दक्षिण बिहार के नालंदा जिले की प्राकृतिक सौंदर्य की नगरी राजगीर तेजी से जल संकट में फंसती जा रही है और उसकी पहचान 22 कुंड और 52 जलधाराएं या तो सूख रही हैं, या सूखने के कगार पर हैं। बिहार का नालंदा जिला धर्म, अध्यात्म और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के कारण फेमस है। यहां हर साल लाखों लोग घूमने आते हैं। नालंदा स्थित राजगीर बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म के लिए खास है। यहां तीनों धर्मों से जुड़े धार्मिक स्थल हैं। हालांकि इन सबसे खास है राजगीर कुंड। यहां 22 कुंड और 52 धाराएं हैं। खास बात ये हैं कि सभी के नाम देवी-देवताओं, ऋषि-मुनि और नदियों के नाम पर रखे हैं। हालांकि इनमें से कुछ कुंडों का पानी पूरी तरह सूख चुका है, और बाकी धाराओं की भी धार कमजोर हुई है।
सूख गये कई कुंडः
गंगा-जमुना सहित अन्य कुंडों का पानी तीन साल पहले ही खत्म हो गया था। तब इस तालाब को हवाई दृष्टि से देखा गया था। सीएम ने इसकी गहराई का पता लगाने के लिए कहा था। लेकिन लोगों का कहना है कि गहराई का काम ठीक से नहीं हुआ था। यह सिर्फ नाम का ही किया गया था। इसलिए बारिश के मौसम में भी इसमें जल नहीं है। इसके कारण कई कुंड सूख चुके हैं। अनंत कुंड का पानी तो पूरी तरह से गायब हो गया है। कुछ कुंडों का पानी इतना कम है कि वह कभी भी खत्म हो सकता है। बारिश न होने और तालाब सूखने के बावजूद लगता है कि कुछ कुंडों का रिचार्ज जोन अभी बचा हुआ है। जिनकी जलधारा चल रही है।
गर्म कुंडों का मौजूदा हाल
हिन्दुस्तान अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार अहिल्या कुंड, सीता कुंड, गणेश कुंड, गौरी कुंड, राम लक्ष्मण कुंड पहले से ही बंद हैं। सप्तधारा की दो धाराएं बंद हैं। एक से पानी निकल रहा है। लोग बमुश्किल स्नान कर पाते हैं। बाकी चार धाराओं से पानी बूंद-बूंद टपकता है। तेज चलने वाली धारा की रफ्तार कम हुई है। ब्रह्म कुंड का जलस्तर भी घटा है।
हिन्दुस्तान अखबार की एक नई रिपोर्ट के अनुसार गंगा-जमुना व व्यास कुंड की जलधाराएं पूरी तरह सूख गई हैं तो मारकंडे कुंड में नाम मात्र का पानी टपक रहा है। 2019 से ही यहां के यहां जल कुंडों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। बिहार विधान परिषद में राजगीर के जल कुंडों के सूखने का मामला बहुत जोर-जोर से उठाया गया था, जिस पर सरकार की एक टीम भेजी गई थी और प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी गई थी। टीम का कहना है कि प्रारंभिक अनुसंधान से पता चलता है कि कुंड क्षेत्र के पास लगातार खुद रहे सबमर्सिबल बोरिंग की वजह से कुंड सूखते जा रहे हैं।
प्रशासन हरकत में : पांडु पोखर पार्क की बोरिंग बंद करने का आदेश
राजगीर के कुंडों के सूख जाने से यहां बाहर से आने वाले लोग भी निराश होकर लौट रहे हैं। राजगीर आनेवाले लोगों की प्राथमिकता होती है कि वे यहां गर्म पानी के कुंड और धाराओं का आनंद लें। यहां के गर्म पानी के कुंड और धाराएं राजगीर का आकर्षण हैं। लेकिन इनमें से कई सूख गये हैं और बाकी भी दम तोड़ रहे हैं। इससे यहां आने वाले लोग निराश हो रहे हैं। जब गर्म पानी की चार धाराएं बंद हुईं तो प्रशासन ने जांच करने का फैसला किया।
पंडा कमेटी के नेता ब्रह्मदेव उपाध्याय ने एसडीओ को बताया कि कुंड और धाराओं की देखभाल नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर इसे नजरअंदाज किया गया तो राजगीर का नामोनिशान मिट जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कुंड के नजदीक पांडु पोखर पार्क में 7 बोरिंग लगाई गई है। इनसे गर्म पानी निकल रहा है। एसडीओ लाल ज्योति नाथ साहदेव ने पार्क में जाकर बोरिंग का पानी देखा। उन्हें पता चला कि ये भी कुंड के जैसे गर्म हैं। उन्होंने तुरंत बोरिंग रोकने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि ये कुंड वैभारगिरी पर्वत के साथ जुड़े हैं। इसलिए पार्क में बोरिंग से भी गर्म पानी आ रहा है।
