कृषि उद्यमिता, नेचुरल फार्मिंग, जल प्रबंधन का सशक्त मॉडल

कृषि उद्यमिता, नेचुरल फार्मिंग, जल प्रबंधन का सशक्त मॉडल
कृषि उद्यमिता, नेचुरल फार्मिंग, जल प्रबंधन का सशक्त मॉडल

बढ़ती हुई आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें खेती की उन्नत तकनीकी का उपयोग करते हुए कृषि एवं उस से जुड़े उत्पादकता की तरफ पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। खेती की लागत में कमी लाने में जितना मददगार उन्नत तकनीकी को माना जा सकता है, उतना ही जरूरी है खेती में उन्नत यंत्रों का प्रयोग।

इससे न केवल खेती की लागत में कमी लाई जा सकती है, बल्कि समय और मेहनत का बेहतर प्रबंधन भी संभव है खेती में मशीनों का उपयोग जुताई, बोआई, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कटाई, मड़ाई, प्रोसेसिंग सहित ब्रांडिंग और पैकेजिंग जैसे कामों को भी आसान किया जा सकता है। स्थायी और सतत कृषि के लिए जितना जरूरी है उन्नत तकनीकी, उतना ही जरूरी है प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, जिससे हम खेती में काम आने वाले प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग कर उस का सतत उपयोग कर पाएं, खेती में जो सब से जरूरी है, वह है सिंचाई के द्वारा समुचित जल उपयोग और समुचित ऊर्जा उपयोग। खेती में सिंचाई प्रबंधन के लिए टपक सिंचाई विधि, जिसे ड्रिप इरिगेशन के नाम से भी जानते हैं, के साथ ही पोर्टेबल स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर, लार्ज वॉल्यूम (रेनगन) आदि विधियों का उपयोग कर के पानी के उपयोग में कटौती कर सकते हैं, जिससे हम बेहतर जल प्रबंधन करते हुए संभावित जल समस्या से निबट भी सकते हैं।

इस दिशा में नई दिल्ली में स्थित संस्था विश्व युवक केंद्र द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में खेती और किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रहे सामाजिक और स्वैच्छिक संगठनों के तकरीबन 16 राज्यों के 70 प्रतिनिधियों को बजाज फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कृषि उद्यमिता कृषि विकास, जल संरक्षण, सामुदायिक सहभागिता और सामाजिक परिवर्तन के सफल मॉडल से सब कराने के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण और सीख आधारित भ्रमण का अवसर उपलब्ध कराया गया।

खेती के सफल मॉडल

22-26 सितंबर तक चले इस कार्यक्रम की शुरुआत विश्व युवक केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह द्वारा सभी लोगों के स्वागत के साथ की गई। पहले सत्र में अतिथियों ने महाराष्ट्र के वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन द्वारा की गई पहल के चलते किसानों की आय में बढ़ोतरी और जल प्रबंधन के मॉडल की सराहना की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वर्धा के विधायक पंकज भोयर ने कहा कि देश में अगर खेती के क्षेत्र में परिवर्तन देखना हो तो महाराष्ट्र के वर्धा जिले के किसानों के खेतों में आएं।कार्यक्रम में पहुंचे वर्धा जिले के जिलाधिकारी आईएएस राहुल कार्डिले ने बताया कि वर्धा जिले में किसान नेचुरल खेती करते हुए अपनी आमदनी बढ़ाने में कामयाब रहे हैं। जरूरी है कि दूसरे राज्यों के किसान भी इसे अपनाएं।

कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन 

सेवाग्राम में आयोजित इस 5 दिवसीय एक्सपोजर सह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम में 'कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन पर भूजल पुनर्भरण और जल संचयन के लिए दुनियाभर में अपने कामों के लिए विख्यात तमसवाड़ा मॉडल के निर्माता माधव कोटस्थाने ने भी अपने अनुभव प्रतिभागियों के साथ साझा किए।इस मौके पर बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीएसआर प्रमुख हरिभाई मोरी ने बजाज फाउंडेशन द्वारा जल संसाधन प्रबंधन और विकास को बढ़ावा देने के लिए बजाज फाउंडेशन की पहल की सफलता को साझा किया। 

कृषि उद्यमिता के सफल मॉडल पर जानकारी

प्रतिभागियों को कृषि उद्यमिता के जरिए आय में बढ़ोतरी पर जानकारी देने के लिए सफल कृषि उद्यमिता 'नागपुर नेचुरल' के संस्थापक हेमंत सिंह चौहान ने अपनी कृषि उद्यमिता यात्रा साझा की। उन्होंने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती, कृषि उद्यमिता और कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनकी इस पहल से सैकड़ों प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की आय में तीन गुना तक बढ़ोतरी हो पाई है।

