केंद्र सरकार ने ‘कैच द रेन कार्यक्रम’ के जरिए जलस्रोतों को सुधारने का प्रयास किया है। इसी प्रकार, उत्तराखंड में भी धामी सरकार वर्षा के पानी को संचय करके नौले-धारे और नदियों को संरक्षित और संवारने का प्रोजेक्ट आरंभ करने की योजना बना रही है। सोमवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में, स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन अथॉरिटी (सारा) की स्थापना को मंजूरी मिली, जो जलागम निदेशालय के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृत होगा। सारा के तहत, राज्य से लेकर ग्राम तक चार समितियां का निर्माण होगा।
वर्षा जल संरक्षण के लिए राज्य में सभी नौले, धारे और नदियों का मानचित्र बनाकर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। नदियों की शुरुआत से अंत तक के पानी को संग्रहित करने के उपायों में हजारों चेकडैम और जल संरक्षण के पौधे शामिल होंगे। सरकार ने जलस्रोतों की स्थिति पर सतर्कता बरती है, क्योंकि इनमें से 300 से ज्यादा सूख गए हैं या सूखने की कगार पर हैं, और 500 पेयजल प्रोजेक्टों में तकरीबन 90% पानी कम हो गया है, जैसा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया है। सरकार ने वर्षा के पानी को सहेजने पर प्राथमिकता देने का फैसला किया है, क्योंकि हर वर्ष 1529 मिलीमीटर होने वाली मेघ-प्रपात में 1221 मिलीमीटर मानसून का ही हिस्सा है। इससे पेयजल समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
सारा का गठन एकीकृत प्रयास का हिस्सा है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। सारा को जलागम निदेशालय की सोसायटी के तौर पर पंजीकृत किया जाएगा, और इसके लिए 195 पदों को स्वीकृत किया गया है। सारा में चार समितियां होंगी, जिनमें से एक मुख्य सचिव के नेतृत्व में होगी, और दूसरी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव के नेतृत्व में होगी। हर जिले में डीएम के अधीन एक समिति होगी, और हर ग्राम में ग्राम प्रधान के साथ महिला समूहों के सदस्यों से मिलकर एक समिति होगी। सारा को बाह्य सहायता से प्राप्त होने वाली योजनाओं का भी प्रयोग करना होगा।
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