपुर, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखण्ड (भारत) 249408

जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए देश-विदेश से कई गणमान्य हिस्सा लेने पहुँच रहे हैं। सम्मेलन में तीन सत्र हैं और तीनों में अलग अलग पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

मातृ सदन
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