दुबई, जो रेगिस्तान के बीच में बसा, एक शहर, जिसकी आधुनिकता से हर कोई प्रभावित हो जाता है। 16 अप्रैल 2024 को अचानक भारी वर्षा से शहर डूब गया। इस अप्रत्याशित बाढ़ ने विभिन्न स्थानों को प्रभावित किया, जिसमें हवाई अड्डे, मेट्रो स्टेशन, और शॉपिंग मॉल शामिल हैं। स्कूल बंद कर दिए गए और सोशल मीडिया पर इस आपदा की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 24 घंटों में 160 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्यतः दो वर्षों में होने वाली वर्षा के बराबर है। राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, अल-एन एयरपोर्ट से क्लाउड सीडिंग के लिए विमानों को उड़ाया गया था, जिससे यह आपदा और भी गंभीर हो गई। इसे मानव द्वारा जलवायु में अनावश्यक परिवर्तन करने की एक लापरवाही मानी जा रही है।
दुबई में इतनी बारिश जहां सामान्यत: डेढ़ से दो साल में होती है। लगभग 150 मिलीमीटर वर्षा, एक दिन में ही इतनी ही मात्रा में वर्षा दर्ज की गई। कुछ लोगों का विचार है कि यूएई की क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया के कारण यह बाढ़ आई है, जबकि कुछ का मानना है कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन है। इसके तीसरी राय यह है कि दुबई की ढांचागत संरचना बारिश के लिए उपयुक्त नहीं था, जिसके चलते बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। ऐसे सवालों में तो, इस घटना की वास्तविकता को समझने का प्रयास जरूर करना होगा।
आंकड़े
संयुक्त अरब अमीरात में ओमान की सीमा से लगे शहर अल ऐन में रिकॉर्ड 254 मिलीमीटर (10 इंच) बारिश दर्ज की गई. 1949 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से यह 24 घंटे की अवधि में अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था।
क्या क्लाउड सीडिंग के कारण तूफान आया?
क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में विमानों द्वारा छोटे कण जैसे सिल्वर आयोडाइड छोड़े जाते हैं ताकि वर्षा को बढ़ावा दिया जा सके। यह तकनीक दशकों से उपयोग में है, और यूएई ने इसे जल संकट से निपटने के लिए अपनाया है। दुबई सहित कई देशों में क्लाउड सीडिंग का उपयोग आर्टिफिशल रेनफॉल के लिए किया जाता है।
आई-फारेस्ट के चंद्रभूषण जी कहते हैं कि क्लाउड सीडिंग से 20-25% बारिश बढ़ सकती है। लेकिन दुबई में जिस दिन यह घनघोर बारिश हुई, उस दिन वहां क्लाउड सीडिंग नहीं हुई थी। दूसरी बात यह कि बारिश सिर्फ दुबई में नहीं, पूरे मिडल ईस्ट में हुई है। ओमान में तो दुबई से ज्यादा बारिश हुई। वहां काफी मौतें भी हुई हैं। यह जानना जरूरी है कि इतने बड़े इलाके में बारिश क्लाउड सीडिंग के कारण नहीं हो सकती। क्लाउड सीडिंग का थोड़ा-बहुत योगदान हो सकता है, पर दुबई का एक्सट्रीम रेन फॉल इसके चलते नहीं हुआ है। दूसरी बात है क्लाइमेट चेंज की। मार्च-अप्रैल मिडल ईस्ट में बारिश का सीजन होता है। मिडल ईस्ट में इतनी भयानक बारिश पहली बार नहीं हुई है। पिछले कुछ सालों से यह देखा जा रहा है कि एक्सट्रीम रेन फॉल मिडल ईस्ट में सामान्य बात होती जा रही है। अभी जो बारिश हुई है, इसकी भी चेतावनी दो-तीन दिन पहले दे दी गई थी। बताया गया था कि एक बहुत बड़ा वेदर सिस्टम फॉर्म हो रहा है, जिसके कारण तेज बारिश हो सकती है।
वर्षा की घटनाएं और ग्लोबल वार्मिंग
इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण में अधिक नमी बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक वर्षा (फ्लैश-फ्लड) की घटनाएं हो रही हैं। अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने हाल ही में कहा कि अत्यधिक वर्षा की घटनाओं और ग्लोबल वार्मिंग के बीच एक स्पष्ट संबंध है। वैज्ञानिक प्रमाण के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण में अधिक नमी बढ़ रही है, यह वर्षा बढ़ने का कारण है। वर्षा की प्रक्रिया शुरू होती है जब सूर्य की गर्मी के कारण नदियों और झीलों का पानी वाष्प में बदल जाता है। इस वाष्प को ऊपर उठाने के बाद, यह ठंडी हो जाती है और बादल बनते हैं। बादलों में जल वाष्प के कण एक साथ चिपकने से वर्षा होती है।
जलवायु परिवर्तन
भारत में भी हमने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को देखा है। पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक वर्षा से भारी तबाही हुई। सिक्किम में एक बांध के टूटने की घटना भी दर्ज की गई, जिसका कारण बारिश माना जा रहा है। दिल्ली में भी कभी-कभार होने वाली तेज बारिश से शहर ठप हो जाता है। मुंबई में भी इसी प्रकार की स्थितियाँ पहले बन चुकी हैं। मेरा विचार है कि दुबई में हुई विनाशकारी बारिश भी जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। मध्य पूर्व में UAE, सऊदी अरब, और ओमान के रेगिस्तानों में भी अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
और अंत में
भारत में भी हमने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को देखा है। पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक वर्षा से भारी तबाही हुई। सिक्किम में एक बांध के टूटने की घटना भी दर्ज की गई, जिसका कारण बारिश माना जा रहा है। दिल्ली में कभी-कभार होने वाली तेज बारिश से शहर ठप हो जाता है। मुंबई में भी इसी प्रकार की स्थितियाँ पहले से बन चुकी हैं। दुबई में भयावह बारिश भी जलवायु परिवर्तन के कारण हुई है। इसके अनप्लांड सिटी डिवेलपमेंट के कारण भी यह भयावह बाढ़ हो गई है। आज की तारीख में यह कंक्रीट और स्टील का शहर है, जहाँ पेड़-पौधे की जगह सड़कें बन रही हैं और स्टॉर्म वॉटर ड्रेन का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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