किसानों ने प्रदर्शित किए प्राकृतिक उत्पादन 

प्रशिक्षण के दौरान वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन के मार्गदर्शन में नेचुरल खेती कर रहे किसानों ने अपने कृषि उत्पादों का प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रतिभागियों ने किसानों द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों को जमकर खरीदारी की। किसानों ने अपने स्टाल पर सब्जी बीज, मौसमी, चना, मूंग, सरसों और मूंगफली का तेल सहित कई खाद्य वस्तुओं का प्रदर्शन किया।

भ्रमण करके ली जानकारी

बजाज फाउंडेशन और विश्व युवक केंद्र द्वारा कृषि उद्यमिता और जल संसाधन प्रबंधन' पर आयोजित ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन एक फील्ड-विजिट का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों को नेचुरल फार्मिंग करने वाले किसान संजय घुमड़े के फार्म का दौरा कराया गया, जहां उन्हें प्राकृतिक खेती के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ।इस दौरान किसान संजय घुमड़े ने बताया में जब उन्होंने नैचुरल फार्मिंग की शुरुआत की, तो उन्हें 2 साल तक नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें नैचुरल प्रोडक्ट के खरीदारों के बढ़ने से उन की आय में भी बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई।उन्होंने आगे यह भी बताया कि वह नैचुरल फार्मिंग के जरिए गन्ना, कपास, स्वाधीन, सब्जी, पपीता आदि की फसलें उगा रहे नेचुरल फार्मिंग के चलते कीट और बीमारियों का प्रकोप भी कुछ कम हुआ है।

स्कूली बच्चों का बनाया चेक डैम रहा कौतुहल का विषय

फार्म के दौरे के बाद किसान संजय घुमड़े सालेह कला गांव गए, जहां प्रतिभागियों ने स्कूली बच्चों द्वारा बनाए गए चेक डैम साइट को देखा, जिसे बजाज फाउंडेशन की डिजाइन फॉर चेंज (डीएफसी) पहल के तहत बनाया गया है।इस दौरान चेक डैम बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली छात्रा राधिका रान्नोरे ने बताया कि वे जब स्कूल आती थीं, तो उन के पास पूरे दिन के पीने का पानी तक नहीं होता था। लेकिन उन्होंने बच्चों के साथ समुदाय को जागरूक करते हुए बजाज फाउंडेशन के मार्गदर्शन में वह कर दिखाया, जो सपने के बराबर था।राधिका ने बताया कि उन की पहल से आज स्कूल के पास ही चेक डैम बना हुआ है, जिस में साल भर पानी रहता है।

अमिताभ बच्चन ने की थी सराहना

राधिका ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी इस पहल से प्रभावित हो कर अमिताभ बच्चन ने उन्हें टीवी सीरियल 'आज की रात है जिंदगी' में बुलाया था और उन के कामों की सराहना करते हुए मुझे ही रियल हीरो का दर्जा दे दिया।

खजूर और ड्रैगन फ्रूट की खेती में सफलता

इस के बाद प्रतिभागियों ने मोह गांव में थंगावेल डेट्स फार्म का दौरा किया। इस दौरान खजूर फार्म के संस्थापक एसवी थंगावेल ने बताया कि वह मूल रूप से तमिलनाडु के सेलम जिले के युदुपालियान नामक एक बहुत छोटे से गांव से हैं, उन को वर्ष 1974 में नागपुर के एक अस्पताल में काम करने का मौका मिला। उन्होंने इस दौरान अपने बचाए पैसे से कुछ जमीनें खरीद कर वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त होने के बाद खजूर और ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में सीखा। उन्होंने बताया कि जिल्पी झील के पास जिल्पी मोहेगांव पीओ, हिंगना तहसील, नागपुर में थंगावेल का खजूर फार्म तैयार कर एग्रो फॉरेस्ट्री की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि विदर्भ क्षेत्र का अधिक तापमान खजूर की खेती के लिए वरदान है, क्योंकि तापमान जितना अधिक होगा, फल उतना ही मीठा होगा।

थंगावेल ने खजूर की खेती की बारीकियों को सीखने के लिए सऊदी अरब में विभिन्न खजूर के फार्मों का दौरा किया। गुजरात में कुछ खजूर उत्पादक किसानों से भी मुलाकात की। फिर उन्होंने 130 टिशू कल्चर खजूर के पौधे खरीदे और उन्हें अपनी 2 एकड़ जमीन में लगाया।विदर्भ में यह प्रयोग बिलकुल नया था। यह पहली बार था कि कोई यहां खजूर की खेती कर रहा था। पर दुख की बात है कि थंगावेल वहां हंसी का पात्र बन गए, उस समय प्रति पौधे की अनुमानित लागत 6,000 रुपए थी, इसलिए यह एक बड़ा जोखिम वाला निवेश था।