मौजूदा जल संकट की सीख
जल संसाधन विभाग और पीएचईडी के प्रधान सचिव ने उन सभी कुंडों की जांच की जिनमें पानी कम हो गया है या जो सूख चुके हैं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं के साथ मिलकर इसकी वजह ढूंढने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी देखा कि गर्म पानी की धाराएं क्यों बंद हो गयी हैं। उन्होंने इसके लिए चिंता व्यक्त की। जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि गर्म पानी के चार कुंडों की धारा रुक गयी है। इसके पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है। उन्होंने कहा कि बिना जांच के यह नहीं कहा जा सकता कि यह पांडु पोखर पार्क में लगी बोरिंग की वजह से हुआ है या जलस्तर कम होने से। उन्होंने सेंट्रल ग्राउंड वाटर की टीम को भी सर्वेक्षण करने के लिए कहा है।
स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट की जरूरत है राजगीर को
स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसमें स्प्रिंग्स को जलस्रोत के रूप में संरक्षित और संवर्धित किया जाता है। स्प्रिंग्स वह जगह हैं जहां भूमि की सतह पर जल की निकासी होती है। स्प्रिंग्स का जल अधिकांशतः वर्षा या हिमनद से आता है और भूमि के अंदर रिचार्ज होता है।
हां तो इससे यह समझ में आता है कि स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट की जरूरत इसलिए है क्योंकि गर्म जलकुंड (Hot Springs) का जल बहुत ही मूल्यवान और सीमित संसाधन है। गर्म जलकुंड (Hot Springs) का जल अनेक पारंपरिक और आधुनिक जल व्यवस्थाओं का आधार भी है। लेकिन गर्म जलकुंड (Hot Springs) का जल विभिन्न कारकों से खतरे में है। इनमें जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, राजगीर के भूमि उपयोग का बदलाव, राजगीर जलस्रोतों का अत्यधिक शोषण, प्रदूषण, पेड़ों की कटाई आदि शामिल हैं। इन कारकों से गर्म जलकुंड का जलस्तर कम होता है, जल की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आती है, जल की आपूर्ति में अस्थिरता और अनियमितता होती है, जल संरक्षण की जागरूकता और जिम्मेदारी कम होती है, जल संबंधी विवाद और संघर्ष बढ़ते हैं और जल से जुड़ी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का नाश होता है।
स्प्रिंगशेड मैनेजमेंट का उद्देश्य है गर्म जलकुंडों को जलस्रोत के रूप में स्थायी और समृद्ध बनाए रखना। राजगीर के जलकुंडों को बचाने के लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं:
- गर्म जलकुंडों की पहचान, मानचित्रण, वर्गीकरण और डेटाबेस बनाना।
- गर्म जलकुंडों का जलस्तर, जल की मात्रा, गुणवत्ता, उपयोग, आवश्यकता, वितरण, आपूर्ति और डिमांड का मूल्यांकन करना।
- गर्म जलकुंडों के जलस्रोत को प्रभावित करने वाले वातावरणीय, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारकों का अध्ययन करना।
- गर्म जलकुंडों के रिचार्ज जोन - जलस्रोत को सुरक्षित, स्वच्छ, संतुलित, नियमित और उचित रूप से उपयोग करने के लिए नीतियां, नियम, दिशानिर्देश, योजनाएं, कार्यक्रम, प्रकल्प, तकनीक, उपकरण, विधि और अभ्यास बनाना और लागू करना।
- गर्म जलकुंडों के जलस्रोत को बढ़ावा देने, बहाल करने, सुधारने और पुनर्जीवित करने के लिए भूमि उपयोग, वनोचित विकास, जलापाय का नियंत्रण, जल संरक्षण, जल शोधन, जल संग्रहण, जल पुनर्चक्रण, जल वितरण, जल शिक्षा, जल न्याय, जल सहयोग, जल समन्वय आदि की जरूरत है।
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