खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत वे सभी विधियां और तकनीक शामिल हैं, जो कच्चे खाद्य पदार्थ की भंडारण अवधि (शेल्फ लाइफ बढ़ाने, इसके अनेक उपयोगी व मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने और इनकी सुरक्षित पैकेजिंग तथा परिवहन के उपयोग में आती हैं। इसके दायरे में विभिन्न प्रकार के अनाजों, सब्जियों, मसालों, मेवों आदि के साथ दूध, मांस, मछली और अंडे भी आते हैं
नयाल जी कहते हैं पेड़ पौधों की बात करूं तो वर्तमान समय में हमने लगभग 58 हजार पेड़ पौधे हमने स्वयं से लगा दिए हैं, वैसे हम फल के पौधे भी गाँव वालों को वितरित करते हैं। लगभग 60 हजार से अधिक पौधे हम लोगों को वितरित कर चुके हैं और हम खुद की नर्सरी भी तैयार करते हैं। उसके बाद अपनी आजीविका के रूप में उनका कुछ न कुछ बच जाता है।
मामला केवल बड़े बांध का नहीं, बल्कि बहुत सारी छोटी परियोजनाओं का भी है, क्योंकि वे अगर तीव्र ढाल वाली नदी और नालों में बनने लगेंगी तो स्थानीय पर्यावरण का हश्र सामने होगा। वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ और 2021 में धौली गंगा की त्रासदियों समेत पर्यावरणीय क्षति की अन्य बड़ी घटनाओं को सिर्फ बर्बादी के विचलित कर देने वाले आंकड़ों और दृश्यों के रूप में नहीं, बल्कि एक स्थायी सबक की तरह भी याद रखा जाना चाहिए।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर क्वालिटी फंडिंग 2023 - यूके स्थित क्लियर एयर फंड द्वारा क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव के साथ साझेदारी में प्रकाशित की गई है। इससे पता चलता है कि भारत और नेपाल को साल 2015 और 2021 के बीच वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इंटरनेशनल डेवलपमेंट फंडर्स द्वारा दिये गए 17.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से 1 प्रतिशत से भी कम मिला है। वहीं कुल फंडिंग राशि का 86 प्रतिशत पाँच देशों को मिला. यह पांच देश हैं चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश, मंगोलिया, और पाकिस्तान।
गांव के एक 45 वर्षीय किसान प्रेमनाथ कहते हैं कि उनके पास रोज़गार और आय के स्रोत के नाम पर ज़मीन के केवल कुछ टुकड़ा है. जिससे साल भर की आमदनी भी नहीं हो पाती है, लेकिन इसके बावजूद वह केवल इसलिए खेती करते हैं क्योंकि उनके पास स्थाई रूप से रोज़गार का कोई अन्य साधन नहीं है
पिछले कुछ वर्षों में मेक इन इंडिया के कारण भारत में आर्थिक, औद्योगिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुसंधान के क्षेत्रों में जैसा सकारात्मक रुझान देखा गया है, वह पारम्परिक रूप से नहीं देखा गया था। हालांकि भारत ने अतीत में भी विज्ञान से जुड़े अनेक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज की है
वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
पर्यावरणीय ज्ञान और पर्यावरणीय दृष्टिकोण के बीच सहसंबंध को व्यापक रूप से जाना जाता है। भारत में पर्यावरण के प्रति चिंताओं के कारण पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से युवाओं को संवेदनशील बनाने और उनके कौशल को मजबूत करने की मांग बढ़ रही है, जिसमें पर्यावरणीय रूप से सजग स्थायी भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
खास तौर पर जाडों में गैर बर्फीली नदियों के पानी का महत्व गंगा नदी में अधिक होता है। इन्हीं में से एक उत्तराखंड जिला अल्मोड़ा के विकासखंड द्वाराहाट में रिस्कन नदी है। यह नदी गंगा की एक धारा है जिसका मुख्य उद्गम भगवान विष्णु के मंदिर नागार्जुन में उनके चरणों से हुआ है जो सुरुभि नदी कहलाती है। द्वाराहाट क्षेत्र के कई अन्य स्रोतों के साथ पहाड़ियों से नंदनी बहती है। सुरभि-नंदिनी का संगम भगवान शिव के धाम विमाण्डेश्वर में होता है। इस शिवधाम से आगे इस नदी को रिस्कन के नाम से जाना जाता है। यहां से शांत स्वभाव के साथ बहते हुए रिस्कन नदी तिपोला नामक स्थान पर गगास नदी में मिलती है। गगास रामगंगा में व रामगंगा आगे जाकर गंगा नदी में मिलती है।
This study conducted by freshwater biologists Avinash Vanjare, Yugandhar Shinde and Sameer Padhye finds that pollution and faulty restoration practices have spelled doom for smaller animals residing in the Mula Mutha river indicating serious threats to the river ecosystem in the long run.
Is there a potential for introducing an organised groundwater irrigation market in Western Uttar Pradesh, where informal groundwater markets continue to thrive?
New research from University of East Anglia, UK highlights the criticality of women’s contributions, both direct and through their social reproductive and networking activities, in achieving wellbeing and sustainability outcomes
जम्मू-कश्मीर में संपन्न हुए जी 20 पर्यटन समूह की सफल बैठक के बाद पूरी दुनिया की निगाहें इस जन्नत-ए-बेनजीर की ओर बढ़ने लगी हैं, वहीं पीर पंजाल और चिनाब क्षेत्र में भी पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है. जिसका ताजा उदाहरण हाल के दिनों का है, जब पुंछ के जिला विकास आयुक्त ने पीर पंजाल क्षेत्र में ट्रैकिंग के नए क्षेत्रों और पर्यटक स्थलों की खोज के लिए इंडिया हाइक्स (ट्रैकर्स) की एक टीम भेजी है. वहीं इससे पहले स्थानीय युवाओं के एक ट्रैकिंग ग्रुप ने न केवल पीर पंजाल की ऊंची चोटियों का भ्रमण किया
Using organisms living in the water as indicators of the status of water bodies provides a number of advantages over chemical analysis and is increasingly being used to monitor water quality of rivers and lakes in India.