एसवी थंगावेल ने बताया कि आज वह विदर्भ क्षेत्र में एक सफल खजूर उत्पादक के साथ स्ट्राबेरी, ड्रॅगन फ्रूट के सफल उत्पादक किसानों में गिने जाते हैं। वह खजूर के पेड़ों के बीच देशी तरीके से रेस्टॉरंट चलाने के साथ ही कैंपिंग की सुविधा भी मुहैया कराते हैं।उन के इस प्रयास से हर साल वे लाखों रुपए का कारोबार करते हैं उन्हें अपने उत्पाद बाहर नहीं बेचने जाना पड़ता है, बल्कि लोग खुद ही यहां आ कर खरीदारी करते हैं। इसके बाद टीम ने मूंगफली तेल निकालने वाले प्लांट का भी विजिट किया, जिस का संचालन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा किया जाता है।

एक किलोग्राम सीताफल वाली नर्सरी का भ्रमण

इस के बाद टीम कहलाद गांव में सरस्वती नर्सरी और फार्म पहुंची, जहां नर्सरी संचालक सुरेश पाटिल ने बताया कि वह 4 दशक से सरस्वती नर्सरी का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीताफल की एक किलोग्राम वजन वाली किस्म खोजने में सफलता पाई है। उन्होंने बताया कि उन की नर्सरी के पौधे देश-दुनिया के अलग-अलग कोनों तक जाते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि उन की नर्सरी में सीताफल, आम, अमरूद और चीकू आदि की सैकड़ों किस्में तैयार की जाती हैं, जिस से हर साल लाखों रुपये का कारोबार करते हैं। इस दौरान उन्होंने लोगों की बागवानी से जुड़ी जिज्ञासा का समाधान भी किया। बजाज फाउंडेशन और विश्व युवक केंद्र द्वारा कृषि उद्यमिता पर आयोजित एक्सपोजर क्षमता ने वर्धा में ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया। इस दौरान टीम ने पवनार आश्रम, बछराज ट्रेडिंग कंपनी के कार्यालय, बजाजवाड़ी, बजाज समूह का पहला कार्यालय, बापू कुटीर आदि स्थानों का दौरा किया। इन साइटों पर जाने से प्रतिभागियों को हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम और समृद्ध इतिहास में गांधी, विनोबा भावे और बजाज परिवार के अतुलनीय योगदान को समझने में मदद मिली।

आयोजक बोले

बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष सीएसआर, हरिभाई मोरी ने बताया कि इस ट्रेनिंग और विजिट कराए जाने का मकसद किसानों के साथ काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं को कृषि से जुड़े नवाचारों, नैचुरल फार्मिंग और कृषि उद्यमिता से रूबरू कराना था, जिस से कि संस्थाएं अपनेअपने क्षेत्रों में किसानों के बीच इस मॉडल को प्रोत्साहित कर उन की आय में वृद्धि कर पाने में मदद कर पाएं।

विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली के सीईओ यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह ने बताया कि बजाज फाउंडेशन के साथ विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली द्वारा 18-22 अगस्त, 2023 और 22-26 सितंबर 2023 तक 2 बैंचों में कुल मिला कर 150 से अधिक एनजीओ प्रतिनिधियों ऐक्सपोजर सह क्षमता निर्माण कार्यक्रम के जरिए जल संसाधन प्रबंधन और कृषि एवं कृषि आधारित उद्यमिता की जानकारियां प्रदान की गई, जहां लोगों ने आपस में अपने अनुभव भी साझा किए।

प्रतिभागियों ने सराहा

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जनपद से आई काव्या सिंह ने बताया कि उन की संस्था काव्या सिंह किसानों के हित में काम कर रही है। वर्धा भ्रमण के दौरान उन्हें कई ऐसी तकनीकी जानकारी मिली, जिसे अपना कर उत्तर प्रदेश के किसान भी अपनी आय को 2 से 3 गुना तक बढ़ा सकते हैं। युवा प्रभात पांडेय ने बताया प्रभात पांडेय कि इस भ्रमण से सामुदायिक सहभागिता के जरिए जल संरक्षण और प्रबंधन के बारे में बेहतर जानकारी मिली।मध्य प्रदेश के राम शरण रावं बताया कि प्रदेश में कपास और सोयाबीन कापैमाने पर खेती होती है इस भ्रमण से नैचुरल फार्मिंग के जरीए कपास और सोयाबीन की खेती में लागत और जोखिम की कम करने की जानकारी मिली। 

प्रयागराज के सचिन सिंह बताया कि किसानों के सफल में एक्सपोजर विजिट मील का पत्थर हो सकती है, वहीं दूसरी के विजय बागवानी के टिप्स सीखकर अपने जिले के किसानों में साझा करने की बात कही।उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के मनोज सिंह ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान पारंपरिक फसलें ज्यादा लेते हैं। ऐसे में वर्षा भ्रमण से कमर्शियल खेती के गुणों को सीखने का अवसर मिला, जिसे वह अपने जिले के किसानों के बीच साझा करेंगे। 

स्रोत - फार्म एक फूड, पत्रिका 1 अक्तूबर 2023
 

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Post By: Shivendra
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